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Shergarh Fort Dholpur : शेरगढ़ किले के बारे में जानें इंटरेस्टिंग फैक्ट्स

Shergarh Fort Dholpur : श्रीनगर कन्याकुमारी राजमार्ग या मुंबई-आगरा राष्ट्रीय राजमार्ग पर जब आप धौलपुर से मुरैना के लिए बढ़ते हैं, तो चंबल नदी से ठीक पहले बाईं ओर मिट्टी के टीलों के बीच स्थित है शेरगढ़ का किला. यूं तो ये किला आज वीरान है. इसके कई हिस्से खंडहर हो चुके हैं और सिर्फ कुछ ही हिस्सा सही सलामत है. लेकिन इसके अंदर एक प्राचीन मंदिर है, जो उस काल का है, जब ये मंदिर बना था.

आज शेरगढ़ के किले के आसपास कई मंदिर और कुछ मजारें भी बन चुकी हैं. ऐसा सिर्फ जमीन पर कब्जे के उद्देश्य से किया गया है. लेकिन अगर आप एक प्राचीन धरोहर को देखना चाहते हैं, तो कुछ पल निकालकर यहां आ सकते हैं. यहां आपको बमुश्किल एक घंटे का वक्त लगेगा. आप इस एक घंटे में न सिर्फ प्राचीन मंदिर और शेरगढ़ का किला देख सकते हैं बल्कि नए मंदिरों में भी घूम सकते हैं.

शेरगढ़ किले शेरशाह सूरी के नाम पर रखा गया. ऐतिहासिक अभिलेखों के अनुसार इस किले को सबसे पहले राजा मालदेव ने 1532 में बनवाया था. शेरशाह ने इस पर आक्रमण कर कब्जा कर लिया था. इसके बाद शेर शाह सूरी ने इसमें कई कार्य भी करवाए और इसी के बाद इसे नया नाम दिया गया.

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शेरगढ़ का किला कब बनाया गया था?

ऐतिहासिक अभिलेखों के अनुसार शेरगढ़ किला पहली बार 1532 में जोधपुर के राठौर वंश के महाराजा मालदेव द्वारा बनाया गया था. यह किला धौलपुर शहर से लगभग 7 किमी साउथ में चंबल नदी के बाएं किनारे पर एक सड़क पुल के पास स्थित है. 16वीं शताब्दी के बीच में मेवाड़ के हमले से अफगान साम्राज्य की रक्षा के लिए इस्तेमाल किया गया था. राजा महाराजाओं के समय में शेरगढ़ किले को एक सैन्य छावनी के रूप में इस्तेमाल किया जाता था.

इसने एक मजबूत और रणनीतिक रूप से स्थित रक्षा उपाय के रूप में कार्य किया. शेरगढ़ किला 20 वीं शताब्दी की शुरुआत तक इस्तेमाल में था. प्राचीन धरोहर के रूप में किले की दीवारों पर कई विशाल 25 टन वजनी अष्टधातु रखी गई थी. जिसमें हनुहुंकर नाम की तोप रखी गई थी.

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इसके चारों ओर ऊंचे गढ़ बने हुए हैंं. जिस पर सैनिक तैनात रहते हुए किले की रखवाली करते थे. किले के दो मुख्य द्वार हैं. जिनमें से एक पश्चिम की ओर और दूसरा दक्षिण की ओर स्थित है. पुराने समय में लोगों को धौलपुर से बाहर जाने के लिए इन फाटकों से गुजरना पड़ता था. किले के निर्माण के समय ही तत्कालीन महाराज मालदेव ने यहां हनुमान जी का मंदिर बनवाया था जो आज भी स्थित है.

किले को करामाती छवियों, हिंदू देवताओं की सुंदर नक्काशीदार मूर्तियों और जैन रूपांकणों से अलंकृत किया गया था. शेरगढ़ किले में अक्सर इस्तेमाल किया जाने वाला द्वार पूर्वी तरफ था. इसमें एक हनुमान मंदिर, कई महल, आंगन, एक मकबरा और कई अन्य संरचनाएं थी. आज ज्यादातर खंडहर रूप में हैं. धौलपुर में शेरगढ़ किला राजस्थान के ऐतिहासिक और पुरातात्विक रूप से महत्वपूर्ण किलों में से एक है. इसकी देखरेख सरकार के हाथ में है. इस किले की यात्रा के लिए किसी टिकट की आवश्यकता नहीं है.

कैसे पहुंचें शेरगढ़ किला धौलपुर राजस्थान|| How To Reach Shergarh Fort Dholpur Rajasthan

शेरगढ़ किले का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन धौलपुर है जिसकी दूरी 5 किमी है

धौलपुर किले का सबसे नजदीकी हवाईअड्डा: – आगरा 70 किमी, दिल्ली 28o किमी, जयपुर 275 किमी है.

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