Govardhan Puja – भगवान कृष्ण को प्रसन्न करने के लिए ऐसे करें गोवर्धन पूजा
Govardhan puja : हिंदू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर गोवर्धन पूजा मनाई जाती है. गोवर्धन पूजा दिवाली के दूसरे दिन आती है. हिंदू धर्म में गोवर्धन पूजा का विशेष महत्व होता है. गोवर्धन पूजा को अन्नकूट भी कहते हैं. गोवर्धन पूजा उत्तर भारत में विशेष रूप से मनाया जाता है. मान्यता है कि इसी तिथि पर भगवान श्रीकृष्ण ने गोकुल वासियों इंद्र के प्रकोप से बचाया था और देवराज के अहंकार को नष्ट किया था. भगवान कृष्ण ने अपनी सबसे छोटी उंगली से गोवर्धन पर्वत उठाया जाता है. तभी से गोवर्धन पर्वत की पूजा करने की परंपरा आरंभ हुई.
गोवर्धन पूजा प्रातःकाल मुहूर्त – 06:29 ए एम से 08:43 एएम
अवधि – 02 घंटे 14 मिनट
प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ – अक्टूबर 25, 2022 को 04:18 पीएम बजे
प्रतिपदा तिथि समाप्त – अक्टूबर 26, 2022 को 02:42 पी एम बजे
Govardhan puja : जानें क्यों मनाया जाता है गोवर्धन पूजा, क्या है इसके पीछे की पौराणिक कथा
गोवर्धन पूजा विधी
दिवाली के बाद गोवर्धन पूजा का विशेष महत्व है. इस त्योहार के दिन गोवर्धन पर्वत, गाय और भगवान श्री कृष्ण की पूजा का विशेष महत्व है. गोवर्धन पूजा जहां एक तरफ भगवान के प्रति श्रद्धा और भक्ति दिखाने का पर्व है वहीं यह प्रकृति के प्रति आभार और सम्मान व्यक्त करने का त्योहार भी है.
उत्तर भारत के लोग दिवाली के अगले दिन बाद यानी गोवर्धन पूजा के दिन गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाकर उसे फूलों से सजाया जाता है.
गोवर्धन पूजा के दौरान इस दिन गोवर्धन पर धूप, दीप, नैवेद्य, जल, फल और फूल आदि चढ़ाएं जाते हैं. इसके अलावा गोवर्धन पूजा पर गाय की विशेष रूप से पूजा की जाती है. इस दिन कृषि काम में आने वाले पशुओं की पूजा की जाती है.
गोवर्धन पूजा पर गोबर से लेटे हुए पुरुष के रूप में गोवर्धन पर्वत बनाए जाते हैं. फिर गोवर्धन पुरुष की नाभि पर एक मिट्टी का दीपक रखा जाता है. इस दीपक जलाने के साथ दूध, दही, गंगाजल आदि पूजा करते समय अर्पित किए जाते हैं और बाद में प्रसाद के रूप में बांट दिए जाते हैं.
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पूजा के अंत में गोवर्धन जी की सात परिक्रमाएं लगाई जाती हैं. फिर जौ बोते हुए परिक्रमा पूरी की जाती है. गोवर्धन पर्वत भगवान के रूप में माने और पूजे जाते हैं और गोवर्धन पूजा करने से धन और संतान सुख में वृद्धि होती है. गोवर्धन पूजा के दिन न सिर्फ गोवर्धन पर्वत की पूजा होती है बल्कि भगवान विश्वकर्मा की पूजा भी की जाती है.