Chhath Puja: छठ पूजा से जुड़े वो 16 सवाल जिनके जवाब सब जानना चाहते हैं
Chhath Puja : आज से छठ पूजा की शरुआत हो गई है. छठ का त्यौहार चार तक चलता है. अब तो छठ देश-विदेश हर जगह मनाया जाता है, जहां बिहार-झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोग जाकर बस गए हैं. (Chhath Puja) इसके बावजूद, देश की बहुत बड़ी आबादी इस पूजा की मौलिक बातों से अनजान है. इतना ही नहीं, जिन लोगों के घर में यह व्रत होता है, उनके मन में भी इसे लेकर कई सवाल उठते हैं.
Which Gods and Goddesses are worshiped during
Chhath or Suryashthi fast?
इस व्रत में सूर्य देवता की पूजा की जाती है, जो प्रत्यक्ष दिखते हैं और सभी प्राणियों के जीवन के आधार हैं… सूर्य के साथ-साथ षष्ठी देवी या छठ मैया की भी पूजा की जाती है. (Chhath Puja) पौराणिक मान्यता के अनुसार, षष्ठी माता संतानों की रक्षा करती हैं और उन्हें स्वस्थ और दीघार्यु बनाती हैं. इस अवसर पर सूर्यदेव की पत्नी उषा और प्रत्युषा को भी अर्घ्य देकर प्रसन्न किया जाता है. (Chhath Puja) छठ व्रत में सूर्यदेव और षष्ठी देवी दोनों की पूजा साथ-साथ की जाती है. इस तरह ये पूजा अपने-आप में बेहद खास है.
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Everyone is familiar with the sun, but which goddess is
Chhath Maiya?
(Chhath Puja) सृष्टि की अधिष्ठात्री प्रकृति देवी के एक प्रमुख अंश को देवसेना कहा गया है. प्रकृति का छठा अंश होने के कारण इन देवी का एक प्रचलित नाम षष्ठी है. षष्ठी देवी को ब्रह्मा की मानसपुत्री भी कहा गया है. पुराणों में इन देवी का एक नाम कात्यायनी भी है. इनकी पूजा नवरात्र में षष्ठी तिथि को होती है. षष्ठी देवी को ही स्थानीय बोली में छठ मैया कहा गया है, जो नि:संतानों को संतान देती हैं और सभी बालकों की रक्षा करती हैं.
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How the worship of Shashthi Devi started? What is the
story of Purana?
प्रथम मनु स्वायम्भुव के पुत्र राजा प्रियव्रत को कोई संतान नहीं थी, इसके कारण वह दुखी रहते थे. महर्षि कश्यप ने राजा से पुत्रेष्टि यज्ञ कराने को कहा. राजा ने यज्ञ कराया, जिसके बाद उनकी महारानी मालिनी ने एक पुत्र को जन्म दिया. लेकिन दुर्योग से वह शिशु मरा पैदा हुआ था. राजा का दुख देखकर एक दिव्य देवी प्रकट हुईं. उन्होंने उस मृत बालक को जीवित कर दिया. देवी की इस कृपा से राजा बहुत खुश हुए. उन्होंने षष्ठी देवी की स्तुति की. तभी से यह पूजा संपन्न की जा रही है.
Where do you find the context of sun worship in
spiritual texts?
शास्त्रों में भगवान सूर्य को गुरु भी कहा गया है. पवनपुत्र हनुमान ने सूर्य से ही शिक्षा पाई थी. श्रीराम ने आदित्यहृदयस्तोत्र का पाठ कर सूर्य देवता को प्रसन्न करने के बाद ही रावण को अंतिम बाण मारा था और उस पर विजय पाई थी. श्रीकृष्ण के पुत्र साम्ब को कुष्ठ रोग हो गया था, तब उन्होंने सूर्य की उपासना करके ही रोग से मुक्ति पाई थी.सूर्य की पूजा वैदिक काल से काफी पहले से होती आई है.
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What is the Sun’s place among the many deities of
Sanatana Dharma?
सूर्य की गिनती उन 5 प्रमुख देवी-देवताओं में की जाती है, जिनकी पूजा सबसे पहले करने का विधान है. पंचदेव में सूर्य के अलाव अन्य 4 हैं: गणेश, दुर्गा, शिव, विष्णु. (मत्स्य पुराण)
What are the results of sun worship? What is the
opinion of the Puranas?
भगवान सूर्य सभी पर उपकार करने वाले, अत्यंत दयालु हैं. वे उपासक को आयु, आरोग्य, धन-धान्य, संतान, तेज, कांति, यश, वैभव और सौभाग्य देते हैं. वे सभी को चेतना देते हैं. सूर्य की उपासना करने से मनुष्य को सभी तरह के रोगों से छुटकारा मिल जाता है. जो सूर्य की उपासना करते हैं, वे दरिद्र, दुखी, शोकग्रस्त और अंधे नहीं होते. सूर्य को ब्रह्म का ही तेज बताया है. धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष, इन चारों पुरुषार्थों को देने वाले हैं, साथ ही पूरे संसार की रक्षा करने वाले हैं.
Why do people gather on the banks of holy river and
ponds etc. in this puja?
सूर्य की पूजा में उन्हें जल से अर्घ्य देने का विधान है. पवित्र नदियों के जल से सूर्य को अर्घ्य देने और स्नान करने का विशेष महत्व बताया गया है. हालांकि यह पूजा किसी भी साफ-सुथरी जगह पर की जा सकती है.
In Chhath, there is a lot of crowd on the river-ponds.
What can be the way to fast while avoiding the crowd?
