dudhwa tiger reserve -कोविड-19 (Covid 19) महामारी के चलते पर्यटकों के लिए बंद दुधवा टाइगर रिजर्व (डीटीआर) इस बार 15 दिन पहले ही एक नवंबर से खुलेगा. विपरीत परिस्थियों में भी पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए यह पहल की जा रही है. दुधवा टाइगर रिजर्व के निदेशक संजय कुमार पाठक ने पीटीआई-भाषा को यह जानकारी दी.
उन्होंने बताया कि एक नवंबर को दुधवा के द्वार पर्यटकों के लिए खुल जाएंगे लेकिन कोविड-19 की सुरक्षा के चलते इसमें विशेष सावधानी बरती जाएगी और किसी भी तरह के उल्लंघन को गंभीरता से लिया जाएगा. आमतौर पर दुधवा टाइगर रिजर्व पर्यटकों के लिए 15 नवंबर से शुरू होकर 15 जून तक खुला रहता है. इस बार 15 दिन पहले ही इसे खोला जा रहा है.
कोविड-19 के प्रकोप के बाद विपरीत परिस्थितियों में दुधवा टाइगर रिजर्व को पिछले 22 मार्च को पर्यटन के बीच सत्र में बंद करना पड़ा. दुधवा टाइगर रिजर्व के अधिकारी का कहना है कि इससे पार्क के राजस्व पर असर पड़ा लेकिन पर्यटकों की आवाजाही न होने से जंगली जानवरों को बिना किसी अवरोध के अपने क्षेत्रों में वापस आने में सहूलियत हुई. अधिकारी के मुताबिक प्रवेश द्वार पर पर्यटकों की थर्मल स्क्रीनिंग होगी और इसके बाद केवल उन पर्यटकों को परिसर में प्रवेश की इजाजत दी जाएगी, जिनको कोविड-19 संक्रमण के कोई लक्षण नहीं होंगे.
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कोविड-19 के प्रोटोकाल का पूरी तरह पालन होगा और 11 वर्ष से 65 वर्ष की आयु के लोगों को परिसर में प्रवेश मिलेगा. इस बार 10 वर्ष से कम उम्र के बच्चों और 65 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्गों, रोगियों और गर्भवती महिलाओं को प्रवेश नहीं दिया जाएगा. पाठक ने बताया, कि भ्रमण के दौरान सभी को मास्क लगाना होगा. पर्यटक, गाइड को हर समय मास्क लगाना होगा और अगर किसी ने इसका उल्लंघन किया तो आर्थिक दंड लगाया जाएगा. उन्होंने बताया, कि इस बार पर्यटकों को हाथी की सवारी करने की अनुमति नहीं रहेगी.
सूबे के एकमात्र दुधवा नेशनल पार्क में आने वाले पर्यटकों को जागरूक करने के लिए इस साल नवनिर्मित आटोडोरियम शुरू होगा, इसमें विलुप्त हो रही वन्यजीवों से संबंधित तमाम जानकारियां होगी तथा वन एवं वन्यजीव का परिचय देकर पर्यटकों को इनके संरक्षण के लिए प्रेरित किया जाएगा. 11 सदस्यीय हाथी दल पर्यटकों को जंगल की शैर कराएगा.
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खासतौर से यह जंगल पर्यटकों व शोधार्थियों को हिरनों की पांच प्रजातियों- चीतल, साभर, काकड़, बारहसिंहा, बाघ, तेन्दुआ, भालू, स्याही, फ़्लाइंग स्क्वैरल, हिस्पिड हेयर, बंगाल फ़्लोरिकन, हाथी, गैन्गेटिक डाल्फ़िन, मगरमच्छ, लगभग 400 पक्षी प्रजातियां एंव रेप्टाइल्स (सरीसृप), एम्फ़ीबियन, तितिलियों के अतिरिक्त दुधवा के जंगल तमाम अज्ञात और अनदेखी प्रजातियों का घर है.
ट्री हाउस दुधवा टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक पीपी सिंह ने पर्यटकों के लिए लगभग छ:ह साल पूर्व दुधवा के जंगल में यह ट्री हाउस का निर्माण कराया था. यह ट्री हाउस विशालकाय साखू पेड़ो के सहारे लगभग पचास फुट ऊपर बनाया गया है. डबल बेडरुम वाले इस ट्री हाउस को सभी आवश्यक सुविधाओं से सुसज्जित किया गया है. लगभग चार लाख रूपए की लागत से बना हुआ शानदार ट्री हाउस पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र बिंदु बना हुआ है. जानकारी होने पर पर्यटक इसे देखे बिना चैन नहीं पाते.
