Bhilwara Travel Blog: अगर आप छुट्टी का प्लान कर रहे हैं तो राजस्थान ( Rajasthan ) के भीलवाड़ा ( Bhilwara ) के लिए भी मूड बना सकते हैं। यहां पर आपको झरने, पहाड़, हरियाली, धार्मिक स्थल देखने को मिलेंगे, जिसके बाद आप कह सकते हैं कि ये पैसा वसूल टूर है। तो चलिए हम आपको बताते है की भीलवाड़ा ( Bhilwara ) में आपके लिए क्या- क्या है ?
भीलवाड़ा ( Bhilwara ) का इतिहास: हम सबसे पहले ये जाने की यहां पर आपके के लिए घूमने के लिए क्या- क्या है?, उससे पहले हम राजस्थान के सातवें सबसे बड़े शहर भीलवाड़ा ( Bhilwara ) के इतिहास के बारे में जान लेते हैं। भीलवाड़ा ( Bhilwara ) शहर विश्व प्रसिद्ध रामद्वारा रामस्नेही संप्रदाय का मूल स्थान है। इस शहर को वस्त्रों की नगरी ( City of clothes ) भी कहा जाता है। ये शहर 900 साल पुराना है। एक कथा के मुताबिक यहां पर भिलाड़ी नाम के सिक्के ढाले जाते थे, उसी के नाम पर इसका नाम भीलवाड़ा ( Bhilwara ) पड़ा। ऐसा भी कहा जाता है कि यहां की भील जाति ने, महाराणा प्रताप की मुगलों के विरूद्ध युद्ध में सहायता की थी, तो इसका नाम भील-बाड़ा, भीलों का क्षेत्र – भीलवाड़ा ( Bhilwara ) रखा गया।
मेजा बांध: भीलवाड़ा ( Bhilwara ) रेलवे स्टेशन से लगभग 20 किमी दूर है मेजा बांध ( Meja Dam ) । ये बांध कोठारी नदी ( Kothari River ) पर बना हुआ है। मेजा बांध ( Meja Dam ) न केवल भीलवाड़ा शहर का सबसे बड़ा बांध ( Dam ) है, बल्कि शहर के लोगों के लिए पीने के पानी का स्रोत भी है। मेजा बांध ( Meja Dam ) पर बनाए गए मिर्जापुर को ग्रीनमाउंट ( Greenmount ) के नाम से भी जाना जाता है। अगर आप जब यहां जाएं, तो कैमरा अपने साथ कैरी करें, क्योंकि ये जगह आपको फोटो लेने के लिए मजबूर कर देगी। आप परिवार और दोस्तों के साथ एक दिन की योजना बनाकर यहां पर पिकनिक मनाने आ सकते हैं। यहां पर मॉनसून के मौसम में आना सबसे अच्छा अनुभव हो सकता है।
बदनोर फोर्ट: बदनोर फोर्ट ( Badnore Fort ) भीलवाड़ा ( Bhilwara ) से 70 किलोमीटर दूर है। इस किले को बदनापुर ( Badnapur ) नामक एक परमार राजा ( Parmar Raja ) ने 845 ईस्वी में बनवाया था। ये किला मध्ययुगीन भारतीय वास्तुकला का एक शानदार उदाहरण है। छोटी सी पहाड़ी पर 7 मंजिला किला बना हुआ है। आप बदनोर फोर्ट ( Badnore Fort ) के परकोटे ( Perkote ) के अंदर कई छोटे स्मारकों और मंदिरों के दर्शन कर सकते हैं। बदनोर किला पर्यटकों के लिए सुबर 9 बजे से शाम 5 बजे तक खुला रहता है। इस किले को देखने के लिए किसी भी प्रकार की कोई एंट्री फीस नहीं है
हरनी महादेव: भीलवाड़ा ( Bhilwara ) से 8 किलोमीटर दूर हरनी महादेव ( Harni Mahadev )। ये मंदिर हजारों सालों पुराना है। इस शिवलिंग के बारे में मान्यता है कि इसकी खोज दारका परिवार ( Daraka Family ) के पूर्वजों ने पहाड़ के अंदर से की थी। तभी से ये मंदिर शिव भक्तों के लिए पवित्र स्थान है। अरावली पहाड़ियों से घिरा यह मंदिर पर्यटकों के लिए Great destination हो सकती है।
क्यारा के बालाजी: ‘बालाजी’ शब्द हिंदू देवता हनुमान का दूसरा नाम है। क्यारा के बालाजी ( Kyara ke Balaji ) भीलवाड़ा ( Bhilwara ) में, भगवान हनुमान को समर्पित एक मंदिर है, और हर दिन सैकड़ों लोग मंदिर में आशीर्वाद लेने के लिए आते हैं। इसलिए, यदि आप भगवान हनुमान ( Lord Hanuman ) के प्रति आस्था रखते हैं तो क्यारा के बालाजी ( Kyara ke Balaji ) के दर्शन करने से ही आपको शांति मिलेगी।
