AQI kya hota hai : दोस्तों, हम अक्सर ही AQI के बारे में सुनते हैं. खराब AQI की खबरें हमें डराती भी हैं. लेकिन क्या कभी आपने से सोचा है कि AQI होता क्या है और इसका असर आपकी सेहत पर कैसे पड़ता है? आज इस आर्टिकल में हम आपको इन्हीं बातों के बारे में बताएंगे. साथ ही हम ये भी जानेंगे कि AQI का फुल फॉर्म (AQI ka Full Form Kya Hai) क्या है, अगर AQI खराब हो, तो सेहत पर क्या असर पड़ता है, और साथ ही दुनिया के किन किन शहरों का AQI का सबसे खराब है और किन किन शहरों में AQI सबसे अच्छा है, हम ये भी जानेंगे. आइए इस आर्टिकल पर आगे बढ़ते हैं…
हवा में प्रदूषण की मात्रा को मापने के लिए AQI यानी एयर क्वालिटी इंडेक्स का इस्तेमाल किया जाता है. इस इंडेक्स की माप के आधार पर पता चल पाता है कि किसी जगह की हवा कितनी साफ है और सांस लेने लायक है या नहीं. एक्यूआई की वैल्यू जितनी ज्यादा होती है उतना ही एयर पॉल्युशन का स्तर ज्यादा होता है और उतना ही सेहत को खतरा भी. AQI को मापने का उद्देश्य लोगों को वायु प्रदूषण के प्रति जागरुक करना और उनकी सेहत की रक्षा करना होता है.
– देश में AQI को स्तर और रीडिंग के हिसाब से 06 कैटेगरी में बांटा गया है.
– 0-50 के बीच AQI का मतलब अच्छा यानि वायु शुद्ध है
– 51-100 के बीच मतलब वायु की शुद्धता संतोषजनक
– 101-200 के बीच ‘मध्यम
– 201-300 के बीच ‘खराब’
– 301-400 के बीच बेहद खराब
– 401 से 500 के बीच गंभीर श्रेणी
– AQI को 08 प्रदूषण कारकों के आधार पर तय करते हैं. ये PM10, PM 2.5, NO2, SO2, CO2, O3, और NH3 Pb होते हैं. 24 घंटे में इन कारकों की मात्रा ही हवा की गुणवत्ता तय करती है.
– SO2 का मतलब सल्फर ऑक्साइड, ये कोयले और तेल के जलने उत्सर्जित होती है, जो हमारे शहरों में प्रचुर मात्रा में है.
– CO2 यानि कार्बन ऑक्साइड रंगीन होता है, इसमें गंध होती है, ये जहरीला होता है. प्राकृतिक गैस, कोयला या लकड़ी जैसे ईंधन के अधूरे जलने से उत्पन्न होता है. गाड़ियों से होने वाला उत्सर्जन कार्बन ऑक्साइड का एक प्रमुख स्रोत है.
हम रोजाना जो भी करते हैं, उससे वायु प्रदूषण वाली गैसें उत्सर्जित होती हैं. हालांकि सबसे ज्यादा प्रदूषण वाहनों, औद्योगिक ईंधन के कारण निकलने वाले धुएं से होता है.
– NO2 का मतलब नाइट्रोजन ऑक्साइड, जो उच्च ताप पर दहन से पैदा होती है. इसे निचली हवा की धुंध या ऊपर भूरे रंग के रूप में देखी जा सकती है.
– NH3 कृषि प्रक्रिया से उत्सर्जित अमोनिया है.साथ ही इसकी गैस कूड़े, सीवेज और औद्योगिक प्रक्रिया से उभरने वाली गंध से भी उत्सर्जित होती है।
– O3 मतलब ओजोन का उत्सर्जन
– आंख, गले और फेफड़े की तकलीफ बढ़ने लगती है. सांस लेते वक्त इन कणों को रोकने का हमारे शरीर में कोई सिस्टम नहीं है. ऐसे में पीएम 2.5 हमारे फेफड़ों में काफी भीतर तक पहुंचता है. पीएम 2.5 बच्चों और बुजुर्गों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाता है. इससे आंख, गले और फेफड़े की तकलीफ बढ़ती है. खांसी और सांस लेने में भी तकलीफ होती है. लगातार संपर्क में रहने पर फेफड़ों का कैंसर भी हो सकता है.
