Kochi Water Metro : भारत में पहली बार केरल के कोच्चि शहर में वाटर मेट्रो दौड़ी है. प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ने इसे हरी झंडी दिखाई. हम सभी ने इससे पहले मेट्रो ट्रेन के बारे सुना था और सफर भी किया है, लेकिन वाटर मेट्रो के बारे में पहली बार सुन रहे हैं. आइए जानते हैं क्या है ये वाटर मेट्रो? और किस तरह से नॉर्मल फेरी सर्विस या बोट सर्विस से अलग है. आइए जानते हैं वाटर मेट्रो के बारे में जाने सबकुछ इस आर्टिकल में …
कोच्चि वाटर मेट्रो की खासियत || Features of Kochi Water Metro
1. कोच्चि शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा निर्मित, वाटर मेट्रो आठ इलेक्ट्रिक हाइब्रिड नावों के साथ शुरू हुई है
2. कोच्चि जल मेट्रो बंदरगाह शहर और उसके आसपास के 10 द्वीपों को जोड़ेगी
3. ड्रीम प्रोजेक्ट को केरल सरकार और जर्मन फर्म KfW द्वारा फंड मिला है.
4. कुल मिलाकर KWM (कोच्चि वाटर मेट्रो) परियोजना में 78 इलेक्ट्रिक बोट और 38 टर्मिनल शामिल हैं.
5. पहले चरण में, KWM सेवा हाईकोर्ट-वाइपिन टर्मिनलों और व्याटिला-कक्कनाड टर्मिनलों से शुरू होगी. केरल के मुख्यमंत्री के अनुसार, यात्री ट्रैफिक में फंसे बिना 20 मिनट से भी कम समय में हाई कोर्ट टर्मिनल से वायपिन टर्मिनल तक पहुंच सकेंगे. वायत्तिला से वॉटर मेट्रो के जरिए 25 मिनट में कक्कानाड पहुंचा जा सकता है.
6. कोच्चि वाटर मेट्रो का टिकट : नाव यात्रा के लिए न्यूनतम टिकट दर 20 रुपये है. नियमित यात्रियों के लिए वीकली और मंथली पास हैं. कोच्चि वन कार्ड का इस्तेमाल कर कोच्चि मेट्रो रेल और कोच्चि वाटर मेट्रो में यात्रा कर सकते हैं. कोच्चि वन ऐप के जरिए टिकटों को डिजिटल रूप से बुक किया जा सकता है.
7. कोच्चि वाटर मेट्रो लिथियम टाइटेनाइट स्पिनल बैटरी से चलेगी.
8. वाटर मेट्रो को पर्यावरण के अनुकूल, बिजली से चलने वाला और विकलांग लोगों के लिए भी सुरक्षित माना जाता है.
9. इसमें चौड़ी खिड़कियों वाली वातानुकूलित नावें होंगी जो बैकवाटर्स का खूबसूरत व्यू भी दिखाएंगी.
10. कोच्चि जल मेट्रो प्रोजेक्ट की कुल लागत 1,137 करोड़ रुपये है.
कोच्चि वाटर मेट्रो कैसे काम करती है? || How does the Kochi Water Metro work?
कोच्चि वाटर मेट्रो एक नौका परिवहन परियोजना है, जिसमें ग्रेटर कोच्चि के आसपास 16 मार्गों पर कई नौका नौकाएं चलती हैं. फेरी को नवीनतम तकनीक और सुरक्षा उपकरणों से सुसज्जित किया गया है, जिससे सुगम आवागमन और कुशल यात्रा होगी.
कोच्चि वाटर मेट्रो बोट बैटरी से चलने वाली हैं, और मार्गों के बीच केवल 10-20 मिनट का समय लगेगा, और नई तकनीक बारिश के दौरान भी आसानी से चलने में मदद करेगी. पूरा होने के बाद कुल 38 स्टेशन और 78 नौकाएं होंगी.
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