10 साल का इंतजार खत्म, PM ने अटल टनल का किया उद्घाटन, जानिए खास बातें
atal tunnel – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की जनता को अटल टनल समर्पित कर दिया है. मोदी जी ने सभी मौसम में खुली रहने वाली अटल सुरंग (अटल टनल) का आज यानी शनिवार को सुबह 10 बजे हिमाचल प्रदेश के रोहतांग में उद्घाटन किया. दस साल में बनकर तैयार हुई अटल टनल से लाहौल घाटी सहित चंबा की किलाड़ व पांगी घाटी में विकास की नई गाथा लिखी गई.
साल 2002 में अटल जी ने इस टनल के लिए अप्रोच रोड का शिलान्यास किया था।
अटल जी की सरकार जाने के बाद, जैसे इस काम को भी भुला दिया गया।
हालात ये थी कि साल 2013-14 तक टनल के लिए सिर्फ 1300 मीटर का काम हो पाया था: PM#AtalTunnel
— PMO India (@PMOIndia) October 3, 2020
कड़ाके की सर्दी और कई फुट तक जमी बर्फ में भी लाहौल-स्पीति घाटी अलग-थलग नहीं पड़ेगी. ऐसा मुमकिन हो रहा है समुद्र तल से 10,000 फुट की ऊंचाई पर बनी अटल टनल (रोहतांग टनल) से. अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस यह टनल देखने में घोड़े की नाल की आकार की है. करीब 9.02 किलोमीटर लंबी यह पूरे साल मनाली को लाहौल-स्पीति घाटी से जोड़े रखेगी.
इससे पहले यह घाटी भारी बर्फबारी के कारण लगभग 6 महीने तक अलग-थलग रहती थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 3 अक्टूबर को अटल टनल का उद्घाटन किया. इस टनल की बनावट से लेकर इसमें से वाहनों के गुजरने और इसकी निगरानी को लेकर काफी हाइटेक इंतजाम किए गए हैं. यह भी जान लें कि अटल टनल दुनिया की सबसे लंबी हाइवे टनल है. इस टनल की निर्माण लागत करीब 3200 करोड़ रुपये है. इस प्रोजेक्ट का निर्माण 6 साल से कम समय में होना था लेकिन इसे पूरा होने में 10 साल का समय लगा.
Easy journey from Manali to Leh
अटल टनल हिमालय की पीर पंजाल रेंज में औसत समुद्र तल (एमएसएल) से 3000 मीटर (10,000 फीट) की ऊंचाई पर बनाई गई है. इससे मनाली और लेह के बीच सड़क की दूरी 46 किलोमीटर कम हो गई है. साथ ही दोनों जगहों के बीच सफर का समय करीब 4 से 5 घंटे की घट गया है. अटल टनल का दक्षिण पोर्टल (एसपी) मनाली से 25 किलोमीटर दूर 3060 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, जबकि इसका उत्तर पोर्टल (एनपी) लाहौल घाटी में तेलिंगसिस्सु गांव के पास 3071 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है.
Atal tunnel design
यह टनल घोड़े की नाल के आकार की है. यह 8 मीटर सड़क मार्ग के साथ सिंगल ट्यूब और डबल लेन वाली टनल है. इसकी ओवरहेड निकासी 5.525 मीटर है. यह 10.5 मीटर चौड़ी है. इसमें 3.6x 2.25 मीटर फायर प्रूफ आपातकालीन निकास टनल भी है, जिसे मुख्य टनल में ही बनाया गया है. अटल टनल को अधिकतम 80 किलोमीटर प्रति घंटे की गति के साथ प्रतिदिन 3000 कारों और 1500 ट्रकों के यातायात घनत्व के लिए डिजाइन किया गया है. यह टनल सेमी ट्रांसवर्स वेंटिलेशन सिस्टम, एससीएडीए नियंत्रित अग्निशमन, रोशनी और निगरानी प्रणाली सहित अति-आधुनिक इलेक्ट्रो-मैकेनिकल प्रणाली से लैस है.
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Features of Atal Tunnel
दोनों पोर्टल पर टनल प्रवेश बैरियर, आपातकालीन कम्युनिकेशन के लिए प्रत्येक 150 मीटर दूरी पर टेलीफोन कनेक्शन
प्रत्येक 60 मीटर दूरी पर फायर हाइड्रेंट सिस्टम, प्रत्येक 250 मीटर दूरी पर सीसीटीवी कैमरों से युक्त स्वत: किसी घटना का पता लगाने वाला सिस्टम, प्रत्येक किलोमीटर दूरी पर एयर क्वालिटी गुणवत्ता निगरानी, प्रत्येक 25 मीटर पर निकासी प्रकाश/निकासी इंडिकेटर
पूरी टनल में प्रसारण प्रणाली,प्रत्येक 50 मीटर दूरी पर फायर रेटिड डैम्पर्स, प्रत्येक 60 मीटर दूरी पर कैमरे पूर्व पीएम वाजपेयी ने लिया था टनल का फैसला, अटल बिहारी वाजपेयी जब प्रधानमंत्री थे तब 03 जून, 2000 को रोहतांग दर्रे के नीचे एक स्ट्रैटजिक टनल का निर्माण करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया गया था. टनल के दक्षिण पोर्टल की पहुंच रोड की आधारशिला 26 मई, 2002 रखी गई थी. सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने प्रमुख भूवैज्ञानिक, भूभाग और मौसम की चुनौतियों पर काबू पाने के लिए जीतोड़ मेहनत की. इनमें सबसे कठिन प्रखंड 587 मीटर लंबा सेरी नाला फॉल्ट जोन शामिल है, दोनों छोर पर सफलता 15 अक्टूबर, 2017 को मिली.
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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 24 दिसंबर 2019 को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा दिए गए योगदान को सम्मान प्रदान करने के लिए रोहतांग टनल का नाम अटल टनल रखने का निर्णय लिया गया था.