इस भीड़ से बचने के लिए हाल के दशकों में घर में ही छठ करने का चलन तेजी से बढ़ा है. ‘मन चंगा, तो कठौती में गंगा’ की कहावत यहां भी गौर करने लायक है. कई लोग घर के आंगन या छतों पर भी छठ व्रत करते हैं. व्रत करने वालों की सुविधा को ध्यान में रखकर ऐसा किया जाता है.
Why do most women perform Chhath Puja?
ऐसा देखा जाता है कि महिलाएं अनेक कष्ट सहकर पूरे परिवार के कल्याण की न केवल कामना करती हैं, बल्कि इसके लिए तरह-तरह के यत्न करने में पुरुषों से आगे रहती हैं. इसे महिलाओं के त्याग-तप की भावना से जोड़कर देखा जा सकता है. छठ पूजा कोई भी कर सकता है, चाहे वह महिला हो या पुरुष. पर इतना जरूर है कि महिलाएं संतान की कामना से या संतान के स्वास्थ्य और उनके दीघार्यु होने के लिए यह पूजा अधिक बढ़-चढ़कर और पूरी श्रद्धा से करती हैं.
Can people of any social class or caste perform this
puja?
सूर्य सभी प्राणियों पर समान रूप से कृपा करते हैं. वे किसी तरह का भेदभाव नहीं करते. इस पूजा में वर्ण या जाति के आधार पर भेद नहीं है. इस पूजा के प्रति समाज के हर वर्ग-जाति में गहरी श्रद्धा देखी जाती है. हर कोई मिल-जुलकर, साथ-साथ इसमें शामिल होता है. हर जाति-धर्म के लोग इस पूजा को कर सकते हैं.
Is there any social message hidden in this pooja?
सूर्यषष्ठी व्रत में लोग उगते हुए सूर्य की भी पूजा करते हैं, डूबते हुए सूर्य की भी उतनी ही श्रद्धा से पूजा करते हैं. इसमें कई तरह के संकेत छिपे हैं. ये पूरी दुनिया में भारत की आध्यात्मिक श्रेष्ठता को दिखाता है.
इस पूजा में जातियों के आधार पर कहीं कोई भेदभाव नहीं है, समाज में सभी को बराबरी का दर्जा दिया गया है. सूर्य देवता को बांस के बने जिस सूप और डाले में रखकर प्रसाद अर्पित किया जाता है, उसे सामाजिक रूप से अत्यंत पिछड़ी जाति के लोग बनाते हैं. इससे सामाजिक संदेश एकदम स्पष्ट है.
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Why Chhath Puja has special relation with Bihar?
सूर्य की पूजा के साथ-साथ षष्ठी देवी की पूजा की अनूठी परंपरा बिहार के इस सबसे बड़े लोकपर्व में देखी जाती है. यही बात इस पूजा के मामले में प्रदेश को खास बनाती है. बिहार में सूर्य पूजा सदियों से प्रचलित है. सूर्य पुराण में यहां के देव मंदिरों की महिमा का वर्णन मिलता है. यहां सूर्यपुत्र कर्ण की जन्मस्थली भी है. अत: स्वाभाविक रूप से इस प्रदेश के लोगों की आस्था सूर्य देवता में ज्यादा है.
What is the specialty of Dev Sun Temple in Bihar?
सबसे बड़ी खासियत यह है कि मंदिर का मुख्य द्वार पश्चिम दिशा की ओर है, जबकि आम तौर पर सूर्य मंदिर का मुख्य द्वार पूर्व दिशा की ओर होता है. मान्यता है कि यहां के विशेष सूर्य मंदिर का निर्माण देवताओं के शिल्पी भगवान विश्वकर्मा ने किया था. स्थापत्य और वास्तुकला कला के दृष्टिकोण से यहां के सूर्य मंदिर बेजोड़ हैं.
Apart from the month of Kartik, when is this worship
done in the year?
कार्तिक के अलावा छठ व्रत चैत्र शुक्ल पक्ष में चतुर्थी से लेकर सप्तमी तक किया जाता है. इसे आम बोलचाल में चैती छठ कहते हैं.
In this puja, why do some people lie on the ground
again and again and go towards the ghat with great
pains?
आम बोलचाल की भाषा में इसे ‘कष्टी देना’ कहते हैं. ज्यादातर मामलों में ऐसा तब होता है, जब किसी ने इस तरह की कोई मन्नत मानी हो.
In Chhath Puja, which lasts for days, on which days
what happens?
कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को व्रत की शुरुआत ‘नहाय-खाय’ के साथ होती है. इस दिन व्रत करने वाले और घर के सारे लोग चावल-दाल और कद्दू से बने व्यंजन प्रसाद के तौर पर ग्रहण करते हैं. वास्तव में ये अगले 3 दिनों तक चलने वाली पूजा की शारीरिक और मानसिक तैयारी है.
दूसरे दिन, कार्तिक शुक्ल पंचमी को शाम में मुख्य पूजा होती है. इसे ‘खरना’ कहा जाता है. प्रसाद के रूप में गन्ने के रस या गुड़ में बनी खीर चढ़ाई जाती है. कई घरों में चावल का पिट्ठा भी बनाया जाता है. लोग उन घरों में जाकर प्रसाद ग्रहण करते हैं, जिन घरों में पूजा होती है.
तीसरे दिन, कार्तिक शुक्ल षष्ठी की शाम को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. व्रती के साथ-साथ सारे लोग डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं.
चौथे दिन, कार्तिक शुक्ल सप्तमी को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद पारण के साथ व्रत की समाप्ति होती है.