Baba ka Dhaba : पोस्टर-बैनर से ढका ढाबा, बस नहीं दिख रहे बाबा
Baba ka Dhaba – कुछ दिन पहले तक ‘बाबा का ढाबा’ को कोई नहीं जानता था. लेकिन अब ये दिल्ली के मालवीय नगर का एक लेंडमार्क बन चुका है. सब मुमकिन हो सका सोशल मीडिया की वजह से. दरअसल, इंटरनेट पर ‘बाबा का ढाबा’ चलाने वाले बुजुर्ग दंपत्ति का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें बाबा रोते हुए अपने बुरे हालात बयां कर रहे थे.
फिर क्या, अगले दिन की सुबह ‘दिल्ली के दिलवाले’ उनके ढाबे पर पहुंच गए और टीवी से लेकर अखबार तक हर जगह ‘बाबा का ढाबा’ चर्चा का विषय बन गया. अब सोशल मीडिया पर उन बुजुर्गों की कहानी शेयर की जा रही हैं, जो बाबा की तरह मुश्किलों से जूझ रहे हैं. उसके बाद बाबा का ढाबा जोमैटो में भी लिस्टिड कर दिया गया है. एक हफ्ते में बाबा का ढाबा चमचमाता नजर आ रहा है. इस पर आईएएस ऑफिसर अवनीष शरण रिएक्ट किया है.
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आईएएस ऑफिसर अवनीष शरण ने तस्वीर शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा, ‘बदला हुआ ‘बाबा का ढाबा’, सब दिख रहे बस ‘बाबा’ नहीं दिख रहे!!’ पहले इस ढाबे की तस्वीर कुछ अलग ही थी. यहां आस पास कोई विज्ञापन नहीं लगा था. अब कई कंपनियों ने विज्ञापन लगा दिए हैं. उनकी ढाबे के पास ही कईयों ने अपनी दुकान खोल ली है.
बदला हुआ ‘बाबा का ढाबा’
सब दिख रहे बस ‘बाबा’ नहीं दिख रहे!! pic.twitter.com/U0XOfJhdFW— Awanish Sharan (@AwanishSharan) October 11, 2020
अवनीष शरण के अलावा कई लोगों ने भी नए बाबा का ढाबा की तस्वीर शेयर करते हुए रिएक्शन दिया है. जोमैटो ने भी ट्वीट के जरिए जानकारी दी है कि उन्होंने बाबा का ढाबा को लिस्टिड कर लिया है. पेटीएम ने भी ट्वीट बधाई दी.
Baba, keep going strong! India's best wishes are with you. 🇮🇳#BabaKaDhaba #PaytmKaro pic.twitter.com/Q5z7dcjkiv
— Paytm (@Paytm) October 9, 2020
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UPDATE: baba ka dhaba is now listed on zomato and our team is working with the elderly couple there to enable food deliveries
thank you to the good people of the internet for bringing our attention to this ❤️
— zomato india (@ZomatoIN) October 8, 2020
What is the reason for opening the dhaba
कांता प्रसाद और बादामी देवी कई सालों से मालवीय नगर में अपनी छोटी सी दुकान लगाते हैं. दोनों की उम्र 80 वर्ष से ज्यादा है. कांता प्रसाद बताते हैं कि उनके दो बेटे और एक बेटी है. लेकिन तीनों में से कोई उनकी मदद नहीं करता है. वो सारा काम खुद ही करते हैं और ढाबा भी अकेले ही चलाते हैं.
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कांता प्रसाद पत्नी की मदद से सारा काम करते हैं. वो सुबह 6 बजे आते हैं और 9 बजे तक पूरा खाना तैयार कर देते हैं. रात तक वो दुकान पर ही रहते हैं. लॉकडाउन के पहले लोग यहां खाना खाने आया करते थे. लेकिन लॉकडाउन के बाद उनकी दुकान पर कोई नहीं आता है. इतना कहकर वो रोने लगते हैं.
दिल्ली के मालवीय नगर में स्थित ‘बाबा का ढाबा’ की तस्वीर पूरी तरह से बदल चुका है. ढाबा विज्ञापनों से ढक चुका है.और हां, यहां सिर्फ लोग खाने नहीं बल्कि सेल्फी लेने भी आते हैं. बता दें, 80 वर्षीय बाबा और उनकी पत्नी अब खुश हैं.उन्होंने मीडिया से कहा था कि हम जैसे बहुत हैं जिनकी मदद होनी चाहिए.