Interesting Travel Facts

Kamakhya Devi Mandir – वह मंदिर जहां एक मूर्ति की योनि (vagina) से बहता है रक्त!

Kamakhya Devi Mandir : यूँ तो भारत में कई देवी-देवताओं के मंदिर हैं जहाँ से सैकड़ों लोगों की श्रद्धा जुड़ी होती है। इन सभी मंदिरों से जुड़ी कोई न कोई कहानी भी ज़रूर होती है लेकिन एक मंदिर ऐसा भी है जिसका इतिहास और उससे जुड़ी मान्यताएं काफ़ी विचित्र हैं। असम के गुवाहाटी से लगभग 8 किलोमीटर दूर स्थित है एक ऐसा मंदिर जिसको 51 शक्ति पीठों में से सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है।

नीरांचल पर्वत पर स्थित कामाख्या मंदिर ( Kamakhya Devi Mandir ) रजस्वला माता की वजह से ज़्यादा लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करता है। आपको यह जान कर काफ़ी हैरानी होगी कि यहां चट्टान के रूप में बनी योनी से रक्त निकलता है। इस मंदिर से जुड़ी कई पौराणिक कथाएँ हैं।

ये भी पढ़ें- भारत में Aryans का वो कबीला, जहां आपस में बदली जाती हैं पत्नियां

एक कथा के अनुसार, देवी सती ने भगवान शिव से विवाह किया था जिससे देवी सती के पिता राजा दक्ष खुश नहीं थे। राजा दक्ष ने एक बार एक यज्ञ का आयोजन किया लेकिन इसमें भगवान शिव को नहीं बुलाया। सती इस बात से नाराज़ हुई और बिना बुलाये अपने पिता के घर पहुँच गयी। राजा दक्ष ने इस बात पर उनका और उनके पति भगवान शिव का बहुत अपमान किया। अपने पति का अपमान उनसे सहा नहीं गया और वो हवन कुंड में कूद गई।

ये भी पढ़ें- 10 हजार रुपये में घूमिए भारत की ये जन्नत जैसी जगहें

Kamakhya Mandir

इस बात का पता चलते ही भगवान शिव भी यज्ञ में पहुंचे और देवी सती का शव लेकर तांडव करने लगे। उन्हें रोकने के लिए भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र फैंका जिससे सती का शव 51 टुकड़ों में कट कर जगह-जगह गिर गया। जहां सती की योनि और गर्भ गिरा वहीं पर कामाख्या मंदिर (Kamakhya Mandir) बना। इस मंदिर को 16वीं सदी में नष्ट कर दिया गया था लेकिन 17वीं सदी में इस स्थान पर बिहार के राजा नारा नारायणा ने इस मंदिर का पुनः निर्माण करवाया था।

ये भी पढ़ें- बौद्ध ध्वजः सिर्फ बाइक पर ही लगाते हैं या इनका महत्व भी पता है?

इसके अलावा कामाख्या मंदिर ( Kamakhya Devi Mandir ) को लेकर एक और कथा चर्चित है। कहा जाता है कि एक बार जब काम देव ने अपना पुरुषत्व खो दिया था तब इस स्थान पर रखे देवी सती के गर्भ और योनि की सहायता से ही उन्हें अपना पुरूषत्व पुनः प्राप्त हुआ था। इसलिए इस जगह का नाम कामाख्या ( Kamakhya Devi Mandir ) पड़ा।

ये भी पढ़ें- Malana Village: यहां हैं सिकंदर के वंशज, ‘अछूत’ रहते हैं टूरिस्ट

कामाख्या देवी ( Kamakhya Devi Mandir ) को बहते रक्त की देवी भी कहा जाता है। इसके पीछे भी एक मान्यता है। माना जाता है कि यह देवी का एक मात्र ऐसा रूप है जो नियमित रूप से प्रति वर्ष मासिक धर्म के चक्र में आता है। देवी के भक्तों का मानना है कि हर वर्ष जून में कामाख्या देवी ( Kamakhya Devi Mandir ) रजस्वला होती हैं और उनके बहते रक्त से पूरी ब्रह्मपुत्र नदी का रंग लाल हो जाता है।

इस दौरान पूरे तीन दिन तक यह मंदिर बंद कर दिया जाता है लेकिन मंदिर के आसपास अम्बूवाची पर्व मनाया जाता है। इस दौरान यहाँ भारी संख्या में देश विदेश से पर्यटक आते हैं। इस दौरान यहाँ तांत्रिक, अघोरी साधु और शक्ति के पुजारी भी इस मेले में शामिल होने आते हैं।

शक्ति के उपासक, तांत्रिक और साधक नीलांचल पर्वत की गुफ़ाओं में बैठ कर साधना करते हैं और सिद्धियां प्राप्त करने की कोशिश करते हैं। यह समय उनकी तंत्र साधना के लिए सबसे उत्तम माना जाता है। कहा जाता है कि कई बड़े बड़े साधकों, तांत्रिकों और अघोरी बाबाओं ने यहां साधना कर तंत्र सिद्धि प्राप्त की है।

ये भी पढ़ें- पार्वती वैलीः जहां का गांजा इजरायलियों को भी ‘भोले का भक्त’ बना देता है!

