Muhammad Shah Rangeela : भारत में कई सदियों तक मुगल बादशाह रहे हैं, सब अपनी किसी ना किसी खासियत की वजह से अपनी अलग पहचान बनाने में कामयाब रहे। ये सभी राज-काज में कुशल और योद्धा थे। सबके अपने अलग-अलग अंदाज थे जो तमाम कमियों का बाद भी उल्लेखनीय थे। लेकिन औरंगजेब के बाद मुगल वंश के बादशाहों की कहानी से जनता दूर हो गई है। इन्हीं में से एक था मुहम्मद शाह जिसे रंगीन मिजाज की वजह से ‘रंगीला’ की भी उपाधि दी गई थी। ये दिल्ली का वो मुगल बादशाह है जिनके नाम पर दिल्ली में एक सड़क तक नहीं हैं। ये वो बाहशाह है जिन्हें भारत का इतिहास भूल चुका है।
औरंगजेब के मरने के बाद हिन्दुस्तान में राजशाही बिल्कुल खत्म हो गई थी। औरंगजेब के काल में 3 बादशाहों का अचानक से कत्ल हो गया था। एक को तो अंधा तक बना दिया गया था। इसके बाद जब पूरी सल्तनत औरंगजेब ने संभाली, तो उन्होंने दिल्ली पर अपना पूरा अधिकार स्थापित कर लिया था। औरंगजेब ने पूरे शासन काल में सिर्फ लड़ाईयां की है, यहां तक कि जब औरंगजेब मरा तो भी वो लड़ रहे थे। औरंगजेब को गीत-संगीत नाच-नृत्य में जरा भी रूची नहीं थी। उन्हें इन सब से सख्त नफरत थी। गीत-संगीत, साहित्य, नाच-गाना सब बर्बाद कर दिया। जो कलाकार मुगलिया राज में ऐश करते थे, वो सब औरंगजेब के राज में भीख मांगने की हालत में आ गए थे।
लेकिन मुहम्मद शाह रंगीला ने सब कुछ बदल दिया था। वो सारे कलाकारों को वापस ले आए। उस समय दिल्ली में कठिन राग ध्रुपद चला करता था। रंगीला के आग्रह पर ‘खयाल’ स्टाइल लाया गया और आज भी यही चलता है। फिर चित्रकारों को विशेष सुविधा दी गई। निदा मॉल जैसे चित्रकार दरबार में रहा करते थे। बादशाह के हर तरह के चित्र बनाये गए थे। यहां तक कि सेक्स करते हुए भी तस्वीरें हैं।
अब दिल्ली में सगींतकारों, नृत्यकारों और कलाकारों का बोलबाला था। मुहम्मद शाह रंगीला ने अपने काल में कभी कोई युद्ध नहीं लड़ा था। मस्ती में जीवन निकला करता था। सुबह-सुबह कभी मुर्गों की लड़ाई, तो कभी घुड़दौड़। दिन में तरह-तरह के संगीत और फिर इश्क-मुहब्बत। तरह-तरह के कलाकारों को पास में बिठाना, उनसे बातें करना। बादशाह के बारे में कहा जाता है कि वो लड़कियों के कपड़े पहन कर नाचा करते थे। इस बादशाह ने वो दिल्ली बनाई थी, जिसके बारे में मीर तकी मीर ने लिखा था: “ दिल्ली जो इक शहर था आलम में इन्तिखाब… ”
आपको बता दें कि जब मुगलिया राज का पैसा देख नादिर शाह यहां चला आया था, तो बादशाह आराम करता रहा था। जब बादशाह के पास चिट्ठी आई, तो बादशाह ने उस चिट्ठी को दारू के अपने प्याले में डुबो दिया और बोले: आईने दफ्तार-ए-बेमाना घर्क-ए-मय नाब उला। जिसका मतलब था कि इस बिना मतलब की चिट्ठी को दारू में डुबा देना बेहतर है।
जिसके बात बिगड़ती गयी… जब नादिर शाह दिल्ली आया तो मुहम्मद शाह अपनी सेना के साथ खड़ा था। लेकिन बाद में अपने मंत्रियों के समझाने पर नादिरशाह से समझौते के लिए तैयार हो गया। नादिरशाह की मांग के मुताबिक बादशाह ने अपना खजाना खोल दिया और नादिर के जो भी हाथ लगा वो उसने ले लिया। लेकिन वो बस एक चीज की तलाश में था और वो चीज थी कोहिनूर का हीरा। बादशाह रंगीला उसे काफी पसंद किया करता था लेकिन नादिर उसे ले जाना चाहता था। बादशाह ये हीरा उसे देना नहीं चाहता था।
फिर बादशाह के एक वजीर ने नादिर से बात की और उसे कुछ गुप्त बात बता दी। जिसके बाद नादिर जाने के लिए तैयार हो गया। लेकिन जैसे ही जाने का वक्त आया तो बादशाह रंगीला नादिर को रुखसत करने के लिए गया। वहां नादिर ने उसे गले लगाया और बोला कि हमारे यहां रिवाज है कि जाते वक्त हम अमामे बदल लेते हैं। तो आप मुझे अपना मुकुट दे दो, मेरा ले लो। लेकिन बादशाह ने अपना कोहिनूर मुकुट में ही रखा था। और नादिर को वजीर ने यही बात बताई थी। बादशाह के पास अब इस बात के जवाब में कहने के लिए कोई शब्द नहीं था और उसे अनजाने में अपने अमामे में छुपा कोहिनूर साथ में देना पड़ा। अब इसे मुहम्मद शाह रंगीला की मजबूरी कहे या रंगीलापन, जिसकी वजह से उसे कोहिनूर खोना पड़ गया था।
Amrit Udyan Open : राष्ट्रपति भवन में स्थित प्रसिद्ध अमृत उद्यान (जिसे पहले मुगल गार्डन… Read More
Pushkar Full Travel Guide - राजस्थान के अजमेर में एक सांस्कृतिक रूप से समृद्ध शहर-पुष्कर… Read More
Artificial Jewellery Vastu Tips : आजकल आर्टिफिशियल ज्वैलरी का चलन काफी बढ़ गया है. यह… Read More
Prayagraj Travel Blog : क्या आप प्रयागराज में दुनिया के सबसे बड़े तीर्थयात्रियों के जमावड़े,… Read More
10 Best Hill Stations In India : भारत, विविध लैंडस्कैप का देश, ढेर सारे शानदार… Read More
Mirza Nazaf Khan भारत के इतिहास में एक बहादुर सैन्य जनरल रहे हैं. आइए आज… Read More