Ayodhya Khurchan Peda Khadau and Chandan Tika GI Tag : अयोध्या के हनुमान गढ़ी लड्डू को जीआई प्रोडक्ट में शामिल किए जाने के बाद अब गुड़, खुरचन पेड़ा, चंदन, टीका और खड़ाऊ को भी जीआई प्रोडक्ट में शामिल किया जाएगा. काशी निवासी जीआई विशेषज्ञ पद्मश्री रजनी कांत ने इन उत्पादों को ओडीओपी में शामिल करने के लिए जीआई रजिस्ट्री चेन्नई में आवेदन किया है. जीआई रजिस्ट्री चेन्नई ने आवेदन स्वीकार कर लिया है.
रजनी कांत ने बताया कि तकनीकी और कानूनी प्रक्रिया के तहत सभी पांच जीआई आवेदन स्वीकार किए गए हैं. आने वाले कुछ महीनों में अयोध्या के ये सभी पांच पारंपरिक उत्पाद जीआई टैग के साथ भारत की बौद्धिक संपदा में शामिल हो जाएंगे और अयोध्या के मूल उत्पाद के रूप में पूरे विश्व में गर्व के साथ पहुंचेंगे. इन सभी उत्पादों को जीआई मिलने के बाद करीब 10 हजार लोगों को सीधा लाभ मिलेगा.
उन्होंने कहा कि अयोध्या में श्रद्धालुओं और टूरिस्ट की बढ़ती संख्या और मांग के साथ ही अयोध्या के बाजार में अन्यत्र बने नकली उत्पादों की संभावना बढ़ने के कारण यहां के पारंपरिक उत्पादों को जीआई के लिए आवेदन किया गया, ताकि स्थानीय स्तर पर कारोबार बढ़ सके.
टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार, रजनी कांत ने कहा, “33 साल की समाज सेवा के बाद मैं अयोध्या के पांच उत्पादों के लिए जीआई रजीस्ट्रेशन प्रक्रिया में शामिल रहा हूं. काशी और अयोध्या समेत देश भर के 20 राज्यों की संस्कृति और विरासत के संरक्षण और संवर्धन में योगदान देने से बड़ा सौभाग्य और क्या हो सकता है.”
भगवान राम को खुरचन पेड़े का भोग लगा रजनी कांत ने कहा कि प्राचीन काल से ही भगवान श्री राम को खुरचन पेड़े का भोग लगाया जाता रहा है. यहां करीब 12 तरह के तिलक-चंदन तैयार किए जाते हैं, जिनका अलग-अलग संप्रदायों में अलग-अलग तरीके से इस्तेमाल होता है. तिलक देखकर ही पता चल जाता है कि साधु, संत और महंत किस संप्रदाय, मठ, अखाड़े से जुड़े हैं.
खड़ाऊ का विशेष महत्व अयोध्या धरती पर एकमात्र ऐसा स्थान है, जहां त्रेता युग में 14 वर्षों तक खड़ाऊ का राज रहा. आज भी यहां 2 इंच से लेकर बड़े आकार की खड़ाऊ स्थानीय कारीगरों द्वारा बनाई जा रही हैं.लकड़ी की चरणपादुका (खड़ाऊ) को तीर्थयात्री बड़ी श्रद्धा के साथ पूजा के लिए घर ले जाते हैं और पहनने के लिए भी इसका आज भी खूब इस्तेमाल होता है. ओडीओपी उत्पादों में शामिल अयोध्या के गुड़ की प्रसिद्धि भी प्राचीन काल से ही रही है, क्योंकि सरयू नदी के जल, मिट्टी और स्थानीय जलवायु के कारण यहां का गुड़ अपनी अलग पहचान रखता है.
Maha Kumbh 2025 : उत्तर प्रदेश का प्रयागराज इस समय देश के केंद्र में है… Read More
Christmas : इस लेख में हम बात करेंगे कि क्रिसमस क्यों मनाया जाता है और इससे… Read More
Christmas Shopping 2024 : क्रिसमस आने वाला है. ऐसे में कई लोग किसी पार्टी में… Read More
Kumbh Mela 2025 : उत्तर प्रदेश का प्रयागराज इस समय देश के केंद्र में है… Read More
Hot water : सर्दियां न केवल आराम लेकर आती हैं, बल्कि कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं… Read More
Jaunpur Tour : उत्तर प्रदेश के जौनपुर शहर की यात्रा करना हमेशा एक सुखद अनुभव… Read More