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भारत में ही कर लें World Tour, यहां है घुमक्कड़ी का ‘छिपा खजाना’

भारत में ऐसे कई लोग हैं जिनके लिए वर्ल्ड टूर ( World Tour ) एक सपना होता है. ऐसे लोगों में से ज्यादातर ऐसे हैं जिनके लिए वर्ल्ड टूर (World Tour) मतलब यूरोप की सैर. खैर, शौक शौक है. हम आपको जो बात बताने जा रहे हैं उसे जरूर नोट कर लें. भारत में ऐसी कई जगहें हैं जो वर्ल्ड लेवल (World Tour) की ब्यूटी को समेटे हुए हैं. अगर आप नहीं जानते हैं तो हम आपके लिए 5 ऐसी जगहें लेकर आए हैं जहां जाकर आपको किसी वर्ल्ड टूर (World Tour) जैसा अहसास ही होगा. आइए जानते हैं ये 5 जगहें.

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पुडुचेरी- दक्षिण भारत का फ्रांस

पुडुचेरी भारत के अन्य शहरों से काफी अलग है. इसकी वजह है यहां पर रहा फ्रांस का शासन. इस क्षेत्र में पुडुचेरी, कराईकल, माहे और यनाम पर फ्रांसीसियों का शासन रह चुका है. पुडुचेरी इस प्रदेश की राजधानी है जो कभी फ्रांस का भारत में मुख्यालय हुआ करती थी पूरे 138 साल तक यह फ्रांसीसी शासन के अधीन रहा जिसके बाद 1 नवंबर 1954 को इसका भारत में विलय हुआ. पुडुचेरी के पूर्व में बंगाल की खाड़ी और बाकी तीनों तरफ तमिलनाडु है. पुडुचेरी से लगभग 150 किलोमीटर की दूरी पर दक्षिण में पूर्वी तट पर कराईकल बसा हुआ है जबकि पश्चिम में माहे केरल से घिरे वेस्टर्न घाट्स के मालाबार तट पर स्थित है. आप यहां कालीकट हवाईअड्डे से आसानी से पहुंच सकते हैं. यह माहे से 70 किलोमीटर दूर है. वहीं, यनाम आंध्र प्रदेश के पूर्वी गोदावरी जिले से सटा हुआ है और विशाखापत्‍तनम से इसकी दूरी 200 किलोमीटर की है.

चेन्‍नई के दक्षिण में 160 किलोमीटर दूर पुडुचेरी एक दिलकश भारतीय शहर है. यहां समुद्री खूबसूरती के अतिरिक्त आप सांस्कृतिक विरासत और फ्रांसीसी आर्किटेक्चर को जान समझ सकते हैं. यह कराईकल (तमिलनाडु), माहे (केरल), यनाम (आंध्र प्रदेश) को मिलाकर पुडुचेरी केंद्रशासित प्रदेश बना है. इस नगर की खासियत यहां की सुनियोजित नगर योजना व फ्रांसीसी-तमिल वास्‍तुकला का संगम होना है. यह शहर फ्रांस के 18वीं सदी के किलेबंद समुद्रतटीय शहर ‘बास्‍टाइड’ के नमूने पर बनाया गया था.

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पुडुचेरी प्रसिद्ध संतों की भूमि के रूप में प्रसिद्ध है, रोम तथा यूनान के साथ प्राचीन व्‍यापारिक संबंध वाली ये जगह फ्रांस के भारत में शासन के समय उसकी राजधानी रही है. यहां आप पूर्व तथा पश्चिम संस्‍कृति का संगम देख सकते हैं. पुडुचेरी में हस्‍तशिल्‍प से तैयार चमड़े की वस्‍तुएं, मिट्टी के बर्तन, हाथ से तैयार कागज, धूप व पुराना औपनिवेशिक फर्नीचर आदि अनोखी वस्‍तुएं मिलती हैं. भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने पुडुचेरी को ‘फ्रांसीसी संस्‍कृति की खिड़की’ कहा था।

अलेप्पी- भगवान की धरती पर वेनिस

शांति और फुर्सत के पलों के लिए ट्रैवलर्स की पहली पसंद अलेप्पी को पूरब का वेनिस भी कहा जाता है. यहां की नहरों और पाम के पेड़ों के बीच स्थित तालाब और हरियाली आपको मानो जवां कर देती है. केरल के पहले वेलप्लांड शहर के रूप में अलेप्पी काफी शानदार है. इस शहर में जलमार्ग के लिए कई गलियारे हैं जो एक जगह से दूसरी जगह जाने में न सिर्फ मदद करते हैं बल्कि अनोखापन भी पैदा करते हैं. अलेप्पी की यात्रा पर आप यहां के जलभराव और मनोरम दृश्यों में डूब जाएंगे. यहां के समुद्रतट, झीलें और फेमस हाउसबोट्स आपको प्रकृति की गोद में लेकर जाएंगे

