Travel History

History of Sahibzaade : कौन थे साहिबजादे जिनकी याद में मनाया जाता है वीर बाल दिवस? जानें भारत का अमिट इतिहास

History of Sahibzaade :  हर साल 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस मनाता है. यह दिन देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले युवा शहीदों को सम्मान और श्रद्धांजलि देता है. वे गुरु गोबिंद सिंह, जोरावर सिंह और फतेह सिंह के पुत्र थे.  9 जनवरी, 2022 को गुरु गोबिंद सिंह की जयंती पर, मोदी ने घोषणा की थी कि 26 दिसंबर को सिख गुरु के पुत्रों की शहादत को चिह्नित करने के लिए ‘वीर बाल दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा,  इस दिन का क्या महत्व है और इसके लिए क्या खास योजना बनाई गई है, यह जानने के लिए आगे पढ़ें…

वीर बाल दिवस || Veer baal divas

गुरु गोबिन्द सिंह जी के 4 पुत्र अजीत सिंह, जुझार सिंह, जोरावर सिंह और फतेह सिंह थे. ये चारों ही खालसा का हिस्सा थे. 26 दिसंबर के दिन ही जोरावर सिंह और फतेह सिंह, इसी हमले में शहीद हुए थे और बाकी परिवार वालों से अलग हो गए. उनकी शहादत को याद करने के लिए ही ये दिन मनाया जाता है. गुरु गोबिन्द सिंह जी चारों पुत्रों को 19 वर्ष की आयु से पहले ही मुगल सेना द्वारा मार डाला गया था.

Rajasthan Travel Guide : राजस्थान में घूमने की जगहों से लेकर यहां के फेमस फूड तक, पहनावा और कैसे पहुंचे जानिए इस Blog में

साहिबजादे जोरावर सिंह और फतेह सिंह की कहानी || Story of Sahibzade Zorawar Singh and Fateh Singh

आनंदपुर छोड़ते समय सरसा नदी पार करते हुए गुरु गोबिंद सिंह जी का पूरा परिवार बिछड़ गया. माता गुजरी जी और दो छोटे पोते सा‍हिबजादे जोरावर सिंह और फतेह सिंह के साथ गुरु गोबिंद सिंह जी एवं उनके दो बड़े भाइयों से अलग-अलग हो गए.सरसा नदी पार करते ही गुरु गोबिंद सिंह जी पर दुश्मनों की सेना ने हमला बोल दिया.

चमकौर के इस भयानक युद्ध में गुरुजी के दो बड़े साहिबजादों ने शहादतें प्राप्त कीं. साहिबजादा अजीत सिंह को 17 वर्ष एवं साहिबजादा जुझार सिंह को 15 वर्ष की आयु में गुरुजी ने अपने हाथों से शस्त्र सजाकर धर्मयुद्ध भूमि में भेजा था. सरसा नदी पर बिछुड़े माता गुजरीजी एवं छोटे साहिबजादे जोरावर सिंह जी 7 वर्ष एवं साहिबजादा फतेह सिंह जी 5 वर्ष की आयु में गिरफ्तार कर लिए गए. उन्हें सरहंद के नवाब वजीर खाँ के सामने पेश कर माताजी के साथ ठंडे बुर्ज में कैद कर दिया गया और फिर कई दिन तक नवाब और काजी उन्हें दरबार में बुलाकर धर्म परिवर्तन के लिए कई प्रकार के लालच एवं धमकियां देते रहे.दोनों साहिबजादे गरज कर जवाब देते, ‘हम अकाल पुर्ख (परमात्मा) और अपने गुरु पिताजी के आगे ही सिर झुका‍ते हैं, किसी ओर को सलाम नहीं करते. हमारी लड़ाई अन्याय, अधर्म एवं जुल्म के खिलाफ है. हम तुम्हारे इस जुल्म के खिलाफ प्राण दे देंगे लेकिन झुकेंगे नहीं.

‘ अत: वजीर खां ने उन्हें जिंदा दीवारों में चिनवा दिया. साहिबजादों की शहीदी के पश्चात बड़े धैर्य के साथ ईश्वर का शुक्रिया अदा करते हुए माता गुजरीजी ने अरदास की एवं अपने प्राण त्याग दिए. तारीख 26 दिसंबर, पौष के माह में संवत् 1761 को गुरुजी के प्रेमी सिखों द्वारा माता गुजरीजी तथा दोनों छोटे साहिबजादों का सत्कारसहित अंतिम संस्कार कर दिया गया.

