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Ashok Stambh Significance: अशोक स्तंभ का इतिहास, महत्व और उससे जुड़े रोचक Facts

Ashok Stambh Significance : प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 11 जुलाई सोमवार को नए संसद भवन की छत पर राष्ट्रीय प्रतीक का अनावरण किया. अधिकारियों ने बताया है कि कांस्य चिह्न का वजन 9,500 किलोग्राम है और इसकी ऊंचाई 6.5 मीटर है. उन्होंने कहा कि यह पहले से ही नए संसद भवन के शीर्ष पर बनाया गया है और प्रतीक के समर्थन के लिए इसके चारों ओर लगभग 6,500 किलोग्राम की स्टील संरचना का निर्माण किया गया है. आइए जानते हैं अशोक स्तंभ का इतिहास (Ashok Stambh History) और अशोक स्तंभ का महत्व (Ashok Stambh Significance)…

आइए आज हम आपको बताते हैं अशोक चक्र के बारे कुछ इंटरेस्टिंग बातें (Interesting fact about Ashok Stambh).

अशोक स्तंभ का इतिहास || History Of Ashok Stambh

सम्राट अशोक, मौर्य वंश का तीसरे शासक थे और प्राचीन काल में भारतीय उपमहाद्वीप के सबसे शक्तिशाली राजाओं में से एक थे. सम्राट अशोक मौर्य वंश में सबसे शक्तिशाली सम्राट रहे हैं. सम्राट अशोक का जन्म 304 ईसा पूर्व में बताया जाता है.

सम्राट अशोक ने 273 ई.पू. से 232 ई.पू. भारत में शासन किया. अशोक के साम्राज्य में (Ashoka’s Empire) अधिकांश भारत, दक्षिण एशिया और उससे आगे, अब का अफगानिस्तान और पश्चिम में फारस के कुछ हिस्सों, पूर्व में बंगाल और असम और दक्षिण में मैसूर तक फैला हुआ था.

बौद्ध साहित्य में अशोक एक क्रूर और निर्दयी सम्राट बताया गया है लेकिन कलिंग के युद्ध के बाद उसने बौद्ध धर्म ग्रहण किया और धर्म के सिद्धांतों के प्रसार के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया. अशोक ने देश के विभिन्न भागों में कई स्तूपों और स्तंभों का निर्माण कराया. इनमें से एकसारनाथ में स्थित है, उसको भारत के राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में अपनाया गया है.

बौद्ध धर्म को अपनाने के बाद सम्राट अशोक ने भारत के अलावा बाहर के देशों में भी बौद्ध धर्म का प्रचार करवाया. उसने अपने पुत्र महेंद्र और पुत्री संघमित्रा को बौद्ध धर्म का प्रचार करने के लिए श्रीलंका भेजा था. अशोक ने तीन वर्ष में चौरासी हजार स्तूपों का निर्माण कराया और भारत के कई स्थानों पर उसने स्तंभ भी निर्मित करवाया. अपनी विशिष्ट मूर्तिकला के कारण ये स्तंभ सबसे अधिक प्रसिद्ध हुए. वास्तव में सारनाथ का स्तंभ धर्मचक्र प्रवर्तन की घटना का एक स्मारक था और अखंडता  को बनाए रखने के लिए इसकी स्थापना की गई थी.

कैसे बनाया गया अशोक का स्तंभ || How the Ashoka Pillar was build

सारनाथ स्थित अशोक स्तंभ को चुनार के बलुआ पत्थर के लगभग 45 फुट लंबे प्रस्तरखंड से निर्मित किया गया था. धरती में गड़े हुए आधार को छोड़कर इसका दंड गोलाकार है, जो ऊपर की ओर क्रमश पतला होता जाता है. दंड के ऊपर इसका कंठ और कंठ के ऊपर शीर्ष है. कंठ के नीचे उल्टा कमल है. गोलाकार कंठ चक्र से चार भागों में बांटा है.

उनमें हाथी, घोड़ा, सांड़ और शेर की सजीव प्रतिकृतियां उभरी हुई है. कंठ के ऊपर शीर्ष में चार शेर की मूर्तियां हैं जो पीठ से एक दूसरी से जुड़ी हुई हैं. इन चारों के बीच में एक छोटा दंड था जो 32 तिल्लियों वाले धर्मचक्र को धारण करता था, और भगवान बुद्ध के 32 महापुरुष लक्षणों का प्रतीक स्वरूप था.

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अशोक स्तंभ में शेरों का महत्व|| Importance Of Ashok Stambh

अशोक स्तंभ के जरिये ही सम्राट अशोक ने भगवान बुद्ध के शांति के संदेश को दुनिया भर में फैलाया था. सारनाथ और सांची के अशोक स्तंभों के ऊपर भी 4 एशियाई शेरों की आकृति दिखाई देती है.

अशोक स्तंभ के ऊपर शेरों की आकृति शक्ति, साहस, आत्मविश्वास और गौरव का प्रतीक हैं. इसके नीचे एक घोड़ा और एक बैल भी मौजूद है. इसके बीच में बनाया गया था धर्मचक्र. चक्र के पूर्वी भाग में हाथी है, वहीं पश्चिमी भाग में बैल है… दक्षिणी हिस्से में घोड़े और उत्तरी हिस्से में शेर हैं. यह बीच में बनाए गए पहिये से अलग होते हैं.

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भारत में अशोक स्तंभ कहां कहां स्थित है || Where Is Ashok Stambh In India

जैसा कि हम आपको बता चुके हैं कि सम्राट अशोक ने भारत के विभिन्न हिस्सों में बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए स्तंभों का निर्माण कराया. यहां हम आपको महान सम्राट अशोक द्वारा बनवाये गए कुछ मुख्य स्तंभों के बारे में बताने जा रहे हैं. अशोक स्तंभ वाराणसी के सारनाथ, प्रयागराज, वैशाली, दिल्ली के फिरोजशाह कोटला किले और मध्य प्रदेश के सांची में देखे जा सकते हैं.

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