Travel History

Gwalior Travel Blog : लक्ष्मीबाई ने लड़ा था 1857 का संग्राम, यही है राजपूत औरतों के जौहर की धरती

Gwalior Travel Blog : मध्य प्रदेश में स्थित ग्वालियर शहर ऐतिहासिक गाथाओं को खुद मे लपेटे हुए है. 82 वर्ग किलोमीटर में यह शहर बसा है. ग्वालियर अपने ऐतिहासिक किलों और बेहद खूबसूरत मंदिरों के लिए जाना जाता है. ग्वालियर के किले की भव्यता और विशालता को देखने के लिए लोग दूर दूर से आते हैं. ग्वालियर की भूमि का देश के इतिहास में विशेष महत्व भी रहा है. इतिहास में यहां अनेक युद्ध लड़े गए हैं. यहां के किले भारत के इतिहास के गवाह रहे हैं. वारेन हेस्टिंग्स ने 1780 में कहा था कि ग्वालियर भारत की कुंजी है. यहां के नियंत्रण को उन्होंने प्लासी के युद्ध से अधिक महत्व दिया था.

शहर का इतिहास || History of the city

ग्वालियर का नाम एक बेहद प्रबुद्ध संत ग्वालिपा के नाम पर रखा गया था. संत ग्वालिपा ने लगभग दो हजार साल पहले एक राजपूत सरदार सूरजसेन के कुष्ठ रोग का इलाज किया था. संत ने इसके लिए पहाड़ की चोटी पर बने तालाब के जल का इस्तेमाल किया था. इस इलाज के बाद ग्वालिपा संत के प्रति सूरजसेन के मन में अगाध सम्मान हो गया. इसे प्रकट करने के लिए सूरजसेन ने पहाड़ की चोटी पर एक किला बनवाया. इस किले को ही ग्वालियर के नाम से जाना गया. तालाब का नाम सूरजकुंड पड़ा लेकिन उसका औषधीय गुण वक्त के साथ खत्म होता चला गया.

अलग-अलग काल में अनेक राजपूत वंशों ने ग्वालियर पर शासन किया. ग्वालियर पर शासन करने वाले राजपूतों में कच्छवाह, तोमर और परिहार प्रमुख हैं. दास वंश के दूसरे शासक इल्तुमिश ने 1232 ईस्वी में परिहारों से इस नगर को जीत लिया था. 1398 में तोमर राजपूतों ने ग्वालियर को अपने अधिकार में ले लिया और तब से आजादी तक किले का मध्य भारत के इतिहास में सामरिक महत्व बना रहा. ग्वालियर के शासक मानसिंह ने दिल्ली सल्तनत के सिकंदर लोदी के विरुद्ध 1505 ई. में बगावत कर दी थी. अंतत: 1517 में लोदियों की लंबी नजरबंदी के बाद वे मुक्त हुए. बाद में किले को मुगलों ने जीत लिया. इससे पूर्व 1754 में वह मराठों के सिंधिया वंश से इसे हार गए थे.

18वीं शताब्दी का क्रांतिकारी इतिहास बताता है कि जब तक सिंधिया सत्ता में नहीं आ गए, ग्वालियर अंग्रजों के अनुमोदन पर अन्य लोगों के अधीन रहा.

ग्वालियर के मैदानों पर भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम लड़ा गया. 1857 में लड़े गए इस संग्राम का नेतृत्व तांत्या तोपे और वीरांगना लक्ष्मीबाई ने किया. यद्यपि इसमें अंग्रेजों की जीत हुई परंतु फिर भी इस संग्राम ने भारत की आजादी के बीज बो दिए थे. सिंधिया वंश ने भारत की आजादी तक ग्वालियर पर शासन किया. सिंधिया राज में ग्वालियर ने औद्योगिक और आर्थिक तरक्की हासिल की.

दर्शनीय स्थल || Scenic Spots

चौदहवीं शताब्दी में अरब यात्री इब्न बतूता ने कहा था- ग्वालियर सफेद पत्थरों से बना खूबसूरत शहर है. ग्वालियर शहर तीन हिस्सों में विभाजित है. ये तीन हिस्से पुराना ग्वालियर, लश्कर और मोरार हैं. इस ऐतिहासिक शहर में अनेक ऐसे स्थान हैं जो पर्यटकों को आकर्षित करते हैं.

ग्वालियर का किला || Fort of Gwalior

ग्वालियर के पर्यटन स्थलों में यह शानदार किला सर्वाधिक प्रसिद्ध है. तेजी से ऊपर उठता हुआ यह किला जमीन से 300 फुट ऊंचा है. इसकी लंबाई लगभग तीन किलोमीटर है. पूर्व से पश्चिम की ओर यह किला 600 से 3000 फीट चौड़ा है. शहर के कोने-कोने से इस किले को देखा जा सकता है.

