New Delhi Railway Station अब दिखेगा किसी एयरपोर्ट जैसा, ये है मेगाप्लान
New Delhi railway station – नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के रीडेवेलपमेंट का खाका तैयार कर लिया गया है. इस योजना के तहत अब दिल्ली के कनॉट प्लेस के आस-पास का नक्शा पूरी तरह बदल जाएगा. स्टेट एंट्री रोड के आस-पास की और प्रॉजेक्ट लैंड के अंतर्गत आने वाली करीब 200 मौजूदा छोटी-बड़ी इमारतों को हटा दिया जाएगा. कनॉट प्लेस से railway station के बीच छः लेन की चौड़ी सड़क होगी. यानी नई दिल्ली रेलवे स्टेशन अब किसी एयरपोर्ट की तरह शानदार दिखाई देगा. चार साल के भीतर ये प्रॉजेक्ट पूरा हो जाएगा.
आरएलडीए के एग्जीक्यूटिव डाइरेक्टर ने बताया कि नई दिल्ली railway station की मौजूदा बिल्डिंग की जगह पर एक आलीशान सिग्नेचर इमारत बनेगी. पास में ही फाईव स्टार होटल और बजट होटल बनेगा, शॉपिंग मॉल और मल्टीप्लेक्स बनेगा. लेकिन ये सब इस खूबसूरत तरीके से बनेगा कि आप यहां एयरपोर्ट पर होने का एहसास करेंगे. नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के इस प्रॉजेक्ट में प्रधानमंत्री मोदी व्यक्तिगत रूप से दिलचस्पी ले रहे हैं और उन्होंने इसकी प्रॉग्रेस रिपोर्ट खुद देखने की बात भी कही है.
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नई दिल्ली railway station के रिडिवेलप्मेंट में कनॉट प्लेस की खूबसूरती और उसकी डिजाइन का भी ख्याल रखा जाएगा. आस-पास के 88 एकड़ इलाके के विकास में भारतीय प्राचीन कलाओं और आधुनिकता का मेल होगा. ये प्रॉजेक्ट 2024 तक पूरी हो जाएगी.
New Delhi – Largest Railway Station in India
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन देश का सबसे बड़ा स्टेशन है. व्यस्तता में ये देश का दूसरा सबसे बड़ा स्टेशन है. यहां रोज करीब पांच लाख यात्री का आना-जाना होता है. यहां 400 ट्रेनें रोज आती-जाती हैं. इन ट्रेनों की संख्या भी आगे बढ़ने वाली है.
स्टेशन परिसर को 33 लाख वर्ग फीट में बनाया जाएगा. जो दिल्ली के इंदिरागांधी इंटरनेशनल हवाई अड्डे के टर्मिनल 3 का करीब 60% है. इसके अलावा 550,000 वर्ग फीट जमीन में अन्य डिवेलप्मेंट किया जाएगा जिसे रिटेल-कम-एमिनिटी एरिया कहा जा सकता है. इस इलाके के क्षेत्रफल को रोचक ढंग से समझना चाहें तो, स्टेशन और एमिनिटी एरिया को मिला कर ये 50 अन्तर्राष्ट्रीय फ़ुटबॉल मैदानों के बराबर का एरिया होगा.
‘नई दिल्ली रेलवे स्टेशन रीडिवेलप्मेंट प्रॉजेक्ट’ के तहत नई दिल्ली रेलवे स्टेशन और इसके आस-पास के सभी इलाको को मिलाकर स्टेट ऑफ आर्ट स्तर का आइकॉनिक स्टेशन बनाया जाएगा. नए स्टेशन में विश्वस्तरीय यात्री सुविधाएं होंगी. यात्रियों के लिए कम्यूनिटी स्पेस होगा. स्टेशन को कनाट प्लेस और नए बने अत्याधुनिक शॉपिंग एरिया से इस प्रकार सड़कों और पैदल रास्तों से जोड़ा जाएगा कि कहीं भी भीड़ और जाम न होने पाए. रिडेवलपमेंट के अंतर्गत नई दिल्ली रेलवे स्टेशन की बिल्डिंग, प्लेटफार्म और यात्रियों के आने-जाने के सभी रास्ते पूरी तरह बदल जाएंगे. स्टेशन में आने-जाने के लिए अलग-अलग टर्मिनल होंगे.