चमकौर की लड़ाई में क्या हुआ था || What happened in the battle of Chamkaur

चमकौर की लड़ाई, जिसे चमकौर की दूसरी लड़ाई के रूप में भी जाना जाता है, मुगल सेना और अजमेर चंद की राजपूत पहाड़ी सरदारों की लीग के खिलाफ गुरु गोबिंद सिंह के नेतृत्व वाले खालसा के बीच लड़ी गई लड़ाई थी. चमकौर में इस युद्ध की पीरियड 21,22 और 23 दिसंबर 1704  पोह समत 1761 बिक्रमी है. गुरु गोबिंद सिंह ने अपने दल के साथ 20 दिसंबर 1704 की रात को आनंदपुर साहिब छोड़ दिया.

गुरु गोबिंद सिंह ने ज़फ़रनामा में इस युद्ध का उल्लेख किया है. वह बताता है कि कैसे एक विशाल (दहलख) सेना ने उसके सिखों पर हमला किया, जिनकी संख्या केवल चालीस थी और उनके पास भोजन नहीं था. अपनी संख्यात्मक ताकत के बावजूद, मुगल सैनिक गुरु को मारने या पकड़ने में असमर्थ थे. गुरु मुगल जनरलों में से एक की कायरता के बारे में भी बात करते हैं और कैसे वह गुरु का सामना करने का साहस न रखते हुए खुद को एक दीवार के पीछे छिपा बैठा था.

Places to Visit in Rajasthan in Winters : सर्दियों में घूमें राजस्थान की ये 15 जगहें

चार साहिबज़ादों का इतिहास || History of four Sahibzadas

पंजाबी में “साहिबज़ादा” शब्द का अर्थ “पुत्र” होता है और यह शब्द आमतौर पर दसवें सिख गुरु, गुरु गोबिंद सिंह के 4 पुत्रों को संदर्भित करने के लिए उपयोग किया जाता है. यह शब्द एक पारंपरिक शब्द है जिसका प्रयोग आज की रोजमर्रा की भाषा में नहीं किया जाता है. इस शब्द का बहुवचन “साहिबज़ादे” है जिसके अंत में लम्बी “ए” ध्वनि आती है.

छोटी जोड़ी, जिन्हें “छोटा साहिबजादे” कहा जाता है, को 6 और 9 साल की उम्र में सरहिंद में मुगलों द्वारा एक साथ शहीद कर दिया गया था.बड़े साहिबजादे, जिन्हें “वादा साहिबजादे” कहा जाता है, चमकौर साहिब में लड़ाई में 18 और 14 साल की छोटी उम्र में हजारों लोगों के दुश्मन से लड़ते हुए मारे गए.

चार साहिबजादे, (“चार” का अर्थ है चार और “साहिबजादे” का तात्पर्य बेटों या वंशजों, सभ्य जन्म के युवाओं से है) यह शब्द गुरु गोबिंद सिंह (नानक दशम) के चार पुत्रों के लिए बड़े प्यार से इस्तेमाल किया गया है, जिनमें से सभी शहीद के रूप में मर गए. जबकि अभी भी बहुत छोटा है. उनके नाम सिख स्मृति में आदरपूर्वक संरक्षित हैं और हर बार सिख अरदास या प्रार्थना की प्रार्थना को किसी मंडली में या किसी व्यक्ति द्वारा निजी तौर पर पढ़े जाने पर याद किया जाता है.

चार साहिबजादों की शहादत सिख इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और उनकी शहादत के अवसर को हर साल दिसंबर में सिख संगत (पवित्र मण्डली) द्वारा बड़ी संख्या में सिखों द्वारा बड़े जोश और बहुत दुःख के साथ याद किया जाता है.

21 और 26 दिसंबर ऐसे दिन हैं जो दुनिया भर के सिखों के लिए बहुत प्रिय यादें रखते हैं, क्योंकि 1705 में इन्हीं दिनों में बड़े साहिबज़ादे बाबा अजीत सिंह और बाबा जुझार सिंह ने पहली बार 21 तारीख को अपने स्वर्ग निवास के लिए प्रस्थान किया था और फिर 26 तारीख को छोटे साहिबजादे बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह की  मुगल शासक ने क्रूरता के कारण मारे गए.

