Leh Travel Blog : कहीं जाने का मूड कर रहा है और समझ नहीं पा रहे हैं कि कहां जाएं तो हम आपका रास्ता आसान कर दिए देते हैं। हम आपको एक ऐसी जगह के बारे में बताने जा रहे हैं जहां की ट्रीप आप चाहे तो अपने दोस्तों के साथ या फिर अपने पार्टनर के साथ जा सकते हैं। क्योंकि यहां आप किसी के साथ भी जाए, आपका फूल टू एंजोय करना तय है।
दरअसल हम आपको लेह के वादियों में घूमाने वाले है। मोटर साइकिल से घूमने का मजा भी सिर्फ आपको यहीं मिलेगा और कहीं नहीं। सच मानिए हमारी स्टोरी पढ़ने के बाद आपको लेह से प्यार हो जाएगा और आप बार-बार यहां घूमने के लिए बेकरारा हो जाएंगे।
लेह जम्मू कश्मीर राज्य के लद्दाख जिले का मुख्यालय और प्रमुख इलाका है। यह समुद्र तल से 11,500 फुट की ऊँचाई पर, श्रीनगर से 160 मील पूर्व तथा यारकंद से लगभग 300 मील दक्षिण, लद्दाख पर्वत श्रेणी के आँचल में, ऊपरी सिंध के दाहिने तट से 4 मील दूर स्थित है। यहाँ एशिया की सर्वाधिक ऊँची मौसमी वेधशाला है। नगर तिब्बत, सिकीयांग तथा भारत के मध्य का महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र है।
लद्दाख का दूसरा सबसे बड़ा क़स्बा कारगिल है। कारगिल को अगास की भूमि के नाम से भी जाना जाता है। कारगिल, अपने मठों, खूबसूरत घाटियों और छोटे टाउन के लिए लोकप्रिय है। इस स्थान पर कुछ महत्वपूर्ण पर्यटन आकर्षण और बौद्ध धर्म के धार्मिक केंद्र जैसे सनी मठ, मुलबेख मठ और शरगोल मठ स्थित हैं।
अगर आप लेह गए हैं तो आपको लेह महल जरूर जाना चाहिए। इस महल को सिंगे नामग्याल ने बनवाया था। यहां आपको भगवान बुद्ध के जीवन से जुड़े हुए कुछ चित्र आपको देखने को मिलेंगे।
लेह मस्जिद को देलदन नामग्याल ने अपनी माँ की याद में बनवाया था ।
गोस्पा तेस्मो (बौध्द मठ, शाही मठ) लद्दाख के दर्शनीय स्थलों में से एक है। इस मठ में महात्मा बुध्द की प्रतिमा देखने को मिलेगी।
इस म्यूज़ियम में आपको पुराने सिक्के, शाही मुकुट, शाही परिधान व अन्य शाही वस्तुएँ, लद्दाख के चित्र आदि देखने को मिलेंगे।
शंकर गोम्पा को शंकर मठ के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ ग्यालवा, चोंकवा, महात्मा बुद्ध व चंडाजिक की मूर्तियां देखने को मिलेंगी।
ठिकसे मठ लेह के खूबसूरत व आकर्षक स्थलों व मतों में से एक हैं। यहाँ महात्मा बुध्द की एक विशाल मूर्ति है जो दर्शनीय है।
काली मंदिर || Kali Mandir
मां काली का यह मंदिर लद्दाख में स्थित है। इस मंदिर को स्पितुक गोम्पा के नाम से भी जाना जाता है।
गुरुद्वारा पत्थर साहब काफी फेमस प्लेस है। यहां काफी ज्यादा मात्रा में पर्यटकों की भीड़ उमड़ती है। यहाँ एक शीला पर मानव आकृति उभरी हुई है। कहा जाता है कि यह आकृति सिखों के प्रथम गुरु नानकदेवजी की है।
वायुमार्ग- काफी जगहों से लेह तक जाने के लिए फ्लाइटें हैं। बता दें कि लेह कुशोक बकुला रिमपोची एयरपोर्ट यहां का मुख्य एयरपोर्ट है। लेह एयरपोर्ट एक मिलिट्री एयरपोर्ट है इसलिए यहां सुरक्षा जांच दूसरे एयरपोर्ट के मुकाबले सख्त होती है।
रेलमार्ग- लद्दाख से करीबी रेलवे स्टेशन जम्मू तवी है जो लद्दाख से करीब 700 किलोमीटर दूर है। इससे आगे का सफर आपको टैक्सी या बस से करना होगा। जम्मू तवी से लद्दाख पहुंचने में करीब दो दिन लगते हैं और टैक्सी का किराया भी करीब 9-10 हजार रुपए होता है।
सड़क मार्ग- सड़क से, लेह तक पहुंचने के लिए दो मार्ग हैं। श्रीनगर से, यह जून से नवंबर तक पर्यटकों का दौरा करने वाले पर्यटकों के लिए 434 किलोमीटर की यात्रा के आसपास है। जगह पर चलने का एक और तरीका है मनाली के माध्यम से। मनाली-लेह सड़क लगभग 485 किमी का एक खंड है और जुलाई से अक्टूबर तक खुला है।
लद्दाख घूमने से पहले आपका ये जानना जरूरी है कि लेह में कब घूमने के लिए जाना चाहिए। आपको बता दें कि लद्दाख में टूरिस्ट सीजन अप्रैल से शुरू होता है और अगस्त तक चलता है।
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