राजा मानसिंह तोमर ने ग्वालियर के किले को 15वीं शताब्दी में बनवाया था. किले में प्रवेश के दो रास्ते हैं. पूर्वी साइड में ग्वालियर गेट है जहां पैदल जाना पड़ता है जबकि पश्चिमी साइड में उर्वई द्वार है जहां वाहन से पहुंचा जा सकता है. किले की पहाड़ी को दस मीटर ऊंची दीवार ने घेर रखा है. एक खड़ी ढाल वाली सड़क किले के ऊपर की ओर जाती है. किले में जैन तीर्थंकरों की मूर्तियां पत्थर काटकर बनाई गर्इं हैं. भारत के इतिहास में इस किले का महत्व सर्वाधिक रहा है. इस किले को हिंद के किलों का मोती कहा गया है. यह किला कई शासकों के अधीन रहा पर कोई इसे पूरी तरह नहीं जीत पाया.

ग्वालियर के किले के उत्तरी सिरे पर जहांगीरी महल, शाहजहां महल, करना महल, विक्रम महल और जल जौहर कुंड है. जहांगीरी और शाहजहां महल मुस्लिम वास्तु शैली पर आधारित महल हैं. दोनों महलों में विशाल दर्शक समूह के लिए दो खंड हैं. करना महल ग्वालियर के राजा मानसिंह के चाचा का मातृत्व महल था. विक्रम महल राजकुमार विक्रम का महल था. इस महल में विष्णु भगवान का एक छोटा सा मंदिर भी है.

इसी क्षेत्र में जल जौहर कुंड है. जल जौहर कुंड महिलाओं के जौहर के लिए इस्तेमाल होता था. जौहर एक सामूहिक दहन की प्रथा थी. सामूहिक दहन की घटना उस समय हुई जब गुलाम वंश के शासक इल्तुतमिश ने परिहारों को पराजित कर किले की घेराबंदी कर दी. नजदीक ही महाराजा भीम सिंह राणा का स्मारक है. भीम सिंह गौहड जाति के जाट सरदार थे.

किले के भीतर लड़कों का प्रसिद्ध सिंधिया स्कूल है. यह स्कूल ग्वालियर के महाराजा द्वारा लगभग सौ वर्ष पहले बनवाया गया था. किले के निर्माण में सर्वाधिक योगदान कच्छवाहों और तोमरों ने दिया. यहां शासन करने वाले प्रारंभिक मुस्लिमों और बाद में मुगलों ने किले को राजकीय कारागार के तौर पर इस्तेमाल किया.

किले में सुबह आठ बजे से शाम छ: बजे भ्रमण किया जा सकता है. किले के भीतर के स्थानों को देखने का अलग-अलग शुल्क निर्धारित है.

Recent Posts

Vietnam Travel Blog : क्या आप जल्द ही वियतनाम जाने की योजना बना रहे हैं? तो जानिए कैसे कम खर्च में यात्रा करें

Vietnam Travel Blog : वियतनाम एक खूबसूरत देश है जो अपनी समृद्ध संस्कृति, शानदार लैंडस्केप… Read More

7 days ago

Trek With Friends : फरवरी में दोस्तों के साथ ट्रेकिंग की प्लान बना रहे हैं, यादगार ट्रिप के लिए इन एडवेंचर जगहों पर जाएं

Trek With Friends : फरवरी दोस्तों के साथ रोमांचक सर्दियों की यात्रा पर निकलने का… Read More

2 weeks ago

Who is Ranveer Allahbadia : कौन हैं रणवीर इलाहाबादिया, जिन्होंने अपने विवादित बयान से लोगों का खींचा ध्यान

Who is Ranveer Allahbadia : जाने-माने डिजिटल कंटेंट क्रिएटर और पॉडकास्ट होस्ट अनवीर अल्लाहबादिया कॉमेडियन… Read More

2 weeks ago

Rashtrapati Bhavan first wedding : राष्ट्रपति भवन में पहली बार हो रही है शादी, जानिए इसके बारे में सबकुछ

Rashtrapati Bhavan first wedding :  भारत के राष्ट्रपति का निवास, राष्ट्रपति भवन, देश की ताकत,… Read More

2 weeks ago

Valentine’s Day 2025 : वैलेंटाइन डे वीक में रोमांटिक छुट्टी मनाने के लिए ये हैं 5 बेहतरीन जगहें

Valentine's Day 2025 : फरवरी की शुरुआत और वैलेंटाइन डे के करीब आते ही, क्या… Read More

2 weeks ago

Valentine Week 2025 : रोज़ डे से लेकर प्रॉमिस डे तक, प्यार के 7 दिन मनाने का कैलेंडर यहां है

Valentine Week 2025 :  फरवरी को प्यार का महीना भी कहा जाता है क्योंकि लोग… Read More

3 weeks ago