वीर बाल दिवस: वह सब कुछ जो आपको जानना आवश्यक है || Veer baal divas Everything you need to know

जोरावर सिंह और फतेह सिंह गुरु गोबिंद सिंह के चार पुत्रों में सबसे छोटे थे और उन्हें सिख धर्म में सबसे पवित्र शहीद माना जाता है.
बहुत कम उम्र में, उन्होंने अपनी माँ को खो दिया और उनकी दादी ने उनका पालन-पोषण किया.
गुरु गोबिंद सिंह का परिवार आनंदपुर में रहा जहां उन्होंने 1699 में खालसा पंथ की स्थापना की.
लगभग 1704 में आनंदपुर की घेराबंदी कर दी गई और मुगल सम्राट औरंगजेब ने उस पर हमला कर दिया. महीनों तक किले पर कब्जा करने के बाद, भोजन और अन्य आवश्यक आपूर्ति कम होने लगी और गुरु गोबिंद सिंह और उनके परिवार ने औरंगजेब द्वारा आनंदपुर से सुरक्षित बाहर निकलने के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया.
इस दौरान गुरु गोबिंद सिंह के दो पुत्रों- जोरावर सिंह, फतेह सिंह- को बंदी बना लिया गया. आख़िरकार उन्हें क्रमशः 8 और 5 साल की छोटी उम्र में एक दीवार में जिंदा चुनवा दिया गया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 26 दिसंबर को मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में ‘वीर बाल दिवस’ के अवसर पर एक ‘ऐतिहासिक’ कार्यक्रम में शामिल हुए.
मोदी दिल्ली में करीब 300 बाल कीर्तनियों द्वारा प्रस्तुत ‘शबद कीर्तन’ में शामिल हुए और करीब 3,000 बच्चों के मार्च-पास्ट को भी हरी झंडी दिखाएं.
सरकार नागरिकों, विशेषकर छोटे बच्चों को अंतिम सिख गुरु गोबिंद सिंह के बच्चों, जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति दी, के अनुकरणीय साहस की कहानी के बारे में सूचित करने और शिक्षित करने के लिए पूरे देश में इंटरैक्टिव और सहभागी कार्यक्रम आयोजित कर रही है. उनके विश्वास की रक्षा करते हुए.

भारत मंडपम में आयोजित हुई वीर बाल दिवस कार्यक्रम || Veer Bal Diwas program organized in Bharat Mandapam

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 26 दिसंबर को नई दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित वीर बाल दिवस कार्यक्रम को संबोधित किया. उनके साथ केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, ​​अनुराग ठाकुर समेत अन्य लोग मौजूद थे. इस अवसर पर प्रधानमंत्री एक मार्च-पास्ट को भी हरी झंडी दिखाएं.

कार्यक्रम में जनता को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “मुझे खुशी है कि यह सारा कार्यक्रम अब वैश्विक स्तर पर मनाया जा रहा है. संयुक्त अरब अमीरात, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों ने इस कार्यक्रम का जश्न मनाना शुरू कर दिया है.” उन्होंने आगे कहा, ‘जब साहस दिखाने की बात आती है तो उम्र मायने नहीं रखती.’ भारत मंडपम में ‘वीर बाल दिवस’ समारोह कार्यक्रम में सिख समुदाय के कई सदस्यों ने गतका (सिख मार्शल आर्ट) का प्रदर्शन किया.

क्या है भारत मंडपम || What is Bharat Mandapam?

भारत मंडपम, नई दिल्ली के प्रगति मैदान में स्थित एक अत्याधुनिक कन्वेंशन सेंटर है. जिसको देश में होने वाले बड़े आयोजनों के लिए डिज़ाइन किया गया है. जिसका उद्घाटन पीएम मोदी ने किया था. भारत मंडपम को एक राष्ट्रीय परियोजना के रूप में विकसित किया गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी साल 26 जुलाई को इस कॉम्प्लेक्स का उद्घाटन किया था. इसमें एक कन्वेंशन सेंटर, प्रदर्शनी हॉल और एक एम्फीथिएटर सहित अत्याधुनिक सुविधाएं हैं. इसके मल्टीपर्स हॉल और प्लेनरी हॉल की संयुक्त क्षमता ऑस्ट्रेलिया में सिडनी ओपेरा हाउस की क्षमता से अधिक है.

