Sikh Religion History : गुरु नानक देव भी काहिरा, मिस्र आये थे लेकिन आज उनकी स्मृति के कोई निशां नहीं हैं. सन 1519 में कर्बला, अजारा होते हुए नानक जी और भाई मर्दाना कैकई नामक आधुनिक शहर में रुके थे. यह मिस्र का आज का काहिरा या काइरो ही है. उस समय यहां का राजा सुल्तान माहिरी करू था. जो खुद गुरू जी से मिलने आया था और उन्हें अपने महल में ठहराया था. पहले विश्व युद्ध में सूडान लड़ने गई भारतीय फौज कि सिख रेजिमेंट के 20 सैनिक उस स्थान पर गए भी थे जहां गुरु महाराज ठहरे थे.
कहते हैं कि यह स्थान आज के मशहूर पर्यटन स्थल सीटाडेल के करीब मुहम्मद अली मस्जिद के पास कहीं राज महल में है. इस महल को सुरक्षा की दृष्टि से आम लोगों के लिए बंद किया हुआ है. इसमें एक चबूतरा है जिसे- “अल-वली-नानक” कहते हैं, यहीं पर गुरु नानक ने अरबी में कीर्तन और प्रवचन किया था. सीटाडेल में इस समय किले के बड़े हिस्से को बंद किया हुआ है. यहां पुलिस और फौज के दफ्तर हैं. किले के बड़े हिस्से को सेना, पुलिस और जेल के म्यूजियम में बदल दिया गया है.
ताजुद्दीन नक्शबंदी एक फ़ारसी/अरबी का लेखक था, वह गुरु नानक देव कि मध्य-पूर्व यात्रा के दौरान उनके साथ दो साल साथ रहे थे. वे हर दिन की डायरी भी लिखते थे. उनकी वह पांडुलिपि सं १९२७ में मदीना की एक लायब्रेरी में मिली थी. ताजुद्दीन की इस पांडुलिपि को मुश्ताक हुसैन शाह ने सं १९२७ में खोजा था. बाद में वे सिख बन गए और प्रसिद्ध सिख गुरु संत सैयद प्रीतपाल सिंह (१९०२-१९६९ ) के नाम से जाने गए.
इस पांडुलिपि में बताया है कि संत नानक दजला नदी के किनारे चलते हुए कुफा होते हुए कैकई शहर में पहुंचे थे. वहां के खलीफा या सुलतान माहिरी करू के आध्यात्मिक सलहाकार पीर जलाल ने सबसे पहले नानकदेव के अरबी में शब्द सुने. फिर उनसे अनुरोध किया कि वे उनके जिद्दी और क्रूर खलीफा कि सही राह बताएं. कहते हैं कि नानक देव की वाणी का खलीफा पर ऐसा असर हुआ कि उसने बाबा नानक को अपने महल में ठहराया.
भारत, सिख मत और गुरु नानक देव की स्मृतियों के लिहाज से यह बेहद महत्वपूर्ण स्थान है. भारत सरकार को इस स्थान पर गुरु नानक देव के स्थल पर विशेष प्रदर्शनी के लिए इजिप्ट सरकार से बात करनी ही होगी, जब इजिप्ट सरकार को महसूस होगा कि इससे सिख पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा तो निश्चित ही वह इसके लिए तैयार होगी, क्योंकि इजिप्ट की अर्थव्यवस्था का आधार पर्यटन ही हैं. काश भारत सरकार इजिप्ट सरकार से बात कर इसे सिखों के पवित्र स्थल के रूप में स्थापित करने के लिए कार्रवाई करें.
इजिप्ट यानि मिस्र की राजधानी काहिरा या कायरो अरब – दुनिया का सबसे बड़ा शहर है, नब्बे लाख से अधिक आबादी का, यहां इसाईओं की बड़ी आबादी है, कोई बारह फीसदी, लेकिन हिंदू-सिख-जैन-बौद्ध अर्थात भारतीय मूल के धर्म अनुयायी दिखते नहीं हैं, या तो नौकरी करने वाले या फिर अस्थायी रूप से लिखने-पढ़ने आये लोग ही गैर मुस्लिम-ईसाई मिलते हैं. ऐसा नहीं कि वहां हिंदू धर्म के बारे में अनभिज्ञता है. वहां हिंदी फ़िल्में बेहद लोकप्रिय हैं और हर दूसरा आदमी यह जानने को जिज्ञासु रहता है कि हिंदू महिलाएं बिंदी या मांग क्यों भरती हैं? भारत का भोजन या संस्कार क्या-क्या हैं?
कई लोग ऐसे भी मिलेंगे जिनकी तीसरी पीढ़ी सिख थी और बाद में वे मुसलमान हो गये. आज सीटाडेल एक व्यस्त पर्यटन स्थल है. यहां की एक मस्जिद में भारत से लाये गए चंदन की छत अभी भी खुशबू देती है और यह बात वहां के गाइड बताते हैं लेकिन कोई भी बाबा नानक कि स्मृति के बारे में जानता नहीं. यह फोटो सीटाडेल का ही है. पहले विश्व युद्ध के समय सिख रेजिमेंट द्वारा खींचे गए उस फोटो को भी देखिए जिसमें बाबा नानक का चबूतरा दिख रहा हैं.
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