जून-जुलाई की भारी बारिश के बाद का समय केरल की यात्रा के लिये मुफीद रहता है. आध्यात्मिकता से भरा हुआ अनुभव आपको ताउम्र याद रहेगा. शहर में अम्बालापुझा श्रीकृष्ण मन्दिर, मुल्लक्कल राजेश्वरी मन्दिर, चेट्टीकुलंगरा भगवती मन्दिर, मन्नारासला श्री नागराज मन्दिर जैसे कई मन्दिर और एडाथुआ चर्च, सेन्ट एन्ड्रियू चर्च, सेन्ट सेबेस्टियन चर्च, चम्पाकुलम चर्च हैं.

अपने शानदार अनुभवों की चकाचौंध में आप ‘केरल के चावल के कटोरे’ का सफर करना कतई न भूलें. गॉड्स ओन कंट्री में शानदार एक्सपीरियंस के लिए हरे-भरे खेतों व लहलहाते धान की खेती को देखने का वक्त जरूर निकालें. आपकी छुट्टियों में ये चार चांद लगा देंगे. अलेप्पी जाने का सबसे अच्छा समय नवंबर से फरवरी के बीच का है.

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कैसे पहुंचेः अलेप्पी आने के लिये आप बस, रेल या प्लेन से यात्रा कर सकते हैं. शहर में एयरपोर्ट नहीं है लेकिन कोच्चि हवाईअड्डा यहां से नजदीक है. देश के प्रमुख शहरों से यहां बस सेवा भी उपलब्ध है. नेशनल हाईवे 47 शहर के बीच से गुजरता है.

कश्मीर- भारत का स्विट्जरलैंड

कश्मीर जन्नत है, इसे हम बचपन से पढ़ते, सुनते आ रहे हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि अगर आप एक बार यहां आ गए तो बार बार आना पसंद करेंगे. यहां की खूबसूरत वादियां, ऊंचीऊंची पहाडि़यां, घाटियों के बीच में बहती झीलें, झाडि़यों से भरे जंगल, फूलों से घिरी पगडंडियां, ऐसा प्रतीत कराती हैं जैसे यह स्वप्निल स्थल हो. भारत के नक्शे में यह एक मुकुट के समान है जो हर मौसम में अपना रंग बदलता है. यहां पर खूबसूरत वादियां पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं.

यहां पूरे साल लाखों पर्यटक घूमने और अपनी छुट्टियां बिताने आते हैं यह अपनी प्राकृतिक खूबसूरतीके साथसाथ साहसिक गतिविधियों के लिए भी प्रसिद्ध है, जैसे ट्रैकिंग, राफ्ंिटग, स्कीइंग और पैराग्लाइडिंग. जम्मूकश्मीर में यों तो कई पर्यटन स्थल हैं लेकिन दुनियाभर में मशहूर पहलगाम, सोनमर्ग, पटनीटौप, गुलमर्ग, लद्दाख और कारगिल जैसी जगहें अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए दुनियाभर में मशहूर हैं. डल झील और नागिन झील यहां की प्रसिद्ध झीलें हैं. साथ ही राष्ट्रीय पार्क और द्राचिगम वन्यजीव अभयारण्य भी यहां खास हैं.

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जम्मू कश्मीर भारत का एक प्रमुख पर्यटन राज्य है. कश्मीर का श्रीनगर राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी और जम्मू शीतकालीन राजधानी है. जम्मू में पर्यटन के लिए अमर महल पैलेस संग्रहालय और डोगरा कला खास हैं जो कलाप्रेमियों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं. मुबारक मंडी पैलेस, बाहु किला और रणबीर नहर खास दर्शनीय स्थल हैं. कश्मीर के पहाड़, झील, साफ नीला पानी और सुखद जलवायु इस की प्रमुख विशेषताएं हैं. सेब और चैरी के बागान, हाउसबोट और कश्मीरी हस्तशिल्प कश्मीर घाटी की खूबसूरती को चार चांद लगाते हैं. यहां पर्यटन के कई स्थान हैं.

जम्मू कश्मीर में घूमने के लिए कभी भी जाया जा सकता है. फिर भी वहां की यात्रा के लिए सब से अच्छा समय मार्च से अक्टूबर के बीच का है. इस दौरान वहां का मौसम काफी अच्छा रहता है. तब वहां की खूबसूरती ज्यादा निखर कर सामने आती है.

