Jaisamand Lake – Dhebar Lake ( Jaisamand Lake के नाम से भी मशहूर ) आर्टिफिशियल फ्रेश वाटर की भारत में पहली और दुनिया की सबसे पुरानी झील है. यह भारत में ऐसी दूसरी सबसे बड़ी झील ( second largest artificial fresh water lake ) है. यह भारत के राजस्थान राज्य में उदयपुर जिले ( Udaipur District ) में है. इसका कुल एरिया 87 km2 (34 sq mi) का है. 17वीं सदी में जब राणा जय सिंह ( Rana Jai Singh of Udaipur ) ने गोमती नदी ( Gomati River ) पर मार्बल डैम बनाया तब इसका निर्माण हुआ.
शहर से 51 किलोमीटर दूर सलूंबर रोड पर अरावली पर्वतमाला के बीच जयसमंद झील एशिया में मीठे पानी की दूसरी सबसे बड़ी मानव निर्मित झील है. इसमें 9 नदियों का पानी आता है. यह उदयपुर शहर की जलापूर्ति का सबसे बड़ा केन्द्र है. मेवाड़ राज्य के महाराणा जयसिंह ने गोमती नदी पर इसका निर्माण कराया था. इसका शिलान्यास 1685 में किया गया. 1730 में इसकी पाल बनकर तैयार हुई. जिसकी लंबाई 335 मीटर और ऊंचाई 35 मीटर है.
इस झील को ढेबर झील ( Dhebar Lake ) के नाम से भी जाना जाता है. इस झील में गोमती, झावरी, बागर नदियों का जल गिरता है. बाबा का भांगड़ा पर आइलैंड रिसोर्ट नामक होटल स्थित है. 1950 ईस्वी में जयसमंद झील से श्यामपुरा व भाट नहरें निकाली गई. जयसमंद झील के पास एक पहाड़ी पर चित्रित हवा महल एवं रूठी रानी का महल स्थित है. झील जैसमंद वन्यजीव अभयारण्य से घिरी है जो करीब 162 वर्ग किलोमीटर के वन भूमि का संरक्षण करता है.
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Jaisamand Lake में 7 टापू हैं. जिसमें सबसे बड़ा टापू बाबा का भागड़ा है. जयसमंद झील की कुल भराव क्षमता 14 हजार 650 एमसीएफटी है. झील से दो नहरें निकलती हैं, जिनसे 16 हजार हेक्टयेर भूमि सिंचित होती है. दोनों नहरें 400 किमी क्षेत्र में फैली है. जयसमंद झील में पेयजल के लिए 630 एमसीएफटी पानी रिजर्व रखा जाता है. वर्तमान में 27 फीट की इस झील में 17 फीट पानी है. जयसमंद झील मुख्यालय से 51 किलोमीटर की दूरी पर दक्षिण पूर्व की ओर उदयपुर -सलूंबर मार्ग पर स्थित है. यहां घूमने का सबसे उपयुक्त समय मानसून के समय है यह राजस्थान के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है.
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जैसमंद झील में 3 द्वीप हैं जो भील मिनस की जनजातियों द्वारा बसाया हुआ है. इसमें से दो बड़े द्वीपों को एक साथ “बाबा का मागरा” और तीसरे को “पियारी” और उपनाम के रूप में ‘विजय का महासागर’ (‘मँड’ अर्थ ‘महासागर’) कहा जाता है. बांध के सबसे ऊंचे स्थान पर नर्मदेश्वर महादेव के मंदिर का भी निर्माण कराया गया था. कहा जाता है कि, एक बार इस बांध में पानी का स्तर ज़्यादा हो गया था, जिससे आस पास के क्षेत्रों में बाढ़ आ गयी. इस बाढ़ की चपेट में लगभग 10 गांव आए और ये सारे गांव बाढ़ के पानी में जलमग्न हो गये.
उन गांवों को झील के किनारे फिर से बसाया गया. कहा जाता है कि आज भी जब गर्मी के दिनों में झील के पानी का स्तर कम होता है, तो झील में उन गांवों के खंडहर नजर आते हैं. झील के पृष्ठभूमि में अरावली का ढलान, पलाश के वृक्षों के छोटे बड़े झुरमुट, कई फलों के वृक्ष जैसे खजूर, गूलर, लसोडा आदि के वृक्षों से भरा हुआ है. पास ही के खुले मैदान में बेर और खैर के वृक्ष यहां के वनस्पति नज़ारे को एक अलग ही रूप देते हैं. यह सारा इलाका पुराने समय के ज़माने में राजा महाराजाओं का पसंदीदा शिकारगाह था. उनके द्वारा बनवाई गई अनेक शिकार की ओदियां आज भी वहां मौजूद हैं.
जयसमंद झील या धेबर झील उदयपुर की रानियों के गर्मियों वाले महलों से घिरी हुई है. झील पर 366 मीटर लंबा, 35 मीटर ऊंचा और 21 मीटर चौड़ा एक बांध है. इसका मुख्य आकर्षण इसका सुंदर संगमरमर से बना बांध है जिसमें छह खूबसूरत स्मारक हैं और बीच में भगवान शिव का एक पवित्र मंदिर है. जैसमंद झील के उत्तरी छोर पर एक आंगन है और दक्षिणी छोर पर 12 खंभों का मंडप है.
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बोट की सवारी का किराया ( Jaisamand Lake Udaipur Boating Fare ) – 30-80 रुपए
जयसमंद वन्यजीव अभयारण्य का किराया ( Jaisamand Wildlife Sanctuary Fare ): भारतीय- 10रु, विदेशियों के लिए- 80 रुपये, कैमरा ले जाने के 200 रू
समय ( Jaisamand Lake Timings for Visitors ): 10 बजे से शाम 5 बजे तक, सभी दिन खुला है.
Jaisamand Lake उदयपुर जिले के दक्षिण भाग में स्थित है. यह उदयपुर से 50 किमी की दूरी पर है. इस जिले में राज्य सरकार और निजी बस सेवा की एक अच्छी संख्या है. जिला मुख्यालय से जैसमंद तक सीधी नियमित बसें चलती हैं.
जयसमंद के पास वन एवं वन्यजीव प्रेमियों के लिए वन विभाग द्वारा वन्यजीव अभ्यारण्य भी बनाया गया है. यहां एक मछली पालन का अच्छा केंद्र भी है. जयसमंद झील की खूबसूरती और प्राकृतिक परिवेश की कल्पना इसी से की जा सकती है कि अनेक फिल्मकारों ने अपनी फिल्मों में यहां के दृश्यों को कैद किया है. सड़क के किनारे सघन वन होने से उदयपुर से झील तक पहुंचना भी अपने आप में रोमांच का अनुभव कराता है.
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