Nataraja Statue in Delhi : राजधानी में होने जा रहे G-20 Summit को ऐतिहासिक बनाने के लिए दुनिया की सबसे बड़ी Nataraja की प्रतिमा को भारत मंडपम (Bharat Mandapam) के सामने स्थापित किया गया है. यह शिखर सम्मेलन का स्थल है. यह मूर्ति 27 फीट ऊंची है और इसका वजन लगभग 20 टन है, जिसे लॉस्ट वैक्स तकनीक से बनाया गया है.आज के आर्टिकल में हम आपको बताएंगे नटराज की मूर्ति के बारे में विस्तार से…
नटराज मूर्ति की विशेषताएं || Features of Nataraja idol
19 टन वजनी यह कलाकृति Tamil Nadu के स्वामीमलाई जिले के प्रसिद्ध मूर्तिकार देवसेनापति स्टापथी के बेटों ने बनाई है. यह भारत मंडपम (Bharat Mandapam) में एक प्रमुख स्थान लेगा, जहां शिखर सम्मेलन आयोजित होने वाला है. यहां मूर्ति को पॉलिश करने के साथ छह फीट ऊंचे चबूतरे पर स्थापित किया जाएगा. इस तरह मूर्ति की कुल ऊंचाई 28 फीट की होगी. संभवत: यह विश्व में Nataraja की सबसे ऊंची प्रतिमा होगी. धर्म, कला व शास्त्र के अनूठा संगम इस मूर्ति के माध्यम से विदेशी मेहमानों की देश की प्राचीन कला, संस्कृति और लोकतंत्र से परिचित कराया जाएगा.
कितनी है मूर्ति की ऊंचाई || what is the height of the statue
विशेषज्ञों का कहना है कि Nataraja हिंदू भगवान शिव का दिव्य चित्रण है. उनके इस नृत्य को तांडव कहा जाता है. यह मूर्ति शैव धर्म के सभी प्रमुख हिंदू मंदिरों में मौजूद है. यह लोकप्रिय रूप से भारतीय संस्कृति के प्रतीक के रूप में, हिंदू कला के बेहतरीन चित्रणों में से एक के रूप में उपयोग किया जाता है.अधिकारियों के अनुसार, बिना पॉलिश की गई नटराज प्रतिमा को अंतिम रूप दिल्ली में दिया जाएगा और इसे आयोजन स्थल पर स्थापित करने की समय सीमा 4 सितंबर है प्रतिमा की वास्तविक ऊंचाई 22 फीट है और इसे छह फुट के आसन पर रखा गया है, जिसके बाद ये 28 फीट की हो जाएगी. इसे श्रीकांत स्टापथी ने अपने भाइयों राधाकृष्ण स्टापथी और स्वामीनाथ स्टापथी के साथ मिलकर बनाया था.
8 धातु से बनी है मूर्ति || 8 idol made of metal
अधिकारियों के मुताबिक मूर्ति को आठ धातुओं सोना, चांदी, लेड, तांबा, टिन, पारा, जस्ता और लोहा से बनाआ गया है. मूर्ति बनाने के लिए उपयोग की जाने वाली धातुओं को Nataraja के प्रति पूर्ण समर्पण के साथ काम करने वाले समर्पित श्रमिकों द्वारा एक छोटे कुटीर उद्योग में आकार देने के लिए 1,000 डिग्री से ऊपर पिघलाया गया था. . अधिकारियों ने कहा कि मूर्ति का ऑर्डर इस साल 20 फरवरी को संस्कृति मंत्रालय द्वारा दिया गया था और मूर्ति को पूरा करने में छह महीने लगे.
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