Christ Church Tour Guide: अगर आप शांति और आध्यात्मिकता के बीच कुछ समय बिताना चाहते हैं, तो शिमला में क्राइस्ट चर्च घूमने के लिए सही जगह हो सकती है. रिज पर स्थित क्राइस्ट चर्च उत्तरी भारत का दूसरा सबसे पुराना चर्च है और सभी उम्र के छुट्टियों के लिए शिमला में एक फेमस टूरिस्ट प्लेस बन गया है. अगर शिमला घूमने आएं तो यहां जरूर आएं.
इतिहास प्रेमियों और वास्तुकला प्रेमियों के लिए एक परफेक्ट जगह है. यहां आप पास के बाजार में टहलने का आनंद ले सकते हैं या अपने ट्रिप को मेमोरेबल बनाने के लिए जितनी हो सके उतनी फोटोज क्लिक कर सकते हैं.
साल 1857 में नियो गोथिक कला में बना यह चर्च एंग्लिकन ब्रिटेन कम्युनिटी के लिए बनाया गया था. जिसे उस समय शिमला कहते थे. यह चर्च काफी किलोमीटर दूर से एक ताज की तरह दिखाई देता है. क्राइस्ट चर्च को कर्नल जेटी बोयलियो ने 1844 में डिजाइन किया था. इसका निर्माण करीब 13 साल बाद 1857 में शुरू किया गया.
क्राइस्ट चर्च की ऊंचाई लगभग 90 फीट है और वास्तुकला के चमत्कार को 5 ट्यूबलर घंटियों और एक घड़ी से सजाया गया है यह फेमस टूरिस्ट प्लेस शिमला घूमने आए टूरिस्टों के लिए एक मुख्य आकर्षण का केंद्र है. हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में स्थित यह भारत के ब्रिटिश शासन के लंबे समय तक चलने वाली विरासतों में से एक है.
इस धार्मिक स्थान का निर्माण वास्तुकला की नव-गोथिक शैली में किया गया है. यदि आप हिमाचल प्रदेश की यात्रा का प्लान बना रहे हैं तो एक बार इस स्थान की यात्रा अवश्य करें. शिमला घूमने आने वाले पर्टयकों को इस धार्मिक चर्च में अपना कुछ समय व्यतीत करना चाहिए. यहां आप की आत्मा को बेहद शांति और सुकून मिलेगा.
यह चर्च सबसे ज्यादा देखे जाने वाले स्थानों में से एक माना जाता है. इस चर्च परिसर के अंदर कांच की खिड़कियां लगी हुई हैं. जो दान, भाग्य, विश्वास, आशा, धैर्य और मानवता का प्रतिनिधित्व करती हैं. हर साल बहुत से पर्टयक यहां घूमने और समय व्यतीत करने के लिए आते हैं. क्राइस्ट चर्च ब्रिटिश राज की स्थायी विरासतों में से एक मानी जाती है.
हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला का यह क्राइस्ट चर्च शिमला शहर के आसपास के कई क्षेत्रों से दिखाई देता है. रिज पर स्थित यह क्राइस्ट चर्च ब्रिटिश राज की स्थायी विरासतों में से एक मानी जाती है. इस खूबसूरत क्राइस्ट चर्च को कर्नल जेटी. बोइल्यू ने 1844 में डिजाइन किया था. 10 जनवरी 1857 को मद्रास के बिशप थॉमस डेल्ट्रे, बिशप द्वारा चर्च को संरक्षित किया गया था.
नार्थ इंडिया के सबसे पुराने चर्चों में से एक है. वायसरॉय, गवर्नर और कई ब्रिटिश उच्च अधिकारी यहां रहते थे. 1947 तक कोई भी भारतीय इस चर्च में अराधना करने के लिए नहीं आ सकता था. भारतीय क्रिश्चियन यहां पर अराधना करने नहीं आ सकते थे. भारतीयों के लिये सेन्ट थोमस चर्च था जो अब एक स्कूल है, लेकिन 1947 के बाद सारे हिंदुस्तानी यहां आने शुरू हो गए.
हिमाचल प्रदेश में ऐसे बहुत से लोकप्रिय और प्रसिद्ध पर्टयक स्थान हैं, जो अपने इतिहास के लिए देश विदेश में जाने जाते हैं. इस लोकप्रिय चर्च में आप घूमने और समय व्यतीत करने के लिए कभी भी आ सकते हो. यदि आप बर्फ प्रेमी हो तो आप शिमला की यात्रा सर्दियों के समय में कर सकते हो. इस दौरान यहां बर्फबारी होती है और यह स्थान और भी ज्यादा खूबसूरत हो जाता है और आप यहां बर्फ के साथ खेल भी सकते हो.
चर्च की नींव बिशप रेवरेंड थॉमस डाल्ट्री ने रखी थी.
इसे बनाने में करीब 11 से 12 साल का समय लगा.
इसके पूरे निर्माण के लिए कुल लागत लगभग 40,000 से 50,000 रुपये थी.
सेंट माइकल कैथेड्रल’ इस पहाड़ी क्षेत्र की प्रथम रोमन कैथोलिक चर्च थी. यह 1886 में, वास्तुकला की फ्रेंच-गोथिक शैली में बनाई गई थी. पत्थरों पर उत्कृष्ट नक्काशी और रंगीन ग्लासों से सजी सुन्दर खिड़कियां इस इमारत को शानदार टच देती हैं.
शिमला के क्राइस्ट चर्च जाने के लिए कोई प्रवेश शुल्क नहीं है. क्राइस्ट चर्च रोजाना सुबह 8:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक खुला रहता है.
पूरे चर्च में चुप्पी बनाए रखना
चर्च के अंदर तस्वीरें क्लिक करने से खुद को रोकें
यदि आप इसे वीकेंड टूर पर जाने की योजना बना रहे हैं तो संडे के दिन जाएं
क्राइस्ट चर्च हिल स्टेशन के केंद्र में स्थित है, इसलिए यह शहर के सभी हिस्सों से अच्छी परिवहन कनेक्टिविटी बनाए रखता है. यदि आप शिमला में द माल रोड या द रिज के पास कहीं ठहरे हुए हैं तो पैदल जा सकते हैं चर्च तक. आप चर्च तक पहुंचने के लिए प्राइवेट बस या स्थानीय टैक्सी भी लें सकते हैं. क्राइस्ट चर्च शिमला यूएस क्लब से कुछ ही मिनटों की पैदल दूरी पर है और शहर के केंद्र से केवल 3.6 किमी दूर है.
शिमला रेलवे स्टेशन से दूरी: 1.89 किमी
निजदीकी बस स्टैंड से दूरी: 1.2 किमी
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