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जहां लिखी गई महाभारत, कहां है वह गणेश गुफा ( Ganesha Cave ) ? ऐसे पहुंचे वहां तक

क्या आपको पता है ( Ganesha Cave ) गणेश गुफा कहां पर है? क्या आप जानते है गणेश भगवान वहां पर कैसे पहुंचे थे। क्या आप यकीन करेंगे की गणेश भगवान ने वेद व्यास जी के कहने पर महाभारत को इसी गुफा में लिखा था। कुछ ऐसे ही पौराणिक रहस्य है, जिसके बारे में आपको इस लेख में पढ़ने को मिलेगा।

कहां है Ganesha Cave ?:  ( Ganesha Cave ) गणेश गुफा उत्तराखंड राज्य के बद्रीनाथ से करीब 4 किलोमीटर दूर माणा गांव में स्थित है। इस गांव को हिंदुस्तान का आखिरी गांव कहा जाता है। ये रहस्यमयी गणेश गुफा एक प्राकृतिक रूप से बनी गुफा है। यह गुफा अलकनंदा और सरस्वती नदी के संगम तट पर है। गणेश गुफा के पास में वेद व्यासजी और मुचुकुन्द गुफा भी है।

क्या है मान्यता ?:  भगवान गणेश जी मंगलकर्ता, विघ्नहर्ता, ज्ञान और बुद्धि के देवता माने जाते हैं। इसलिए जब हिंदू धर्म में शुभ कार्य की शुरुआत होती है तो सबसे पहले गणेश भगवान का ध्यान किया जाता है । इसलिए जब वेदव्यास जी ने महाभारत महाकाव्य की रचना शुरू की तब उन्होंने न सिर्फ गणेश जी का ध्यान किया, बल्कि गणेश जी को इस बात के लिए भी तैयार कर लिया कि आप महाभारत खुद अपने हाथ से लिखें। मान्यता के मुताबिक गणेश जी ने भी महाभारत लिखने की हामी भर दी, साथ ही एक शर्त भी रख दी। भगवान गणेश ने वेद व्यास जी से कहा कि आप लगातार कथा बताते रहना, नहीं तो आपकी कथा जहां रुकी वहीं मैं भी लेखनी का कार्य छोड़ दूंगा। फिर आपकी कथा पूरी हो या अधूरी। वेदव्यास जी ने कहा ठीक है लेकिन आप बिना सोचे- समझे और बिना मुझसे सलाह लिए कुछ भी नहीं लिखेंगे। इस तरह व्यास जी ने गणेश जी को अपनी बातों में उलझा दिया और गणेश जी को पूरी महाभारत कथा एक छोटी सी गुफा में बैठकर लिखनी पड़ी। ऐसा माना जाता है कि पहले महाभारत का नाम जय गाथा था।

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व्यास गुफा:  गणेश गुफा के पास में ही एक और गुफा है व्यास गुफा। वैसे तो ये छोटी सी गुफा है लेकिन व्यास गुफा कई रहस्यों से भरी पड़ी है। मान्यता के मुताबिक हजारों साल पहले महर्षि वेद व्यास ने इसी गुफा में सभी पुराणों की रचना की थी। इस गुफा की अनोखी छत हर किसी पर्यटक के लिए चर्चा का विषय रहती है। इस छत को देखने पर ऐसा लगता है, जैसे बहुत से पन्नों को एक के ऊपर रखा हुआ है। इसलिए इसे व्यास पोथी भी कहते हैं। मान्यता है कि महर्षि वेद व्यास ने भगवान गणेश से महाभारत के वो पन्ने लिखवाए तो थे, लेकिन उसे उस महाकाव्य में शामिल नहीं किया और उन्होंने उन पन्नों को अपनी शक्ति से पत्थर में बदल दिया।

वर्तमान में कैसी है व्यास गुफा? : वर्तमान में इस गुफा में व्यास जी का मंदिर बना हुआ है। साथ ही उनके दोनों बेटे शुकदेव जी और वल्लभाचार्य की प्रतिमा भी विराजित है। और भगवान विष्णु की भी एक प्राचीन प्रतिमा है। इस गुफा में प्रवेश करने पर शांति और आत्मिक सुख की अनुभूति होती है। जो हर पर्यटक के लिए सुकून देने वाला पल हो सकता है।

मुचुकुन्द गुफा: व्यास गुफा से थोड़ी दूरी पर है मुचुकुन्द गुफा। पौराणिक मान्यता के अनुसार कालिय यवन को मुचुकुन्द की दृष्टि से भगवान कृष्ण ने भस्म कराया था। जिसके बाद भगवान मुचुकुन्द के सामने प्रकट हुए और कहा शिकार बंद करो और भगवान के तप में लग जाओ। जिसके बाद मुचुकुन्द श्री बदरिकाश्रम की ओर चल दिया। यहां पर आवणी जन्माष्टमी पर बहुत से लोग दर्शन करने आते हैं।

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कैसे पहुंचे गणेश गुफा?:  बद्रीनाथ आने वाले पर्यटक गणेश गुफा तक आसानी से पहुंच सकते हैं। नेशनल हाईवे 58 के जरिए पर्यटक हरिद्वार और ऋषिकेश से बद्रीनाथ धाम और फिर आगे माणा गांव आ सकते हैं। यहां से नजदीक रेलवे स्टेशन हरिद्वार है जो करीब 320 किलोमीटर है। वहीं हवाई अड्डा 340 किलोमीटर दूर देहरादून में है।

यहां घूमने का बेस्ट टाइम: अगर आपको गणेश गुफा के दर्शन के लिए आना हो तो आप मई से लेकर नवंबर के बीच में आ सकते हैं। क्योंकि इन महीनों में यहां का मौसम साफ रहता है ।

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