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दुधवा वन विश्राम भवन का आरक्षण मुख्य वन संरक्षक-वन्य-जीव- लखनऊ से होता है, थारूहट दुधवा, वन विश्राम भवन बनकट, किशनपुर, सोनारीपुर, बेलरायां, सलूकापुर का आरक्षण स्थानीय मुख्यालय से होगा, सठियाना वन विश्राम भवन से आरक्षण फील्ड डायरेक्टर लखीमपुर कार्यालय से कराया जा सकता है.
दुधवा वन विश्राम भवन 400 रू० 200 रू०
विदेशियों के लिए- 1200 रू० 600 रू०
थारूहट दुधवा – 150 रू०
विदेशियों के लिए – 450 रू०
विश्राम भवन बनकटी- 100 रू०
विदेशियों के लिए- 300 रू०
विश्रामभवन किशनपुर- 150 रू०
विदेशियों के लिए- 450 रू०
डारमेट्री प्रति व्यक्ति – 50 रू०
विदेशियों के लिए- 150 रू०
छात्रों के लिए- 30 रू०
विदेशी छात्र- 90 रू०
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प्रकृति दर्शन के लिए दुधवा के जंगलों में आप ऊंचे-ऊंचे मचानों से वन्य जीवों का अवलोकन कर सकते है, कुछ बेहतरीन दृष्यावलोकन के लिए भादी ताल का मचान, ककहरहा ताल पर स्थित मचान, बाकेंताल पर स्थित दो मचान, व किशनपुर वन्य जीव विहार में झादी ताल के किनारे रिंग रोड पर मौजूद दो मचानों से वन्य जीवन का अध्ययन कर सकते हैं.
मौसम- नवंबर से फरवरी तक यहां का अधिकतम तापमान 20 से 30 डिग्री सेल्सियस, न्यूनतम 4 से 8 डिग्री सेल्सियस रहने से प्रात: कोहरा और रातें ठंडी होती हैं. मार्च से मई तक तापमान अधिकतम 30 से 35 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम 20 से 25 डिग्री सेल्सियस मौसम सुहावना रहता है. जून से अक्टूबर में अधिकतम तापमान 35 से 40 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम 20 से 25 डिग्री सेल्सियस रहने से भारी वर्षा और जलवायु नम रहती है.
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वन्य जीव- खासतौर से यह जंगल पर्यटकों व शोधार्थियों को हिरनों की पाँच प्रजातियों- चीतल, साभर, काकड़, बारहसिंहा, बाघ, तेन्दुआ, भालू, स्याही, फ़्लाइंग स्क्वैरल, हिस्पिड हेयर, बंगाल फ़्लोरिकन, हाथी, गैन्गेटिक डाल्फ़िन, मगरमच्छ, लगभग 400 पक्षी प्रजातियां एंव रेप्टाइल्स (सरीसृप), एम्फ़ीबियन, तितिलियों के अतिरिक्त दुधवा के जंगल तमाम अज्ञात व अनदेखी प्रजातियों का घर है।
By train – दुधवा नेशनल पार्क के समीपस्थ रेलवे स्टेशन दुधवा, पलिया और मैलानी है यहां आने के लिए दिल्ली, मुरादाबाद, बरेली, शाहजहांपुर तक ट्रेन द्वारा और इसके बाद 107 किमी सड़क यात्रा करनी पड़ती है, जबकि लखनऊ से भी पलिया-दुधवा के लिए ट्रेन मार्ग है.
By Road सड़क मार्ग से दिल्ली-मुराबाद-बरेली-पीलीभत अथवा शाहजहांपुर, खुटार, मैलानी, भीरा, पलिया होकर दुधवा पहुंचा जा सकता है. लखीमपुर, शाहजहांपुर, सीतापुर, लखनऊ, बरेली, दिल्ली आदि से पलिया के लिए रोडवेज की बसें एवं पलिया से दुधवा के लिए निजी बस सेवा उपलब्ध हैं.लखनऊ, सीतापुर, लखीमपुर, गोला, मैलानी, से पलिया होकर दुधवा पहुंचा जा सकता है.
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