मेघालयः एशिया का सबसे स्वच्छ गांव, जो भारत के शहरों को मुंह चिढ़ाता है
आपकी नजर में भारत के किसी गांव की कैसी तस्वीर बनी हुई है. छोटे छोटे मकान, एक छोटी सी नदी, हल चलाते किसान… क्या कुछ ऐसी ही? बचपन में दादी-नानी की कहानियों ने गांव को दिमाग में इस रूप में शायद बसा दिया हो लेकिन भारत का एक गांव है जिसकी तस्वीर इससे अलग नहीं बल्कि बहुत अलग है. यहां एक चीज है जो देश के ज्यादातर गांव में न हो, वह है स्वच्छता. दिल्ली-मुंबई जैसे बड़े शहरों को मुंह चिढ़ा रहे इस गांव का नाम है मावल्यान्नांग (Mawlynnong). यह मेघालय में स्थित है.
भारत की यात्राओं से जुड़ी रोचक पोस्ट पढ़ने के लिए हमारा फेसबुक पेज Like करें
मावल्यान्नांग (Mawlynnong) गांव को देखकर आपको गर्व का अहसास होगा. मावल्यान्नांग (Mawlynnong) गांव मेघालय की राजधानी शिलॉन्ग से 90 किलोमीटर दूर है. मावल्यान्नांग (Mawlynnong) गांव में प्लास्टिक की थैलियों पर पूरी तरह से प्रतिबंध हैं. यहां के रास्ते और सड़क पूरी तरह साफ दिखाई देते हैं. यहां के पेड़ पौधों का रंग निखरा हुआ है क्योंकि यहां प्रदूषण नहीं है. यहां कई ऐसी खूबियां है जो इसे एशिया का सबसे स्वच्छ गांव बनाती हैं.
ये भी पढ़ें- मैकलॉडगंजः भारतीयों की ‘आदत’ ने जिस शहर को बिगाड़ दिया…
मावल्यान्नांग (Mawlynnong) की तस्वीरें देखकर आपको लगेगा कि ये यूरोप या अमेरिका की कोई जगह है लेकिन यकीन मानिए ये भारत का ही एक गांव है. मावल्यान्नांग (Mawlynnong) गांव को एशिया के सबसे स्वच्छ गांव का सम्मान हासिल है. मावल्यान्नांग (Mawlynnong) गांव भारत के उत्तर-पूर्वी हिस्से में बसा हुआ है. यह मेघालय राज्य के घने जंगलों के बीच है. हम आपसे यही कहना चाहेंगे कि अगर आप उत्तर पूर्व या मेघालय की यात्रा पर हैं तो मावल्यान्नांग (Mawlynnong) जरूर जाएं.
मावल्यान्नांग (Mawlynnong) गांव की न सिर्फ तस्वीर आपको हैरान कर देगी बल्कि आप यहां पर स्वच्छता और सफाई की जो अनुभूति पाएंगे उसे ताउम्र नहीं भूल पाएंगे. यहां के घने पेड़, बांस के घर और सुंदरता देख आपके मन में यह विचार भी आ सकता है कि आप यहीं बस जाएं.
ये भी पढ़ें- लद्दाख का सफरः जब हमें मौत के मुंह से खींच लाया ITBP का एक जांबाज!
मावल्यान्नांग (Mawlynnong) गांव मेघालय की राजधानी शिलॉन्ग से 90 किलोमीटर दूर भारत-बांग्लादेश की सीमा पर बसा हुआ है. 2011 की जनगणना के मुताबिक गांव में 82 परिवार थे. गांव में साक्षरता की दर 100 फीसदी है. यहां का मुख्य व्यवसाय कृषि है. गांववाले मुख्यतः सुपारी की खेती करते हैं. गांव की कुल आबादी 500 से थोड़ी अधिक है.
मावल्यान्नांग (Mawlynnong) गांव में खासी जनजातीय कबीला रहता है. हर सुबह महिलाओं का एक दल, जिसमें से हर किसी को 3 डॉलर यानी 200 रुपये, रोज के दिए जाते हैं, स्वच्छता के लिए गांव में निकलता है. किसी हीरे जैसा चमकता ये गांव अनोखा है. यहां हर घर के बाहर बगीचा है और आप हर 50 फीट की दूरी पर बांस के कूड़ेदान जरूर देखेंगे.
ये भी पढ़ें- भारत में ही कर लें World Tour, यहां है घुमक्कड़ी का ‘छिपा खजाना’
कोलकाता के उत्तम अपने परिवार के साथ 20 घंटों से भी अधिक की यात्रा के बाद यहां पहुंचे थे. यहां आकर उन्होंने यही अनुभव साझा किया- यह खूबसूरत है, हमने जिंदगी में इससे पहले कभी इतनी खूबसूरत जगह नहीं देखी है.
