G20 Summit 2023 : PM मोदी ने राष्ट्रध्यक्षों को दिखाया जो कोणार्क चक्र, क्या है उसका महत्व, जानिए
G20 Summit 2023 : G20 Summit सम्मेलन में आए सभी वैश्विक नेताओं का स्वागत करने के लिए खुद Prime Minister Narendra Modi भी उपस्थित रहे. इस दौरान आयोजन स्थल यानी प्रगति मैदान में के नवनिर्मित भारत मंडपम ( Bharat Mandapam) में वह पहुंचे. यहां उन्होंने विश्व के सभी नेताओं के साथ हाथ मिलाकर उनका गर्मजोशी के साथ स्वागत किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी20 में आए सभी नेताओं का स्वागत किया तो इस दौरान सभी की नजरें पीएम मोदी और उनके साथ खड़े नेताओं पर टिकी थी। मोदी ने भारतीय राजधानी में विवादास्पद वैश्विक मुद्दों पर दो दिवसीय चर्चा के लिए पहुंचे विश्व बैंक प्रमुख अजय बंगा, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस और अन्य प्रतिनिधियों से हाथ मिलाया. प्रधानमंत्री मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने जी20 शिखर सम्मेलन में पहुंचे विश्व नेताओं को शुभकामनाएं दीं. मगर इसके अलावा अगर किसी चीज ने ध्यान खिंचा है तो वो था वायरल हो रही फोटो का बैकग्राउंड, यानी हर फोटो में ओडिशा के पुरी में स्थित कोणार्क के सूर्य मंदिर में बने Konark Chakra दिखाई दिया. इस चक्र पर सभी की निगाहें टिकी रही. कोणार्क सूर्य मंदिर (Konark Sun Temple) के इस चक्र की प्रतिकृति (replica) लगी थी, जिसने स्वागत स्थल की शोभा बढ़ाई है.
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Konark Chakra के बारे में सब कुछ || All about Konark Chakra
Konark Chakra का निर्माण 13वीं शताब्दी में राजा नरसिम्हादेव-प्रथम के शासनकाल में हुआ था. 24 तीलियों वाला यह पहिया भारत के प्राचीन ज्ञान, वास्तुशिल्प उत्कृष्टता और उन्नत सभ्यता का प्रतीक है.
इसे भारतीय तिरंगे में भी शामिल किया गया है.ओडिशा के कवि और इतिहासकार केदार मिश्र इसे समय के प्रतीक के रूप में परिभाषित करते हैं.
“कोणार्क पहिया हमेशा समय का प्रतीक होगा. तीलियों के 12 जोड़े साल के 12 महीनों का संकेत देते हैं. भगवान सूर्य को समय और समय से परे का स्वामी माना जाता है. कोणार्क चक्र पर पूरी मानवता निवास करती है – पक्षियों, देवताओं, देवियों, पहाड़ियों, नदियों, मनुष्यों, जानवरों और बहुत कुछ से, “
Konark Chakra की कुछ प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं || Some of the major features of Konark Chakra are as follows
सिम्बोलिज्म: Konark Chakra सूर्य देव के रथ के पहिये का प्रतिनिधित्व करता है. सूर्य मंदिर स्वयं एक बड़ा रथ के आकार में बनाया गया है जिसमें 24 पहिये हैं, प्रत्येक का व्यास लगभग 10 फीट है, और इसे सात घोड़ों के एक समूह द्वारा खींचा जाता है. ये पहिये दिन के 24 घंटों का प्रतीक हैं.
वास्तुशिल्प चमत्कार: पहियों पर जटिल नक्काशी की गई है और इन्हें भारतीय कला और वास्तुकला की उत्कृष्ट कृतियाँ माना जाता है। प्रत्येक पहिया जटिल डिज़ाइनों से सजाया गया है, जिसमें पुष्प रूपांकनों, मानव आकृतियाँ और दैनिक जीवन के दृश्य शामिल हैं.
समय बताने वाली विशेषता: दिलचस्प बात यह है कि पहियों की तीलियों को धूपघड़ी के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. तीलियों द्वारा डाली गई छाया को देखकर, दिन का अनुमानित समय निर्धारित किया जा सकता है.
आध्यात्मिक महत्व: पहियों का आध्यात्मिक अर्थ भी है. वे सृजन, संरक्षण और विनाश के चक्र का प्रतिनिधित्व करते हैं. दिन और रात का चक्र; और जन्म, जीवन और मृत्यु का चक्र।
ऐतिहासिक संदर्भ: कोणार्क सूर्य मंदिर का निर्माण 13वीं शताब्दी में पूर्वी गंगा राजवंश के राजा नरसिम्हादेव प्रथम द्वारा किया गया था. यह यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है और भारत के सबसे महान मंदिरों में से एक माना जाता है.
वर्तमान स्थिति: पिछले कुछ वर्षों में, मंदिर को प्राकृतिक और मानवीय कारकों के कारण क्षति हुई है. जबकि मंदिर के कुछ हिस्से खंडहर हो गए हैं, पहिये काफी हद तक बरकरार हैं, जो उस समय के कारीगरों के उत्कृष्ट शिल्प कौशल की गवाही देते हैं.
पर्यटक आकर्षण: कोणार्क चक्र, पूरे सूर्य मंदिर के साथ, हर साल हजारों पर्यटकों और तीर्थयात्रियों को आकर्षित करता है. यह न केवल ऐतिहासिक और स्थापत्य महत्व का स्थान है बल्कि कई लोगों के लिए अत्यधिक आध्यात्मिक महत्व भी रखता है.
संक्षेप में, कोणार्क चक्र समय, जीवन की चक्रीय प्रकृति और भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता में सूर्य के दिव्य महत्व का प्रतीक है.
हाथ मिलाते हुए मोदी का स्वागत
भारत मंडपम (Bharat Mandapam) में Konark Chakra प्रतिकृति के सामने हाथ मिलाने के बाद पीएम मोदी ने राष्ट्राध्यक्षों और अन्य विश्व नेताओं के साथ तस्वीरें खिंचवाईं.
जी20 शिखर सम्मेलन में मोदी द्वारा स्वागत किए गए लोगों में Joe Biden, British Prime Minister Rishi Sunak, Brazilian President Luiz Inacio Lula da Silva, Japanese Prime Minister Fumio Kishida, Italian Prime Minister Giorgia Meloni and many other top नेता शामिल थे.
जब नेता भारत मंडपम (Bharat Mandapam)में रेड कार्पेट पर चले तो कलाकारों ने शहनाई पर ‘वैष्णव जन तो’, ‘पधारो म्हारो देस’ और ‘रघुपति राघव राजा राम’ बजाया.