Kathua Travel Blog : कठुआ (Kathua) भारत के जम्मू-कश्मीर में स्थित एक म्युनिसिपल काउंसिल है. देश में लगभग ज्यादातर लोग कठुआ को इसी रूप में पहचानते हैं. हालांकि कठुआ शब्द की उत्पत्ति ठुआं से हुई जो एक डोगरी शब्द है और इसका मतलब स्कोर्पीन होता है. कुछ मानते हैं कि ये शब्द ऋषि कश्यप से मिला है जिन्होंने कठिन तपस्या के लिए खुद को कछुआ बना दिया था. अंदोत्रा कबीले के जोध सिंह के बारे में कहा जाता है कि सबसे पहले वही हस्तिनापुर से कठुआ कुछ 2 हजार साल पहले आए थे. उनके तीन बेटों ने यहां तीन गांव बसाए जिनके नाम तरफ तजवाल, तरफ मंजाली और तरफ भजवाल था. ये गांव बाद में आधुनिक कठुआ का हिस्सा बन गए. कठुआ का सूफियों का शहर या दौलत औलिया भी कहा जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि यहां बड़ी संख्या में सूफी दरगाह और पीर हैं. ये शहर राज्य में प्रवेशद्वार भी है और एक बड़ा इंडस्ट्रियल टाउन और सेना की बड़ी मौजूदगी यहां साफ दिखाई देती है. सैटलाइट टाउनशिप लखनपुर (जे एंड के) के साथ और पड़ोसी जिसे पठानकोट (पंजाब में) को मिलाकर कठुआ-पठानकोट दो शहरी इलाके बन जाते हैं.
कठुआ समुद्री तट से 1007 फीट की ऊंचाई पर है. ये शहर 3 नदियों से घिरा हुआ है. रावी नदी यहां से 7 किलोमीटर दूर है जबकि ऊज्झ 11 किमी आगे जम्मू हाइवे से मिलती है. कठुआ खुद खाद नदी के किनारे बसा हुआ है. शहर के कई हिस्से मैदानी हैं जबकि बसोली और बिल्लावर की तहसील काफी पहाड़ी है. कठुआ राज्य की शीतकालीन राजधानी जम्मू से 88 किलोमीटर दूर है.
कठुआ जनसंख्या के हिसाब से राज्य का चौथा सबसे बड़ा शहर है. कठुआ से आगे श्रीनगर (आबादी-11,77,253), जम्मू (आबादी-9,51,373) और अनंतनाग (आबादी-2,08,312) है. ये आंकड़े 2011 की जनगणना पर आधारित हैं. कठुआ शहर की आबादी 1,91,988 है. यहां का सेक्स रेशियो 853 महिलाएं/1 हजार पुरुष है. ग्रामीण इलाकों से पलायन और पहाड़ी कस्बों से लोगों के यहां आ जाने के बाद से कठुआ की आबादी तेजी से बढ़ी है. बसोली तहसील में रंजीत सागर डैम का निर्माण भी इसकी अहम वजह है.
कठुआ शहर की अधिकतर आबादी हिंदू है. यहां 87 फीसदी हिंदू हैं जबकि 5.75 फीसदी सिख. मुस्लिमों और इसाइयों की आबादी क्रमशः 3.68 और 3.57 फीसदी है. यहां की आबादी में डोगरा वंश के 88 फीसदी लोग हैं वहीं, नेपाली प्रवासी 7 फीसदी और बंगाली 2 फीसदी है. उर्दू यहां एक आधिकारिक भाषा है.
कठुआ जम्मू से 80 किलोमीटर दूर है और कटरा से इसकी दूरी 120 किलोमीटर है. बसोली यहां से 72 किलोमीटर दूर है. कठुआ में लंबी दूरी के लिए बसें और छोटी दूरी के लिए मेटाडोर परिवहन का अहम साधन है. यहीं साधन कठुआ को आसपास के गांवों से भी जोड़ते हैं. कठुआ से जम्मू की यात्रा लगभग डेढ़ घंटे की है. कठुआ से जम्मू के लिए वीडियो कोच बसें भी उपलब्ध रहती हैं. सुबह 5 बजे से रात 9 बजे तक ये बसें मिलती हैं. कठुआ से जम्मू और पठानकोट के लिए रेल लिंक भी मौजूद है. कठुआ का रेलवे स्टेशन गोबिंदसर में है जो सिटी सेंटर से 4 किलोमीटर दूर है. कठुआ में दो बस अड्डे हैं. कठुआ से लगता एयरपोर्ट यहां से 17 किलोमीटर दूर पठानकोट में है. विस्तारा एयरलाइंस और एलायंस एयरवेज ने 2017 में अपनी फ्लाइट्स यहां से शुरू की थीं.
कठुआ एक तरफ तो मंदिरों, जैसे धौला वाली माता, जोदि-दी-माता, आशापूर्णी मंदिर आदि के लिए मशहूर है तो दूसरी तरफ ये बर्फ से ढके पर्वतों और अपनी नासर्गिक सौंदर्यता के लिए भी जाना जाता है.