मावल्यान्नांग (Mawlynnong) की चर्चा उसकी स्वच्छता के लिए ही अधिक होती है. गांव में कचरे को बांस के कूड़ेदान में एकत्रित किया जाता है फिर गड्ढे में डालकर उससे खाद बनाई जाती है. ट्रेवल मैगजीन डिस्कवर इंडिया ने इस गांव को 2003 में एशिया का सबसे स्वच्छ गांव बताया था. 2005 में इस गांव को देश का सबसे स्वच्छ गांव बताया गया था.
ये भी पढ़ें- Hauz Khas Village की कहानी: देश का सबसे अमीर गांव, जहां ‘तबेले’ में खुला था पहला बुटीक!
तमिलनाडु से यहां आपने परिवार के साथ आई अनीता बालू ने बताया कि हमने पर्यावरण को तहस-नहस कर दिया लेकिन ये उसे संवार रहे हैं. इस गांव में डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारियां कभी सामने नहीं आती हैं. 5 हजार फीट की ऊंचाई पर बसे होने की वजह से इसे इससे निपटने में सहायता भी मिलती है.
मावल्यान्नांग (Mawlynnong) गांव में इस स्वच्छता के लिए श्रेय पूरी तरह गांववालों को ही जाता है. वह अपने स्वयं सहायता समूहों के जरिए गांव को स्वच्छ रखने में मुख्य भूमिका निभा रहे हैं. वह किसी भी तरह की बाहरी मदद पर आश्रित नहीं हैं. वह महसूस करते हैं कि यह उनका कर्तव्य है और वह अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति के बल पर ही ऐसा कर सकते हैं.
आप देख सकते हैं कि गांव में सभी वॉकवे को फूलों से सजाया गया है. खूबसूरत ऑर्चिड हर तरफ पेड़ों की खूबसूरती बढ़ाते दिखाई देते हैं. यहां आकर आप इस सोच में पड़ सकते हैं कि ये कोई गांव है या बॉटनिकल गार्डन?
कैसे पहुंचे मावल्यान्नांग (Mawlynnong)
मावल्यान्नांग (Mawlynnong) शिलॉन्ग से 90 किलोमीटर दूर है जबकि चेरापूंजी से इसकी दूरी 92 किलोमीटर की है. मेघालय में शिलॉन्ग एयरपोर्ट यहां का नजदीकी हवाईअड्डा है. आप शिलॉन्ग हवाईअड्डे से यहां सड़क मार्ग के जरिए पहुंच सकते हैं. मावल्यान्नांग (Mawlynnong) पहुंचने का सबसे बेहतर रास्ता सड़क मार्ग ही है.
ये भी पढ़ें- बौद्ध ध्वजः सिर्फ बाइक पर ही लगाते हैं या इनका महत्व भी पता है?
मावल्यान्नांग (Mawlynnong) में कहां ठहरें
मावल्यान्नांग (Mawlynnong) में ठहरने के लिए आपके पास ट्री हाउस के बेहतर विकल्प रहते हैं. हालांकि आपको इसके लिए अडवांस बुकिंग की जरूरत होती है और गांव के मुखिया को पहले ही इसकी जानकारी देनी होती है.
मावल्यान्नांग (Mawlynnong) में और खास क्या है
ट्रेकिंगः मावल्यान्नांग (Mawlynnong) प्रकृति प्रेमियों के लिए स्वर्ग जैसी जगह है. हालांकि अडवेंचर लवर्स को भी यहां आकर निराशा नहीं होगी. मावल्यान्नांग (Mawlynnong) में ट्रेकिंग के बेहर अवसर हैं. यहां के झूलते पुल आम से लगते हैं लेकिन हैं अडवेंचरस, ये जगह हर किसी को अपनी तरफ खींचती है.
ये भी पढ़ें- 10 हजार रुपये में घूमिए भारत की ये जन्नत जैसी जगहें
स्काईवॉक
80 फीट की ऊंचाई पर बना मचान आपको एक अलग दुनिया में लेकर जाता है. यहां आकर आप न सिर्फ जंगल की सुंदर झलकियां देख सकते हैं बल्कि बांग्लादेश की घाटी को भी निहार सकते हैं.
गांव का विलेज टूर आपको यह बताता है कि कैसे गांव के स्वयं सहायता समूहों का छोटा सा प्रयास पर्यावरण को स्वच्छ और हरा भरा रखने में मददगार साबित हो सकता है. यहां छोटे छोटे झरने किसी जादुई दुनिया में होने का आभास कराते हैं. हम आशा करते हैं कि जो भी लोग यहां जाएंगे स्वच्छता का न सिर्फ पालन करेंगे बल्कि वापस लौटते वक्त सफाई का संदेश भी लेकर आएंगे.
भारत की यात्राओं से जुड़ी रोचक पोस्ट पढ़ने के लिए हमारा फेसबुक पेज Like करें
तो बताइए कब जा रहे हैं आप मावल्यान्नांग (Mawlynnong)?