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जानें, क्यों मनाते हैं भाई दूज, क्या है इसके पीछे की कथा

Bhai Dooj  : भाई दूज भारत में मनाए जाने वाला एक बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व है जो की भारत के कोने कोने में मनाया जाता है. भाई दोज एक हिंदू त्योहार है जो भारत और नेपाल में मनाया जाता है. यह पर्व हिन्दू धर्म के अनुयाई द्वारा मनाया जाता है. यह पर्व भाई और बहन के पावन रिश्ते के महत्व को दर्शाता है. इस दिन के अनुष्ठान और उत्सव ‘रक्षा बंधन’ जैसे लोकप्रिय उत्सव के समान हैं. इस विशेष अवसर पर भाई अपनी बहनों को कई उपहारों देते हैं और बदले में बहनें अपने भाइयों को मिठाई देती हैं. (Bhai Dooj) इस बार भाई दूज 16 नवंबर को मनाया जाएगा.

आइये अब हम आपको Bhai Doojकी कथा

भगवान सूर्य नारायण की पत्नी का नाम छाया था. उनकी कोख से यमराज और  यमुना का जन्म हुआ था. यमुना यमराज से बड़ा स्नेह करती थी. वह उससे बराबर निवेदन करती कि इष्ट मित्रों सहित उसके घर आकर भोजन करो। अपने कार्य में व्यस्त यमराज बात को टालता रहा. कार्तिक शुक्ला का दिन आया. यमुना ने उस दिन फिर यमराज को भोजन के लिए निमंत्रण देकर, उसे अपने घर आने के लिए वचनबद्ध कर लिया.

जानें, रक्षाबंधन से कैसे अलग है भाई दूज

यमराज ने सोचा कि मैं तो प्राणों को हरने वाला हूं. मुझे कोई भी अपने घर नहीं बुलाना चाहता. बहन जिस सद्भावना से मुझे बुला रही है, उसका पालन करना मेरा धर्म है. बहन के घर आते समय यमराज ने नरक निवास करने वाले जीवों को मुक्त कर दिया. यमराज को अपने घर आया देखकर यमुना की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. उसने स्नान कर पूजन करके व्यंजन परोसकर भोजन कराया. यमुना द्वारा किए गए आतिथ्य से यमराज ने प्रसन्न होकर बहन को वर मांगने का आदेश दिया.

Bhai dooj : जानें, भाई दूज के दिन पूजा की विधि और भाई को तिलक लगाने का शुभ मुहूर्त

यमुना ने कहा कि भद्र! आप प्रति वर्ष इसी दिन मेरे घर आया करो. मेरी तरह जो बहन इस दिन अपने भाई को आदर सत्कार करके टीका करें, उसे तुम्हारा भय न रहे. यमराज ने तथास्तु कहकर यमुना को अमूल्य वस्त्राभूषण देकर यमलोक की राह की. इसी दिन से पर्व की परम्परा बनी. ऐसी मान्यता है कि जो आतिथ्य स्वीकार करते हैं, उन्हें यम का भय नहीं रहता. इसीलिए भैयादूज को यमराज और यमुना का पूजन किया जाता है.

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