नए रेलवे स्टेशन के भीतर का नजारा कुछ उसी तरह होगा जैसा आप एयरपोर्ट में दाखिल होने के बाद देखते हैं. यानी यात्रियों के लिए लाउंज होंगे, फ़ूड कोर्ट होंगे, रेस्ट रूम होंगे, रिटेल शॉपिंग एरिया होगा. ये सभी कुछ एक छत के नीचे होगा जो प्लेटफार्म के तल से ऊपर के तल पर होगा. यहां यात्रियों के लिए प्रतीक्षा करने, आराम करने और उनके मनोरंजन सम्बंधी सुविधाएं मौजूद होंगी. स्टेशन की बिल्डिंग को ग्रीन बिल्डिंग का दर्जा प्राप्त होगा. जिसमें प्राकृतिक हवा और रोशनी का अधिकतम इस्तेमाल किया जाएगा.
स्टेशन पर प्रत्येक यात्री का एंट्री और एग्जिट टाईम उसके यात्रा टिकट या प्लेटफार्म टिकट के आधार पर आटोमैटिक तरीके से नोट हो जाएगा. इस आधार पर यात्रियों के आगमन और प्रस्थान को आवश्यकतानुसार नियमित या नियंत्रित किया जा सकेगा.
कनॉट प्लेस में खत्म होगा स्टेशन के कारण लगने वाला जाम
कार या अन्य संसाधनों से स्टेशन तक पहुंचने और स्टेशन से निकलने के लिए कई एलिवेटेड सड़कों का जाल होगा. इन सड़कों से सभी दिशाओं से आने-जाने वाले ट्रैफ़िक को रास्ता दिया जाएगा. व्यवस्था ऐसी होगी कि जिन यात्रियों को कनाट प्लेस नहीं जाना उनकी गाड़ियां स्टेशन आने-जाने के लिए कनाट प्लेस के इनर या आउटर सर्किल पर मजबूरी वश नहीं जाने पाएंगी.
नए स्टेशन के लिए 5,000 कारों को खड़ा करने के लिए मल्टी लेवल पार्किंग होगी. नया स्टेशन मल्टी मॉडल ट्रांसपोर्ट हब की तरह काम करेगा जो दिल्ली मेट्रो की येलो लाईन और एयरपोर्ट एक्सप्रेस लाईन से जुड़ा होगा.
नए स्टेशन को कनाट प्लेस से, मुख्य छः लेन सड़क मार्ग के अलावा, एक ऐसी पैदल सड़क मार्ग से जोड़ा जाएगा जिस पर सिर्फ पैदल यात्री ही चल सकेंगे और इस पूरे रास्ते में दाईं और बाईं ओर शॉपिंग सेंटर्स, शो रूम या दुकानें होंगी. ये रास्ता मौजूदा स्टेट एंट्री रोड के पास बनेगा.
स्टेशन और उससे जुड़े इलाकों के रीडेवेलपमेंट के इस प्रॉजेक्ट की लागत करीब 5,000 करोड़ रुपए होगी. जबकि इस इलाके से जुड़े व्यावसायिक डेवेलपमेंट में करीब 1,200 करोड़ रुपए अलग से खर्च होंगे. आरएलडीए ये पैसा प्राईवेट पब्लिक पार्टनरशिप के जरिए जुटाएगा. इसके लिए जल्द ही एक्सप्रेशन ऑफ इंट्रेस्ट की प्रक्रिया पूरी होगी और बिड के जरिए अगले जून तक प्राईवेट पार्टनर तय कर लिए जाएंगे.