समुद्र तल से 6000 फीट की ऊंचाई पर स्थित धौला वाली माता मंदिर एक धार्मिक केंद्र के रूप में जाना जाता है. नवरात्र के दिनों में यहां भक्तों की भारी भीड़ जुटती है. ऐसी मान्यता है कि एक बार किसी पानी के जहाज की देखरेख करने वाले को स्वप्न आया कि माता उसे मांधी धर में बुला रही है. ये आदमी स्वप्न देखने के बाद मांधी धर जाता है यहां देवी उसे कन्या के रूप में दर्शन देती है. इसके बाद ये आदमी देवी की उपासना लगता है. यहां उसकी उपासना के बीच एक दौर ऐसा भी आता है जब भारी बर्फबारी होनी शुरू हो जाती है. इस परेशानी को देख माता कहती है कि वह उस जगह जा रही है जहां धौली वाली माता स्थित हैं. इसी के बाद इस शख्स ने वहां मंदिर का निर्माण कराया.
हर साल नवरात्रि पर हजारों की संख्या में भक्त जोदि-दि-माता के दर्शन के लिए आते हैं. कठुआ के बंजल से 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह मंदिर समुद्री तल से लगभग 7 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है. यह एक खूबसूरत स्थान है जो कि अपनी प्राकृतिक सुंदरता के कारण पर्यटकों को अधिक आकर्षित करता है.
यह स्थान समुद्र तल से 7 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है. यह बहुत ही खूबसूरत घाटी है. इसकी चौड़ाई एक किलोमीटर और लंबाई 5 किलोमीटर है. चीड़, देवदार के पेड़ से घिरे इस घाटी के दोनों तरफ से नदियां बहती हैं. सर्दियों में अधिक ठंड और गर्मियों में खुशनुमा मौसम होने की वजह से यह जगह टूरिस्टों को अपनी ओर खींचती है. यहां एक पुराना नाग मंदिर भी है. यहां से हर साल यात्रा कैलाश कुंड तक जाती है.
यह एक बेहद खूबसूरत घास का मैदान है. समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 7000 फीट की है. 6 महीने तक यह जगह बर्फ से ढकी रहती है. पर्यटक यहां भी भारी संख्या में आते हैं. सरथाल बानी से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.
बानी एक छोटी ग्लेशियर घाटी है. समुद्री तल से इसकी ऊंचाई 4200 फीट है. यह मिनी कश्मीर के नाम से भी मशहूर है. भद्रवाह, चम्बा आदि से आने वाले ट्रैकर्स के लिए यहां एक आधार शिविर का बंदोबस्त भी किया गया है. इसके साथ ही यहां के झरने, नदियां, जंगल और विशाल घास के मैदान भी पर्यटकों को अपनी ओर खींचते हैं.
धार महानपुर || Dhar Mahanpur
हिमालय के मध्य में स्थित धार महानपुर खूबसूरत टूरिस्ट प्लेस है. यह जगह कठुआ जिले के बसौहली से 27 किलोमीटर दूर है. चीड़ और देवदार के घने जंगलों से घिरी यह जगह अपनी सुंदरता के कारण अधिक चर्चित है. यहां का मौसम सर्दियों के दौरान ठंडा रहता है जबकि गर्मियों में सुहावना. इसके अलावा राज्य सरकार के पर्यटन विभाग द्वारा यहां पर्यटकों के लिए अनेक प्रोग्राम भी चलाए जाते हैं.
कठुआ जिले के शिवालिक पर्वतमाला पर स्थित है माता सुंदरीकोट मंदिर. यह समुद्र तल से 1000 मीटर की ऊंचाई पर है. यह जगह भिलवाड़ से लगभग 7 किलोमीटर दूर है. ऊंचे पहाड़ पर स्थित माता सुंदरीकोट मंदिर के निकट ही बेर का पौधा है. ऐसी मान्यता है कि देवी की प्रतिमा इसी जगह पर मिली थी. माता सुंदरीकोट मंदिर कठुआ से लगभग 22 किलोमीटर दूरी है.
आशा पूर्णी मंदिर देवी दुर्गा को समर्पित है. यह कठुआ जिले के प्रमुख मंदिरों में से एक है. इस मंदिर को भगत छज्जू राम ने 1949 ई. में निर्मित करवाया था. पौराणिक मान्यता है कि यही वह स्थान है जहां भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र द्वारा देवी की राख बिखेरी गई थी. इसके पश्चात इस जगह आशा पूर्णी मंदिर निर्मित हुआ.
कठुआ जिले के शिवालिक पर्वत पर स्थित माता बालाजी सुंदरी मंदिर ऐतिहासिक मंदिरों में से है. ऐसी मान्यता है कि यह मंदिर लगभग 200 साल पहले बना था. यह मंदिर समुद्र तल से 5000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. ऐसी किवदंती है कि एक ब्राह्मण एक दिन घास काट रहा था. घास काटते वक्त उसकी दराती पत्थर पर लग जाती है. इसके बाद पत्थर में से खून रिसने लगता है. ब्राह्मण उस पत्थर को एक बरगद के वृक्ष के नीचे रख देता है और उसकी पूजा करनी शुरू कर देता है. इसी शिला को मंदिर में मूर्ति में रूप में रखा गया है. हर साल नवरात्रि पर यहां बड़े मेले का आयोजन होता है.
Chhath Puja 2024 Day 3 : छठ पूजा कोई त्योहार नहीं है लेकिन इस त्योहार… Read More
High Uric Acid Control : लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों से जूझ रहे लोगों में हाई… Read More
Kharna puja 2024 : चार दिवसीय महापर्व छठ के दूसरे दिन खरना मनाया जाता है.… Read More
Chhath Puja 2024 : महापर्व छठ 5 नवंबर को नहाय खाय के साथ शुरू हो… Read More
Dev Diwali 2024: देव दिवाली हिंदू महीने कार्तिक की पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है.… Read More
Cashews Quality Check : काजू सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं, वहीं मिलावटी काजू… Read More