मांडल: भीलवाड़ा ( Bhilwara ) शहर से करीब 16 किलोमीटर की दूरी है मांडल ( Mandal ) । जहां एक छतरी जगन्नाथ कच्छवाहा के स्मारक के रूप में है, जिसे 32 खम्भों की छतरी के रूप में भी जाना जाता है। ये छतरी बहुत ही सुंदर है। उनमें निचले और ऊपरी भाग पर सुंदर नक्काशी की हुई है। छतरी में एक विशाल शिवलिंग भी हैं।
जटाऊं का मंदिर: ये मंदिर 11वीं शताब्दी के मध्य स्थापित किया गया था। यहां पर जटाऊं और शिव का मंदिर है। ऐसा माना जाता है, कि इसे एक भील आदिवासी ने बनाया था।
बीड़ के बालाजी: श्री बीड के बालाजी ( Beed ke balaji ) पूरे भारत में, बालाजी देवता, भगवान हनुमान पर एक नाम है। और यह मंदिर महाबली हनुमान के स्वरूप भगवान बालाजी को समर्पित है। श्री बीड के बालाजी मंदिर ( Beed ke balaji ) शाहपुरा तहसील ( Shahpura Tehsil ) के केंचन गांव ( Kenchan Village ) से 3 किलोमीटर दूर स्थित है।ये जगह प्रकृति की गोद में है, यदि आप शांति और सुखद वातावरण का अनुभव करना चाहते हैं तो यह आपके लिए खास जगह है।
त्रिवेणी: त्रिवेणी संगम ( Triveni Sangam ) भीलवाड़ा शहर से 40 किलोमीटर दूर स्थित है। बदाच और बनास नदियों के साथ मेनली नदी ( Menly River ) का संगम प्वाइंट है। तट के साथ भगवान शिव को समर्पित एक प्राचीन मंदिर है जो मानसून के दौरान पानी के नीचे डूबा रहता है।
बिजोलिया: बिजोलिया ( Bijolia ) श्री दिगंबर जैन पार्श्वनाथ अतिशय तीर्थक्षेत्र, बिजोलिया किला ( Bijolia Fort ) और मंदाकिनी मंदिर ( Mandakini Temple ) के लिए प्रसिद्ध है। बूंदी-चित्तौड़गढ़ रोड पर बिजोलिया फोर्ट स्थित है। किले के अंदर शिव मंदिर है जिसे हजारेश्वर महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है। यह अपनी आकर्षक कला और वास्तुकला के लिए पर्यटकों में लोकप्रिय है। वहीं, जैन मंदिर 2700 सालों पहले का माना जाता है।
तिलस्वां महादेव: बिजोलिया ( Bijolia ) से 15 किलोमीटर दूर स्थित चार मंदिर हैं, जिनमें से प्रमुख सर्वेश्वर को समर्पित है, जो कथित तौर पर 10वीं या 11वीं सदी से जुड़ा हुआ हैं। मंदिर परिसर में एक मठ, एक कुंड और एक विजय स्मारक भी है। यहां शिवरात्रि को विशाल मेला लगता है जिस में दूर- दूर से हजारों श्रद्धालु आते हैं।
मांडलगढ़: भीलवाड़ा ( Bhilwara ) से 54 किमी दूर स्थित इस जगह का ऐतिहासिक महत्व है। क्योंकि यह मध्य काल के दौरान कई युद्धों का साक्षी रहा है। इतिहास प्रसिद्ध हल्दी घाटी युद्ध के दौरान मुगल सम्राट अकबर ने इस स्थान पर डेरा जमाया था। लगभग आधा किलोमीटर लंबा किला पहाड़ी के शिखर पर प्राचीरों और खाई की सुरक्षा के साथ खड़ा हुआ है। माना जाता है कि किला बालनोट राजपूतों के एक प्रमुख द्वारा निर्मित किया गया था। किले में दो मंदिर हैं, जिसमें एक भगवान शिव को समर्पित है जिसे जलेश्वर कहा जाता है और ’द्वारा’ जिसे बड़ा मंदिर कहते हैं भगवान कृष्ण को समर्पित है।
कब आएं: वैसे तो इस शहर में कभी भी जा सकते हैं लेकिन आप जून से लेकर अक्टूबर ( June to October ) के बीच जाएंगे तो गर्मी कम होती है, और मौसम ठंडा रहता है।
कैसे पहुंचे: अगर आप भीलवाड़ा ( Bhilwara ) घूमना आना चाहते हैं BY AIR जयपुर ( Jaipur ) या फिर उदयपुर ( Udaipur ) से आ सकते है। जयपुर ( Jaipur ) से भीलवाड़ा ( Bhilwara ) की दूरी 253 किलोमीटर है, जबकि उदयपुर से 143 किलोमीटर दूर है। यहां पर आने के बाद आप बस या टैक्सी ले सकते हैं। वहीं भीलवाड़ा ( Bhilwara ) आप रेल मार्ग से भी आ सकते हैं। भीलवाड़ा ( Bhilwara ) रेल मार्ग Ajmer, Jodhpur, Jaipur, Kota, Indore, Ujjain and Delhi से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
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