Diwali : दिवाली का त्योहार जीवन में सुख-समृद्धि लेकर आता है. कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को दिवाली का त्योहार मनाते हैं. इस साल 14 नवंबर को दिवाली का लक्ष्मी पूजन होगा. माना जाता है कि इस दिन मां लक्ष्मी अपने भक्तों के घर पधारती हैं, इसलिए इस दिन मां लक्ष्मी और बुद्धि के देवता गणपति एवं ज्ञान की देवी सरस्वती की पूजा विधि-विधान के साथ की जाती है. दिवाली (Diwali) की Diwali रात सर्वार्थ सिद्धि की रात मानी जाती है. इस दिन की गई पूजा और अनुष्ठान बहुत शुभता प्रदान करते हैं. दिवाली के दिन पूजा शुभ मुहूर्त और विधिवत रूप से ही करनी चाहिए. तो चलिए जानते हैं दिवाली की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और पूजा सामाग्री की लिस्ट.
Diwali : जानें दिवाली पर भगवान राम के बजाय लक्ष्मी जी की क्यों होती है पूजा
प्रदोष काल पूजा मुहूर्त- शाम को 5 बजकर 30 मिनट से लेकर शाम के 7 बजकर 07 मिनट तक
निशीथ काल पूजा मुहूर्त- रात्रि 08 बजे से रात 10.50 बजे तक होगा.
अमृत मुहूर्त- 10 बजकर 30 मिनट पर, इसमें कनक धारा स्तोत्र का पाठ,श्री सूक्त का पाठ आदि कर सकते हैं.
महानिशीथ काल मुहूर्त- 08 बजकर अर्ध रात्रि के पश्चात 1 बजकर 33 मिनट तक रहेगा.
महानिशीथ काल मुहूर्त में ज्यादातर तंत्र साधना की जाती है.
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सबसे पहले चौकी को साफ कर लें, उसके बाद उस पर लाल कपड़ा बिछाएं और लक्ष्मी, गणेश एवं सरस्वती जी को स्थापित करें. पूजा के लोटे में जल भरकर उसमें गंगाजल मिलाएं. उस जल को प्रतिमाओं पर छिड़के साथ में पूरे घर में भी जल से छींटे मारे. हाथ में जल लेकर पूजा का संकल्प करें. संकल्प करने के पश्चात दायें हाथ में अक्षत, फूल, जल और एक रुपए का सिक्का लेकर संकल्प करें कि मैं (…नाम…) व्यक्ति स्थान व समय पर मां लक्ष्मी, गणेश और सरस्वती जी की पूजा करने जा रहा/रही हूं, जिससे मुझे शास्त्रोक्त फल प्राप्त हो. उसके बाद पूजा शरू कर दें.
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लक्ष्मी जी के पास ही चावलों की ढेरी पर कलश में जल भरकर स्थापित करें. कलश पर घी और सिंदूर मिलाकर स्वास्तिक का चिह्न बनाएं. कलश के मुख पर कलावा बांध दें. आम के पत्ते लगाकर उसके ऊपर नारियल रखें. थाली में शुद्ध घी का दीपक प्रज्वलित करें. सभी देवों का तिलक कर प्रणाम करें. पंच मेवा, फल, मिष्ठान, खील और बताशे आदि चीजें अर्पित करें. सरसों के तेल का एक बड़ा सा दीपक जलाकर अपने कुल देवी-देवताओं के लिए रखें. गहनों और पैसो के स्थान की पूजा करें. मां लक्ष्मी गणेश और सरस्वती जी की आरती करें भोग लगाएं.उसके बाद पूरे घर के हर एक कोने को दीपक जलाकर रोशन करें. हो सके तो कनक धारा स्तोत्र, श्री सूक्त और लक्ष्मी सूक्त का पाठ भी कर सकते हैं.
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