दिल्ली के मिंटो ब्रिज ( Minto Bridge ) पर हर बार बारिश में भारी जलभराव हो जाता है. इसकी वजह मिंटो ब्रिज के नीचे से गुजरने वाले लोगों को बहुत परेशानियां उठानी पड़ती हैं. कनॉट प्लेस को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से जोड़ने वाले इस रेलवे ब्रिज का रखरखाव रेलवे और उत्तरी दिल्ली नगर निगम मिलकर करते हैं. मिंटो ब्रिज ( Minto Bridge ) का नाम भारत में ब्रिटिश सरकार के गवर्नर जनरल और वायसराय रहे लॉर्ड मिंटो के नाम पर पड़ा. इनका कार्यकाल 1905 से 1910 तक रहा था. इनके कार्यकाल में ही मिंटो ब्रिज का निर्माण हुआ था.
मिंटो ब्रिज ( Minto Bridge ) की स्थिति अब बहुत खराब हो चुकी है. मिंटो ब्रिज के साथ ये त्रासदी रही है कि इसकी दोनों तरफ की सीढ़िया टूट रही है लेकिन रेलवे ने इसको ठीक करवाने की कोशिश भी नहीं की. अब मिंटो ब्रिज ( Minto Bridge ) रेलवे स्टेशन ( अब शिवाजी ब्रिज ) पर कुछ और नई लाइनें बिछाए जाने का काम पूरा हो चुका है इसलिए इसका चौड़ीकरण भी किया गया है. वैसे कागजों पर मिंटो ब्रिज का नाम शिवाजी ब्रिज हुए तो एक अरसा बीत गया है. लेकिन अभी भी ये मिंटो ब्रिज ही कहलाता है. मिंटो ब्रिज ( Minto Bridge ) पुरानी दिल्ली को नई दिल्ली से जोड़ने वाला पहला पुल था.
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मिंटो ब्रिज ( Minto Bridge ) हमेशा से ही लोगों के बीच चर्चा का मुद्दा बना रहा है. दिल्ली के मिंटो ब्रिज ( Minto Bridge ) पर ही मिला करते थे दो कथाकार. हिंदी के दो वरिष्ठ कथाकारों की जिंदगी से जुड़ा रहा है मिंटो ब्रिज ( Minto Bridge ) . इस पर ‘तमस’ के लेखक भीष्म साहनी जब अजमेरी गेट स्थित जाकिर हुसैन कॉलेज से पैदल ही कनॉट प्लेस के कॉफी जाते हुए, मिंटो ब्रिज ( Minto Bridge ) को पार करते थे. तो यहीं पर उन्हें कई बार अवारा मसीहा के रचयिता विष्णु प्रभाकर का साथ भी मिल जाया करता था. वे अजमेरी गेट की गली कुंडेवालान के अपने घर से कॉफी हाउस की तरफ जा रहे होते थे. कई बार ये दोनों मिंटो ब्रिज ( Minto Bridge ) के नीचे भुट्टा लेकर अपनी मंजिल की तरफ बढ़ते थे. यही नहीं कभी-कभी दोनों मिंटो ब्रिज ( Minto Bridge ) के नीचे ही किसी रचना पर बहस भी शुरू कर देते थे.
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बात करें 1931 की तो ये प्रचार का सबसे बड़ा अड्डा बना था. लाल रंग की ईंटों से बना मिंटो ब्रिज ( Minto Bridge ) लंबे समय तक बड़ी कंपनियों को अपने उत्पादों का प्रचार करने के लिहाज से सबसे बेहतर स्थान नजर आता था.
कई सालों से यहां बारिश के दिनों में जलभराव के भयावह हालात देखने को मिलते हैं. जिस पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा. बारिश शुरू होने पर ही यहां जलभराव हो जाता है जिसकी वजह से यहाँ कई वाहन डूब जाते है. मिंटो ब्रिज ( Minto Bridge ) पर लगभग दो दशकों से भी ज्यादा समय से जलभराव के कारण बसों के डूब जाने की घटनाएं होती आ रही हैं.
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