What is Neo Metro: दिल्ली में मेट्रो की मजेंटा लाइन पर पहली ड्राइवरलेस ट्रेन की शुरुआत पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि देश में नियो मेट्रो चलाई जाएगी. उन्होंने कहा था कि छोटे शहरों में यह मेट्रो दौड़ेगी. अब खबर आई है कि दिल्ली सहित एनसीआर के शहरों में जल्द इस सर्विस पर काम शुरू हो सकता है. आइए जानते हैं कि क्या होती है नियो मेट्रो और कैसे यह आम मेट्रो ट्रेन से अलग है.
डीएमआरसी ने कीर्ति नगर से द्वारका (बमनौली) के 19 किलोमीटर लंबे रूट पर नियो मेट्रो को चलाने की तैयारी की है. अगले कुछ सालों में दिल्ली-एनसीआर के लाखों यात्री मेट्रो नियो के जरिये अपना सफर कर सकेंगे. दिल्ली जल्द ही देश का ऐसा पहला शहर बन जाएगा, जहां पर मेट्रो नियो रफ्तार भरेगी. आइए जानते हैं कि नियो मेट्रो की खूबियां क्या हैं
मेट्रो नियो एक तरह से बस की तरह दिखाई देती है. इसे ट्राम की तरह ओवरहेड वायर से बिजली मिलती है और यह बेहद स्मूथ चलती है. मेट्रो नियो का संचालन इसलिए भी डीएमआरसी के लिए किफायती साबित होगा, क्योंकि इसके निर्माण से लेकर संचालन तक पर खर्च भी कम आएगा.
दरअसल, राजधानी दिल्ली में मेट्रो नियो को दौड़ाने के लिए कॉरिडोर में अलग से स्लैब बनाना होगा. साधारण मेट्रो ट्रेन की तरह मेट्रो नियो में लोहे के नहीं, बल्कि बसों की तरह रबर वाले पहिए होंगे. इससे यह रफ्तार भी तेजी से पकड़ेगी, लेकिन बताया जा रहा है कि इसकी गति सामान्य मेट्रो की तुलना में कम रहेगी.
मेट्रो नियो में डीएमआरसी के बनाए लोहे के ट्रेक पर चलाना संभव नहीं है. इसके लिए अलग से एक डेडिकेटेड कॉरिडोर बनाया जाएगा. यह सड़क पर मेट्रो और बाकी ट्रैफिक साथ-साथ चलाई जा सकेगी.
मेट्रो स्टेशन की तरह यहां पर स्टेशन बनेंगे, लेकिन ये मेट्रो स्टेशनों से बिल्कुल अलग होंगे. दरअसल, नियो के स्बटेशन, स्टॉप की तरह होंगे. सबसे बड़ी बात यह है कि इसकी लागत बेहद कम होगी.
दिल्ली मेट्रो रेल निगम फिलहाल दिल्ली-एनसीआर में 6 और 8 कोच की मेट्रो दौड़ा रहा है. वहीं मेट्रो नियो में सिर्फ 3 कोच होंगे. नियो मेट्रो का हर कोच 12 मीटर लंबा औऱ तकरीबन 3 मीटर चौड़ा होगा. वहीं, इसकी सड़क से ऊंचाई 300-355 मिमी होगी. ऐसे में हादसे का कम से कम खतरा होगा.
गौरतलब है कि मेट्रो नियो रेल की खूबियों की वजह से यह केंद्र सरकार को भी पसंद आ रही है. बताया जा रहा है कि इस योजना के अनुसार उन शहरों में मेट्रो नियो चलाई जाएगी, जहां की आबादी तकरीबन 5 लाख होगी.
नियो मेट्रो की सबसे बड़ी खूबी यह है कि निर्माण, संचालन और मेंटेनेंस की लागत दिल्ली में चल रही सामान्य मेट्रो से काफी होगी. वहीं, इसका मुनाफा इसकी लागत से दोगुना होगा. इसी के साथ यह योजना केंद्र सरकार के पास होगी. इस तरह यह दिल्ली में चलाई जा सकेगी, क्योंकि दिल्ली मेट्रो रेल निगम केंद्र के तहत है.
1. मेट्रो नियो सिस्टम रेल गाइडेड सिस्टम है, जिसमें रबड़ के टायर वाले इलेक्ट्रिक कोच होंगे.
2. इसके कोच स्टील या एल्युमिनियम के बने होंगे. इसमें इतना पावर बैकअप होगा कि बिजली जाने पर भी ट्रेन 20 किमी चल सकेगी.
3. सामान्य सड़क के किनारों पर फेंसिंग करके या दीवार बनाकर इसका ट्रैक तैयार किया जा सकेगा.
4.इसमें ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम होगा, स्पीड लिमिट भी नियंत्रण में रहेगी.
5. इसमें टिकट का सिस्टम क्यू आर कोड या सामान्य मोबिलिटी कार्ड से होगा.
6. इसके ट्रैक की चौड़ाई 8 मीटर होगी. जहां रुकेगी, वहां 1.1 मीटर का साइड प्लेटफॉर्म होगा. आईसलैंड प्लेटफॉर्म चार मीटर चौड़ाई का होगा.
7. मेट्रो नियो की खूबी यह है कि इसमें मेट्रो नियो या मेट्रो लाइट के लिए 200 करोड़ तक का ही खर्च आएगा.
मेट्रो नियो सेवा में इलेक्ट्रिक बस कोच होते हैं. एक बार में 250 यात्रियों की वहन क्षमता वाले कोच की लंबाई 18 से 25 मीटर तक होती है. इन बसों में रबर के टायर होते हैं और रेलवे या ट्राम के समान ओवरहेड बिजली के तार से बिजली खींची जाती है और यह एलिवेटेड रास्ते पर दौड़ती हैं.
भारत में 13 मेट्रो रेलवे सिस्टम और सेवाएं (या रैपिड ट्रांजिट सिस्टम) चालू हैं. ये हैं कोलकाता, दिल्ली, बेंगलुरु (नम्मा), गुरुग्राम (रैपिड मेट्रो), मुंबई, जयपुर, चेन्नई, कोच्चि, लखनऊ, हैदराबाद, नोएडा, अहमदाबाद और नागपुर. भारत के इन सभी शहरों में मेट्रो सिस्टम भारतीय रेलवे द्वारा संचालित नहीं हैं. हालांकि, कोलकाता मेट्रो भारतीय रेलवे के तहत आती है.
कोलकाता मेट्रो रेल देश की सबसे पुरानी मेट्रो सेवा है. 1984 में स्थापित, कोलकाता मेट्रो वर्तमान में कुल 33.02 किलोमीटर की दूरी तय कर रही है और 30 स्टेशनों की सेवा कर रही है. दिल्ली मेट्रो, जिसने 2002 में परिचालन शुरू किया था, तय की गई दूरी के हिसाब से देश में सबसे बड़ी है.
वर्तमान में, दिल्ली मेट्रो 389 किलोमीटर की दूरी तय कर रही है और इसके संचालन में 285 स्टेशन हैं (नोएडा-ग्रेटर नोएडा कॉरिडोर और रैपिड मेट्रो, गुरुग्राम सहित, जिसका संचालन वर्तमान में इससे ले लिया गया है). नम्मा मेट्रो जो बेंगलुरु शहर की सेवा करती है, 2011 में चालू हो गई. इसमें 42.3 किलोमीटर की दूरी शामिल है और इसमें 40 स्टेशन हैं.
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