भारत मंडपम शब्द की उत्पत्ति भगवान बसवेश्वर के अनुभव मंडपम के विचार से हुई है, जो सार्वजनिक समारोहों के लिए एक मंडप था. भगवान बसवेश्वर एक हिंदू शैव, कल्याणी चालुक्य राजवंश के शासनकाल के दौरान समाज सुधारक थे. इसका स्ट्रक्चर शंख के आकार से प्रेरित है. इनकी दीवारें और अग्रभाग भारत की पारंपरिक कला और संस्कृति के कई पहलुओं को दर्शाते है जिनमे ‘सूर्य शक्ति’, ‘शून्य से इसरो’ आदि शामिल है. सूर्य शक्ति सौर ऊर्जा के दोहन में भारत के प्रयासों पर प्रकाश डालती है. साथ ही ‘पंच महाभूत’, ब्रह्मांड के मूलभूत तत्वों का प्रतिनिधित्व करते हैं, उसमें आकाश, वायु, अग्नि, जल, पृथ्वी शामिल है.

सरकार के एक बयान के अनुसार, इस कन्वेंशन सेंटर को बनाने में लगभग ₹2,700 करोड़ के खर्च किए गए. यह प्रमुख वैश्विक व्यापार जगह के रूप में भारत की क्षमता को दर्शाता है. यह कन्वेंशन सेंटर लगभग 123 एकड़ में फैला हुआ है. भारत मंडपम को भारत के सबसे बड़े एमआईसीई (बैठकें, प्रोत्साहन, सम्मेलन और प्रदर्शनियां) स्थल के रूप में विकसित किया गया है. यह परिसर विश्व स्तर पर शीर्ष प्रदर्शनी और सम्मेलन परिसरों में से एक है. भारत मंडपम भवन का वास्तुशिल्प डिजाइन “भारत की समृद्ध परंपराओं” से जुड़ा हुआ है. यह आधुनिक सुविधाओं और समकालीन जीवन को अपनाते हुए देश की विरासत को प्रतिबिंबित करता है.

Recent Posts

Amrit Udyan Open : अमृत उद्यान आम जनता के लिए खुला, जानें समय और ऑनलाइन कैसे करें

Amrit Udyan Open : राष्ट्रपति भवन में स्थित प्रसिद्ध अमृत उद्यान (जिसे पहले मुगल गार्डन… Read More

12 mins ago

Pushkar Full Travel Guide : पुष्कर आएं तो जरूर करें यह 18 चीजें, झूम उठेंगे

Pushkar Full Travel Guide - राजस्थान के अजमेर में एक सांस्कृतिक रूप से समृद्ध शहर-पुष्कर… Read More

2 days ago

Artificial Jewellery Vastu Tips : आर्टिफिशियल ज्वैलरी रखते समय रखें इन बातों का ध्यान

Artificial Jewellery Vastu Tips : आजकल आर्टिफिशियल ज्वैलरी का चलन काफी बढ़ गया है.  यह… Read More

4 days ago

Prayagraj Travel Blog : प्रयागराज में घूमने की ये जगहे हैं बहुत फेमस

Prayagraj Travel Blog :  क्या आप प्रयागराज में दुनिया के सबसे बड़े तीर्थयात्रियों के जमावड़े,… Read More

6 days ago

10 Best Hill Stations In India : भारत के 10 बेस्ट हिल स्टेशन जिन्हें आपको अपनी लाइफ में एक बार जरूर देखना चाहिए

10 Best Hill Stations In India : भारत, विविध लैंडस्कैप का देश, ढेर सारे शानदार… Read More

1 week ago

Mirza Nazaf Khan : महान सैन्य जनरल मिर्जा नज़फ खां ने कैसे बदल डाला भारत का इतिहास?

Mirza Nazaf Khan भारत के इतिहास में एक बहादुर सैन्य जनरल रहे हैं. आइए आज… Read More

1 week ago