– बिजली संयंत्रों की चिमनियों, कंस्ट्रक्शन और नगर निगम के कचरे की भट्टी जैसे स्रोत
– मोटर, गाड़ी, हवाई जहाज जैसे स्रोत
– समुद्री जहाजों, क्रूज़ जहाजों और बंदरगाहों से
– जलने वाली लकड़ी, आग लगने की जगहों, चूल्हा, भट्टी से.
– सामान्य तेल शोधन और औद्योगिक गतिविधियों से
– कृषि और वानिकी में रसायन के इस्तेमाल, धूल उड़ने से
– पेंट, बालों के स्प्रे, वार्निश, एरोसोल स्प्रे आदि से
– लैंड फिल में जमा कचरे से जो मीथेन पैदा करते हैं
– परमाणु हथियार, विषाक्त गैसों, रॉकेट छोड़ने से
इसमें धूल, बंजर भूमि से उड़ने वाली धूल, पशुओं द्वारा भोजन के पाचन मीथेन गैस उत्सर्जित होती है. इसीलिए अक्सर कहा जाता है कि दुधारू पशु ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जित करते हैं
पृथ्वी की पपड़ी नष्ट होने से रेडियोधर्मी क्षय से उत्पन्न रेडॉन गैसों से.
जंगल की आग से पैदा होने वाले गैस और उससे निकलने वाली कार्बन गैसों से
ज्वालामुखी से
पटाखे और आतिशबाजी काफी ज्यादा धुआं पैदा करते हैं. इससे कॉर्बन आक्साइड, सल्फर ऑक्साइड प्रचुर मात्रा में पैदा होते हैं, ये हवा में मिलते हैं और हवा को ना केवल जहरीला करते हैं बल्कि प्रदूषित भी. इससे वायु की गुणवत्ता खराब होती है. स्वास्थ्य पर भी इसका असर होता है.
AQI का फुल फॉर्म Air Quality Index होता है.
रिपोर्ट के मुताबिक देश के 242 में से सिर्फ 30 शहरों में हवा ‘बेहतर’ रही. 80 शहरों में AQI ‘संतोषजनक’ थी, जबकि 90 शहरों में ‘मध्यम’ थी. सबसे बुरी हालत हनुमानगढ़ की थी, यहां पर AQI 408 पहुंच गया था.दिल्ली का सूचकांक 312 दर्ज किया गया. छपरा-बठिंडा सहित छह शहरों की हवा बेहद खराब थी. यहां प्रदूषण का लेवल 200 के पार है. दिल्ली में वायु गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ है. बारिश के बाद AQI 83 अंक गिरकर 312 पर पहुंच गया. फरीदाबाद में 250, गाजियाबाद में 250, गुरुग्राम में 196, नोएडा 274, सिंगरौली-प्रयागराज-बीकानेर-छपरा सहित 35 शहरों में प्रदूषण का स्तर जानलेवा था.
सिर्फ इन 30 शहरों में हवा साफ रही. यहां AQI 50 से नीचे था. अनंतपुर 38, अरियालूर 18, बागलकोट 46, बेलगाम 46, चामराजनगर 42, चेंगलपट्टू 28, चेन्नई 44, चिकबलपुर 32, चिक्कामगलुरु 32, चित्तूर 42, कुड्डालोर 29, एलूर 39, गडग 46, होसुर 47, कडपा 30, कलबुर्गी 40, कांचीपुरम 20, करौली 44, कोल्लम 49, मैसूर 48, पालकालाइपेरुर 26, पुदुचेरी 41, रामानगर 43, रामनाथपुरम 31, सलेम 32, शिवमोगा 49, सिलचर 38, तिरुवनंतपुरम 39, थूथुकुडी 37 और तिरुपति 50 शामिल रहे.
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