Uttarakhand Kumaon forests fire : ट्रैकिंग Lovers के लिए बुरी खबर, जंगल की आग के कारण उत्तराखंड पर्यटन प्रभावित
Uttarakhand Kumaon forests fire : उत्तराखंड के जंगलों में भीषण आग की घटनाओं ने सभी को हैरान और परेशान कर दिया है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, जंगल में लगी आग से अब तक 5 लोगों की मौत हो चुकी है. देवभूमि कहे जाने वाले उत्तराखंड में हुई इस घटना ने सभी को झकझोर कर रख दिया है. सूत्रों की मानें तो पिछले कुछ दिनों में कुमाऊं में 65 से ज्यादा आग की घटनाएं हो चुकी हैं. इससे 1145 हेक्टेयर से अधिक वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है. इन जंगलों में आग लगने से उत्तराखंड की पर्यटन एक्टिविटी भी प्रभावित हो सकती है. दरअसल, 10 मई के बाद कुमाऊं क्षेत्र में ट्रैकिंग सीजन शुरू हो जाता है और यहां की आग अभी तक नहीं बुझी है. ऐसे में अब सवाल उठ रहा है कि ट्रैकिंग होगी या नहीं. हालांकि आग पर काबू पाने के लिए भारतीय वायुसेना की भी मदद ली जा रही है. आइए जानते हैं ट्रैकिंग के बारे में अधिकारी क्या कहते हैं.
ट्रैकिंग को लेकर असमंजस || Confusion regarding trekking
जंगल की आग के कारण उत्तराखंड में पर्यटन पर भी बुरा असर पड़ रहा है. खासकर उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में 10 मई के बाद शुरू होने वाले ट्रैकिंग सीजन और mountaineering यात्राओं पर सवालिया निशान खड़ा हो गया है. यह ट्रैकिंग सीजन है और यहां कई ग्रुप ट्रैकिंग के लिए आते हैं. ऐसे में ये खबर सुनने के बाद अब वे असमंजस में हैं कि क्या किया जाए. हालांकि, यहां के अधिकारियों का कहना है कि 10 मई के बाद ट्रैकिंग सीजन शुरू हो रहा है, इसलिए हमें उम्मीद है कि तब तक जंगल की आग पर काबू पा लिया जाएगा. लेकिन अगर ऐसा नहीं हुआ तो एडवाइजरी जारी करनी पड़ेगी.
आग लगने का कारण क्या है || What is the cause of fire
सूखे पेड़ों या बांस की रगड़ या पत्थरों और बिजली की चिंगारी से जंगल में आग लगने की घटनाएं देखी जाती हैं. इसके अलावा 3.94 लाख हेक्टेयर में फैले ज्वलनशील देवदार के पेड़ भी हैं. देवभूमि के जंगलों में लगी आग भी 90 प्रतिशत मानव निर्मित है. पहाड़ियों में ग्रामीण परंपरागत रूप से नई घास उगाने के लिए जंगल के फर्श को जला देते हैं. इसके अलावा जंगलों के पास बीड़ी या अलाव छोड़ने जैसी घटनाएं भी आग को बढ़ावा देती हैं.