Barish Kaise Hoti Hai : आज कल हर जगह बारिश ने तबाही मचाई हुई. कई राज्यों में भारी बारिश के कारण बाढ़ जैसी स्थिती हो गई हैं. कई लोग अपना घर छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं, तो कई लोगों की जान भी चली गई है. दोस्तों आपने कभी सोचा है बारिश कैसे होती है… अगर आप भी जानना चाहते हैं कि बारिश कैसे होती है तो ये आर्टिकल आपके लिए ही है… आज के ब्लॉग में हम इसी पर चर्चा करने वाले हैं.
बारिश क्यों और कैसे होती है ||Why and how does it rain?
प्रकृति के रूप भी बड़े निराले हैं, कहीं कड़ी धूप तो कहीं बादल काले हैं और काले बादल हमें यह संकेत देते हैं कि बारिश आने की संभावना है.
सूरज की किरणों से जब पृथ्वी गर्म होती है तो पृथ्वी का पानी वाष्प बनकर ऊपर की ओर जाने लगता है और वही वाष्प ऊपर जाकर बादल का रुप धारण कर लेते हैं और जब वे ठंडे होने लगते हैं तो दुबारा फिर पृथ्वी पर गिरते हैं. जिसे बारिश (वर्षा) कहते हैं.
पृथ्वी से पानी आसमान में कैसे जाता है || how does water get from the earth to the sky
पृथ्वी पर इकट्ठा पानी के सतह पर जैसे – तालाबों, झीलों, नदियों और महासागरों पर जब सूर्य की तेज किरणें पड़ती हैं तब उसकी गर्मी से पानी वाष्प बनकर ऊपर उठने लगता है और आसमान में बादल का रूप धारण कर लेता है.
इस तरह पृथ्वी का पानी आसमान में पहुंचता है और बादल के रूप में आसमानी हवाओं के माध्यम से इधर-उधर घूमता रहता है. इस प्रक्रिया को वाष्पीकरण कहते हैं.
आसमान से पानी बारिश बनकर पृथ्वी पर कैसे आता है || How does water from the sky come to earth as rain?
आसमान में बादल के रूप में बहुत सारा पानी इकट्ठा रहता है अगर सारा पानी एक साथ पृथ्वी पर गिर जाए तो सर्वनाश हो जायेगा लेकिन ऐसा नहीं होता बल्कि पृथ्वी की अलग-अलग एनवायरनमेंट परिस्थितियां उन बादलों को खुद पर बरसने के लिए बेबस करती हैं. जब बादल के रूप में जमा पानी ठंडा होने लगता है तब वह तरल पानी में परिवर्तित होने लगता है और अगर ज्यादा ठंडा हो जाए तो बर्फ के रूप में भी परिवर्तित होने लगता है। इस प्रक्रिया को संघनन कहते हैं.
बारिश की प्रक्रिया कुछ इस तरह की होती है जैसे – पहले तरल बूंदें इकट्ठी होती हैं उसके बाद बड़ी बूंदों में परिवर्तित होती हैं और जब वे बूंदें काफी भारी हो जाती हैं उसके बाद बारिस होती है। इस प्रक्रिया को वर्षण कहते हैं.
बारिश होने के अन्य कारण कौन-कौन से हैं || What are the other reasons for rain?
समुद्र स्थल से दूरी, पर्वतीय स्थल से दूरी, हरियाली स्थल से दूरी, हवाओं के बहने का रुख, अन्य जलवायु कारक आदि मिलकर परिस्थितियाँ पैदा करते हैं कि कहाँ, कहाँ और कैसे कितनी बारिश होगी।
समुद्री, पर्वतीय, हरियाली भरे इलाकों में ज्यादा बारिश होती है और सूखे और रेगिस्तानी इलाकों में कम या ना के बराबर बारिश होती है.
अलग-अलग सिस्टम के कारण होती है बारिश || Rain occurs due to different systems
अभी बात अगर सिर्फ बारिश की करें तो बारिश हर जगह नहीं होती और हर जगह एक सी नहीं होती है. पृथ्वी बहुत सारी प्रक्रियाएं हैं जिनके कारण किसी स्थान पर बारिश होती है. इनमें भारत में सबसे जानी मानी प्रक्रिया है मानसून की प्रक्रिया जिसकी वजह से एक ही इलाके में एक से तीन चार महीने तक लगातार या रुक रक कर बारिश होती है. वहीं कई बार बेमौसम बारिश होती है जिसे स्थानीय वर्षा कहा जाता है. कई बार समुद्र से चक्रवाती तूफान बारिश लाकर तबाही तक ला देते हैं.
बारिश के कई रूप || many forms of rain
बारिश के कई रूप होते हैं. यह बारिश, ओले गिरना, हिमपात आदि के रूप में हो सकता है. जब पानी तरल रूप में न गिर कर ठोस रूप में गिरता है तो उसे बर्फबारी कहेंगे. वहीं बारिश के साथ बर्फ के टुकड़े गिरना ओलों का गिरना कहलाता है. इसके अलावा कई जगह सर्दियों में पानी की छोटी छोटी बूंदें भी गिरती हैं जिन्हें हम ओस कहते हैं.
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