यहां ठहरने के लिए कई जगहें हैं. आसपास के इलाकों में कई होटल, गैस्ट हाउस, हाउसबोट हैं. जम्मूकश्मीर नगर निगम द्वारा भी यहां कई कौटेज व बंगले बनाए गए हैं, जहां ठहरा जा सकता है. इस के अलावा कई लोगों ने अपनेअपने घरों में भी सैलानियों के ठहरने की व्यवस्थाएं कर रखी हैं.

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कैसे पहुंचे

हवाई मार्गः श्रीनगर, जम्मू और लेह इन तीनों जगहों में हवाई अड्डे हैं. अर्थात प्रमुख एअरलाइंस इन हवाई अड्डों के लिए नियमित उड़ानें संचालित करती हैं.

सड़क मार्गः दिल्ली, अमृतसर, अंबाला, चंडीगढ़, लुधियाना, जालंधर, पठानकोट, शिमला और मनाली से सड़क मार्ग द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है.

चित्रकूट झरना- भारत का नियाग्रा फॉल

प्रकृति की नियामतों में से एक नियामत पानी के झरने भी हैं. ऊंचाई से गिरते हुए पानी को देखकर मन कौतूहल से भर उठता है. सुंदर वॉटरफॉल में समय बिताना आपको यादगार पल दे सकते हैं. राजपूतों की धरती चित्तौड़गढ़ के बेस्ट टूरिस्ट अट्रैक्शन, जिन्हें जरूर देखें आप बचपन से ही हमें सिखाया गया है कि चित्रकूट फॉल को भारत का नायग्रा फॉल के रूप में जाना जाता है लेकिन क्‍या आप इस जगह की खासियत के बारे में जानते हैं और क्‍या आपको पता है कि दुनियाभर के वॉटरफॉल में सबसे खूबसूरत और शानदार क्‍यों हैं ?

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छत्तीसगढ़ के बस्‍तर जिले में स्थित आप चित्रकूट वॉटरफॉल का खूबसूरत नज़ारा देख सकते हैं. ये 95 फीट ऊंचा और 985 फीट चौड़ा है जो कि नायग्रा फॉल का एक तिहाई हिस्‍सा है. इसी कारण ये भारत का सबसे चौड़ा वॉटरफॉल है. थोड़ी दूरी से देखने पर आपको ये झरना किसी सपने से कम नहीं लगेगा और इस नज़ारे को आप अपनी जिंदगी में भी नहीं भूल पाएंगे. चित्रकूट झरना देखने का सबसे सही समय मॉनसून के मौसम यानि जुलाई से सितंबर में इस शानदार चित्रकूट वॉटरफॉल को देखने का सबसे सही समय है. कभी-कभी बारिश के बाद यहां पर आकाश में सुंदर इंद्रधनुष देखने को मिलेगा.

चित्रकूट झरने को चित्राकोट और चित्राकोट झरने के नाम से भी जाना जाता है. ये पश्चिम जगदलपुर शहर से 38 किमी दूर और राजधानी शहर रायपुर से 276 किमी दूर स्थित है. ये झरना इंद्रावती नदी पर बहता है और इसकी शुरुआत ओडिशा के पश्चिम से होती है. यह आंध्र प्रदेश में गिरता है और फिर यह गोदावरी नदी में जाकर मिल जाता है. इस नदी का प्रयोग अनेक पनबिजली विद्युत परियोजनाओं में होता है. चित्रकूट झरना, कांगड़ा घाटी राष्‍ट्रीय उद्यान में स्थित है और इस जगह पर आपको तीरथगढ़ झरना भी देखने को मिलेगा जोकि चित्रकूट से सिर्फ कुछ किलोमीटर ही दूर है. ऑफ सीज़न में ये झरना कई छोटी धाराओ में गिरता है और घोड़े की नाल के आकार में बहता है. हालांकि मॉनसून के दौरान बारिश की वजह से चट्टानों से बहने वाली नदियां एकसाथ मिल जाती हैं. ये नज़ारा बहुत शानदार होता है.

कैसे पहुंचे

वायु मार्गः रायपुर एयरपोर्ट और विशाखापट्नम एयरपोर्ट द्वारा चित्रकूट झरने तक पहुंचा जा सकता है। ये दोनों ही एयरपोर्ट यहां से 285 किमी ओर 340 किमी की दूरी पर स्थित हैं। ये दोनों एयरपोर्ट भारत शहरों जैसे बैंगलोर, हैदराबार, कोलकाता और नई दिल्‍ली से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।

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रेल मार्गः कोलकाता, विशाखापट्नम और भुवनेश्‍वर जैसे शहरों से जुड़ा है जगदलपुर रेलवे स्‍टेशन जोकि चित्रकूट झरने का सबसे निकटतम रेलवे स्‍टेशन है. चित्रकूट झरने से जगदलपुर रेलवे स्‍टेशन 38 किमी दूर है और आपको यहां से आसानी से टैक्‍सी मिल जाएगी.

