Shani Shingnapur Village : एक ऐसे गांव की कल्पना करें जहां घरों में आगे के दरवाजे न हों, दुकानों को हमेशा खुला छोड़ दिया जाता है और स्थानीय लोग कभी असुरक्षित महसूस नहीं करते हो.यह भारत के महाराष्ट्र राज्य में शनि शिंगनापुर की कहानी है, जहां गांव के संरक्षक माने जाने वाले शनि के देवता भगवान शनि में उनकी अटूट आस्था के कारण ग्रामीणों ने सुरक्षा का भरोसा दिया.
बिना दरवाजों के घरों वाला यह गांव महाराष्ट्र में है जिसका नाम शनि शिंगणापुर है. यह गांव महाराष्ट्र में ही नहीं बल्कि पूरे देश में अपने अनोखे घरों के लिए जाना जाता है. इस गांव में रहने वाले लोग चाहे किसी भी धर्म के हों, लेकिन सभी के घरों में ऐसा ही माजरा देखने को मिलता है और तो और यहां के लोगों को अपने सामान की भी चिंता नहीं रहती कि बिना दरवाजे के कोई घर में घुस कर चोरी कर ले, लेकिन यहां कोई चोरी होती ही नहीं.
इस गांव के लोगों द्वारा घरों में दरवाजे नहीं के पीछे कारण यहां विराजमान शनि महाराज का होना है. लोगों का मानना है कि शनि महाराज ही उनके घरों की रक्षा करते हैं. वहीं शनि महाराज के कोप के चलते यहां कोई चोर फटकता तक नहीं. ऐसा यहां पर पिछले 350 सालों से होता आ रहा है.
यहां के निवासियों के मुताबिक आज से करीब 350 साल पहले इस गांव में जबरदस्त बरसात हुई थी जिसमें सभी घरों के दरवाजे बह गए थे. उसी बारिश के दौरान एक 5 फुट से भी बड़ी और 1 फुट चौड़ी काले पत्थर की शिला बहकर आई. यह शिला गांव के किनारे स्थित एक पेड़ के सहारे खड़ी हो गई. इसे गांव के चरवाहों ने देखा और वहां से हटाना चाहा तो इसमें से खून बहने लगा तो वैसे ही छोड़ दिया.
एक गांव हो गया खंडहर में तब्दील, लोग कहते हैं भूतिया गांव
इसके बाद शनि महाराज किसी सपने में आए कहा कि किसी भी घर में दरवाजा लगाने की जरूरत नहीं यहां कोई डर नहीं इसके बाद लोगों ने इसे भगवान शनि की प्रतिमा मानकर पूजना शुरू कर दिया और मंदिर बना दिया. माना जाता है कि यहां शनि महाराज अब तक कई चमत्कार भी दिखा चुके हैं. शनि महाराज का पूरे गांव में पहरा रहता है और वो ही इनके घरों की रक्षा करते हैं.
शनि शिंगणापुर गांव में करीब तीन हजार जनसंख्या है और यहां पर किसी के भी घर में दरवाजा नहीं है. साथ ही कुंडी और कड़ी भी घरों में नहीं है. यही नहीं, लोगों के घरों में अलमारी और सूटकेस जैसी चीजें भी नहीं हैं. लोगों का कहना है कि ऐसा शनि भगवान की आज्ञा से किया जाता है. लोग अपने घरों में किसी भी तरह की महंगी वस्तु, गहने, कपड़े, रुपये आदि के लिए डिब्बे या थैली का इस्तेमाल करते हैं. इस गांव में केवल पशुओं की रक्षा के लिए बांस का ढकना दरवाजे पर लगाया जाता है.
गांव में एक डाकघर और एक हाई स्कूल है जिसे श्री शनीश्वर विद्या मंदिर के अलावा जिला परिषद द्वारा संचालित प्राथमिक विद्यालयों के रूप में जाना जाता है. गांव में पानी की आपूर्ति का मुख्य स्रोत कुएं हैं.
उतराखंड में बसा खिर्सूू घूमने के लिहाज से है बेहद खूबसूरत जगह
जनवरी 2011 में, यूनाइटेड कमर्शियल (UCO) बैंक ने गांव में एक ‘लॉकलेस’ शाखा खोली गई थी. स्थानीय पुलिस को इस विकास से नाखुश होने की सूचना मिली थी और यह शर्तों का उल्लंघन था, क्योंकि भारत की केंद्र सरकार ने सभी बैंकों को उच्च सुरक्षा के लिए अनिवार्य कर दिया है. बैंक में दरवाजे हैं, लेकिन वे हमेशा खुले रहते हैं. हालांकि, स्थानीय विधायक और बैंक अधिकारियों द्वारा बताया गया कि लॉकर्स और महत्वपूर्ण दस्तावेजों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त सावधानी बरती जा रही है.
इस मंदिर में काले रंग की मूर्ति है जो स्वयंभू है. यह मूर्ति 5 फुट 9 इंच ऊंची है. साथ ही 1 फुट 6 इंच चौड़ी है. यह संगमरमर के एक चबूतरे पर स्थित है. यह धूम में विराजमान है. यहां शनिदेव अष्ट प्रहर धूप हो, आंधी हो, तूफान हो या जाड़ा हो, यह मूर्ति हर मौसम में बिना छत्र धारण किए खड़ी रहती है. इस मूर्ति के दर्शन करने हजारों-लाखों भक्त हर दिन यहां आते हैं.
हिन्दू धर्म में मान्यता है कि कोबरा का काटा और शनि का मारा पानी नहीं मांगता.जब शनिदेव की दृष्टि व्यक्ति पर शुभ होती है तो रंक को राजा बनते देर नहीं लगती. वहीं, जब शनि की दृष्टि अशुभ होती है तो व्यक्ति राजा से रंक बन जाता है. लेकिन गौर करने वाली बात यह है कि यह ग्रह मूलतः आध्यात्मिक है. महर्षि पाराशर ने बताया कि जिस अवस्था में शनि होगा उसका फल वैसा ही होगा. शनिदेव को नवग्रहों में सर्वश्रेष्ठ कहा जाता है. श्री शनि देवता अत्यंत जाज्वल्यमान और जागृत देवता माने जाते हैं. शनि शिंगणापुर में हर वर्ग का व्यक्ति अपना माथा टेकता है.
शनिवार के दिन जो भी अमावस आती है या फिर हर शनिवार को दूर-दराज से भक्त शनि शिंगणापुर के दर्शन करने आते हैं. यहां पर शनिदेव की पूजा और अभिषेक किया जाता है. हर दिन सुबह 4 बजे एवं शाम 5 बजे इस मंदिर में आरती होती है. शनि जयंती के दिन जगह-जगह से प्रसिद्ध ब्राह्मणों को बुलाकर ‘लघुरुद्राभिषेक’ कराया जाता है.
Bandipore Travel Blog : बांदीपुर जिला (जिसे बांदीपुरा या बांदीपुर भी कहा जाता है) कश्मीर… Read More
Anantnag Travel Blog : अनंतनाग जम्मू और कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश के सबसे खूबसूरत… Read More
Chhath Puja 2024 Day 3 : छठ पूजा कोई त्योहार नहीं है लेकिन इस त्योहार… Read More
High Uric Acid Control : लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों से जूझ रहे लोगों में हाई… Read More
Kharna puja 2024 : चार दिवसीय महापर्व छठ के दूसरे दिन खरना मनाया जाता है.… Read More
Chhath Puja 2024 : महापर्व छठ 5 नवंबर को नहाय खाय के साथ शुरू हो… Read More