Sadhu at Kamakhya Temple. (Photo by: India Picture/UIG via Getty Images)

इस मंदिर की एक और विचित्र बात है। यहाँ प्रसाद के रूप में रक्त में डूबा कपड़ा दिया जाता है। जब मंदिर के द्वार तीन दिन तक बंद किये जाते हैं तब मंदिर में एक सफ़ेद कपड़ा बिछा दिया जाता है जो मंदिर के पट खुलने तक लाल हो जाता है। ऐसा बताया जाता है कि वो कपड़ा देवी के रक्त से लाल ही जाता है। उसी कपड़े को इस मेले में आये भक्तों के बीच बांट दिया जाता है।

विचित्र बात यह है कि इस मंदिर में आपको देवी कामाख्या ( Kamakhya Devi Mandir ) की एक भी मूर्ति नहीं मिलेगी बल्कि यहाँ योनि रूप में बनी एक चट्टान की पूजा की जाती है। इस मंदिर में पशुओं की बाली भी दी जाती है किन्तु यहाँ किसी भी मादा पशु की बलि नहीं दी जाती। श्रद्धालु पूरी आस्था से यहाँ पूजा अर्चना करते हैं।

ये भी पढ़ें- कश्मीर जन्नत है तो गिलगित-बाल्टिस्तान भी किसी ‘चमत्कार’ से कम नहीं!

इन सभी मान्यताओं से परे कुछ लोगों का कहना है कि पर्व के दौरान लोग भारी मात्रा में सिंदूर को ब्रह्मपुत्र नदी में डालते हैं इसलिए नदी का रंग लाल हो जाता है। इस दौरान बहुत सारे जानवरों की बाली चढ़ाने के कारण भी उनके रक्त से नदी लाल हो जाती है।

विडंबना की बात है कि एक और तो हमारे समाज में रजस्वला स्त्री को अपवित्र माना जाता है। उसे उस समय पूजा पाठ से वंचित रखा जाता है वहीं दूसरी ओर मासिम धर्म के दौरान कामाख्या देवी को सबसे पवित्र माना जाता है और उसकी पूजा की जाती है। यह भी अपने आप में एक विचित्र बात है।

ये भी पढ़ेंं- लद्दाख का सफरः जब हमें मौत के मुंह से खींच लाया ITBP का एक जांबाज!

कामाख्या मंदिर कैसे पहुंचा जाए?

हवाई मार्ग: गुवाहाटी से नज़दीक होने के कारण कामाख्या मंदिर आसानी से पहुँचा जा सकता है। गुवाहाटी तक हवाई, रेल और सड़क मार्ग के ज़रिए आराम से पहुंचा जा सकता है। यहाँ का निकटतम हवाई अड्डा गुवाहाटी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है। भारत के लगभग सभी शहरों से फ्लाइट इस हवाई अड्डे तक आती है। यहाँ से कामाख्या मंदिर तक आप टैक्सी या बस से पहुंच सकते हैं।

रेल मार्ग: मंदिर से नज़दीकी दो रेलवे स्टेशन हैं- गुवाहाटी रेलवे स्टेशन और कामाख्या रेलवे स्टेशन। यहाँ लगभग सभी बड़े शहरों से ट्रेन से पहुंचा जा सकता है।

ये भी पढ़ें- विज्ञान को चैलेंज करता है मेंहदीपुर बालाजी धाम | दरबार में भूतों को मिलती है थर्ड डिग्री | दर्शन नियम

बस मार्ग: इस जगह के नज़दीक मुख्य रूप से तीन बस अड्डे हैं- ISBT गुवाहाटी, अडबरी और पल्टन बाज़ार। असम और पास के राज्यों के लगभग सभी शहरों से ये तीनों बस अड्डे जुड़े हुए हैं।

हवाई, रेल और सड़क मार्ग के द्वारा सुगमता से यहाँ पहुंचे जाने के कारण भारी संख्या में लोग यहाँ साल भर आते रहते हैं।

Recent Posts

Bandipore Travel Blog : जानें, जम्मू-कश्मीर के बांदीपुर जिले के बारे में सबकुछ

Bandipore Travel Blog :  बांदीपुर जिला (जिसे बांदीपुरा या बांदीपुर भी कहा जाता है) कश्मीर… Read More

1 hour ago

Anantnag Travel Blog : अनंतनाग में घूमने की ये 19 जगहें हैं बहुत फेमस

Anantnag Travel Blog : अनंतनाग जम्मू और कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश के सबसे खूबसूरत… Read More

19 hours ago

Chhath Puja 2024 Day 3 : जानें, सूर्यास्त का समय, पूजा अनुष्ठान, महत्व और अधिक

Chhath Puja 2024 Day 3 : छठ पूजा कोई त्योहार नहीं है लेकिन इस त्योहार… Read More

24 hours ago

High Uric Acid Control : हाई यूरिक एसिड से हैं परेशान, सुबह खाली पेट खाएं ये सफ़ेद चीज़

High Uric Acid Control : लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों से जूझ रहे लोगों में हाई… Read More

2 days ago

Kharna puja 2024 : इस चीज के बिना अधूरी है खरना पूजा, जानिए 36 घंटे के निर्जला व्रत की विधि

 Kharna puja 2024 : चार दिवसीय महापर्व छठ के दूसरे दिन खरना मनाया जाता है.… Read More

2 days ago

Chhath Puja 2024 : 36 घंटे के व्रत के दौरान इन महत्वपूर्ण नियमों का पालन करें

Chhath Puja 2024 :  महापर्व छठ 5 नवंबर को नहाय खाय के साथ शुरू हो… Read More

2 days ago