सड़क मार्गः जगदलपुर छोटा शहर है लेकिन फिर भी छत्तीसगढ़ में ये बुहत लोकप्रिय है इसलिए ये शहर राज्‍य की राजधानी रायपुर से अच्‍छी तरह से जुड़ा हुआ है. पूरा राज्‍य सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है. राज्‍य सरकार द्वारा झांसी, इलाहाबाद और कानपुर आदि से यहां के लिए बसें आद‍ि भी चलती हैं जोकि सीधा आपको जगदलपुर या चित्रकूट फॉल तक ले जाएंगी.

फूलों की घाटी- एंटेलॉप वैली

फूलों की घाटी (Valley of Flowers National Park). इसे “फूलों की घाटी” नाम से जाना जाता है. यह उत्तराखंड में गढ़वाल क्षेत्र के हिमालयी जिले चमोली में स्थित है. नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान और फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान सम्मिलित रूप से विश्व धरोहर स्थल घोषित हैं. फूलों की घाटी उद्यान 87.50 किमी वर्ग क्षेत्र में फैला हुआ है. चमोली जिले में स्थित फूलों की घाटी को विश्व संगठन, यूनेस्को द्वारा सन् 1982 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया. हिमाच्छादित पर्वतों से घिरा हुआ और फूलों की 500 से अधिक प्रजातियों से सजा हुआ यह क्षेत्र बागवानी विशेषज्ञों या फूल प्रेमियों के लिए एक विश्व प्रसिद्ध स्थल बन गया. वैसे तो कहते हैं कि नंदकानन के नाम से इसका वर्णन “रामायण और महाभारत” में भी मिलता है.

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यह माना जाता है कि यही वह जगह है जहां से हनुमानजी भगवान राम के भाई लक्ष्मण के लिए संजीवनी लाए थे लेकिन स्थानीय लोग इसे “परियों और किन्नरों का निवास” समझ कर यहां आने से अब भी कतराते हैं, हांलाकि आधुनिक समय में ब्रितानी पर्वतारोही फ्रैंक स्मिथ ने 1931 में इसकी खोज की थी और तब से ही यह एक पर्यटन स्थल बन गया.

किंवदंती है कि रामायण काल में हनुमान संजीवनी बूटी की खोज में इसी घाटी में पधारे थे. इस घाटी का पता सबसे पहले ब्रिटिश पर्वतारोही फ्रैंक एस स्मिथ और उनके साथी आर एल होल्डसवर्थ ने लगाया था, जो इत्तेफाक से 1931 में अपने कामेट पर्वत के अभियान से लौट रहे थे. इसकी बेइंतहा खूबसूरती से प्रभावित होकर स्मिथ 1937 में इस घाटी में वापस आये और, 1968 में “वैली ऑफ फ्लॉवर्स” नाम से एक किताब प्रकाशित करवाई. फूलों की घाटी में भ्रमण के लिये जुलाई, अगस्त व सितंबर के महीनों को सर्वोत्तम माना जाता है.

कहा जाता है की यहाँ के फूलों में अद्भुत औषधीय गुण होते हैं और यहां मिलने वाले सभी फूलों का दवाइयों में इस्तेमाल होता है, जो हृदय रोग, अस्थमा, शुगर, मानसिक उन्माद, किडनी, लीवर और कैंसर जैसी भयानक रोगों को ठीक करने की क्षमता वाली होती हैं. यहां सैकड़ों बहुमूल्य जड़ी-बूटियां और वनस्पति पाए जाते हैं जो की अत्यंत दुर्लभ हैं और विश्व में कही और नहीं पाए जाते हैं. फूलों की घाटी , गोविंदघाट के माध्यम से हेमकुंड साहिब के रास्ते पर स्थित है. घांघरिया गांव से 2 किमी की दूरी पर स्थित, यह क्षेत्र बर्फ से ढकी पहाड़ियों से घिरा है.

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यात्री यहां सफेद और पीले अनेमोनेस, दिंथुस, कैलेंडुला, डेज़ी, हिमालय नीले अफीम और घाटी में स्नेक लिली जैसे फूलों की 300 से अधिक प्रजातियों को देख सकते हैं.

कैसे पहुंचेः फूलों की घाटी तक पहुंचने के लिए चमोली जिले का अन्तिम बस अड्डा गोविन्दघाट 275 किमी दूर है. यहां से प्रवेश स्थल की दूरी 13 किमी है जहाँ से पर्यटक 3 किमी लम्बी व आधा किमी चौड़ी फूलों की घाटी में घूम सकते हैं. जोशीमठ से गोविन्दघाट की दूरी 19 किमी है.

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