ट्रेन के डिब्बों पर बनी लाइनों का मतलब क्या होता है
भारतीय रेलवे यात्रियों के जीवन में अहम भूमिका निभाती है. रेल परिवहन के आधुनिक साधनों में से एक है. (train coaches) 1951 में भारतीय रेलवे का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया. यह एशिया का सबसे बड़ा रेलवे नेटवर्क और एक ही प्रबंधन के तहत संचालित दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा नेटवर्क है. भाप इंजन से डीजल इंजन और फिर इलेक्ट्रिक इंजन तक की यह एक शानदार यात्रा रही है. इसीलिए भारत में ट्रेन से यात्रा करना सबसे शानदार और कभी न भूलने वाली यात्रा मानी जाती है. इसके जरिए लोग आराम और आसानी से कहीं भी पहुंच सकते हैं.
आपको बता दें कि करीब 164 साल पहले 16 अप्रैल 1853 को भारतीय रेलवे ने अपनी सेवाएं शुरू की थीं और भारत में पहली यात्री ट्रेन बॉम्बे (बोरी बंदर) और ठाणे के बीच चली थी. उस दिन सार्वजनिक अवकाश घोषित कर दिया गया.
ट्रेन से यात्रा करते समय आपने ट्रेन के डिब्बों पर रंग-बिरंगे डिब्बे और अलग-अलग रंग की धारियां जैसे पीली या सफेद आदि देखी होंगी क्या आपने कभी सोचा है कि ट्रेन के कुछ डिब्बों पर ये रंगीन धारियां क्यों दी जाती हैं, इसका क्या मतलब है? आइए इस आर्टिकल में हम आपको बताते हैं धारियों के बारे में…
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जानें क्यों होती है बोगियों पर पीली या सफेद लाइनें || Know why there are yellow or white lines on bogies
आपने ट्रेन की कुछ बोगियों पर बाहर की ओर टॉयलेट के ठीक ऊपर पीली या सफेद लाइनें बनी देखी होंगी. शायद आप भी इन्हें डिजाइन समझने की भूल कर बैठे होंगे, तो आप गलत है असल में ये लाइन डिजाइन के लिए नहीं बनी होतीं, बल्कि ये लाइन दर्शाती हैं कि, यह बिना रिजर्वेशन वाली जनरल बोगी है, जिसे जनरल श्रेणी भी कहा जाता है. इन लाइनों की मदद से आप बिना पढ़े भी आरक्षित और अनारक्षित बोगियों का पता लगा सकते हैं.
क्या आप जानते है, ट्रेन के इस डिब्बे में यात्रियों की भीड़ होने की वजह से हर साइड 3 दरवाजे होते हैं. जिससे स्टेशन पर लोग आसानी से उतर सकें और डिब्बा जल्दी खाली हो जाए.सेकंड क्लास में सफर करने वाले यात्री डिब्बे के अंत में सफेद और पीली पट्टी देखकर ये समझ जाते हैं कि उन्हें इसी डिब्बे में बैठना है. यूं तो ट्रेनों में अकसर सफर करने वाले यात्रियों को मालूम होता है कि जनरल डिब्बे कहां लगाए जाते हैं लेकिन कई बार ऐसा भी होता है कि जनरल डिब्बों को ट्रेनों के बीच में भी लगा दिया जाता है.
ट्रेन के अलग-अलग रंग का मतलब || meaning of different colors of train
नीला रंग- आपने देखा होगा कि अधिकतर ट्रेनों का रंग नीला होता हैय बता दें कि 90 के दशक में सभी भूरे लाल रंग के ट्रेनों को बदल कर निला कर दिया गया था।
लाल रंग के ट्रेन- आइसीएफ की ऐसी ट्रेनों के सभी कोच एसी की होती हैं. ज्यादातर राजधानी एक्सप्रेस ट्रेनों के रंग लाल होते हैं.इनमें सभी कोच वातानुकूलित होते हैं.
हरे रंग के ट्रेन- गरीब रथ के ट्रेन में हरे रंग के कोच का उपयोग किया जाता है. आपने देखा होगा कि भारतीय रेल ने जितनी भी गरीब रथ ट्रेनों की शुरुआत की है उन सभी का रंग हरा होता है.
भूरे रंग के ट्रेन- आपको बता दें कि मीट गेज वाली ट्रेनों में भूरे रंग के कोच का उपयोग होता है.
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सफेद-लाल-नीले रंग की ट्रेन- इन रंगों के अलावा कभी-आपने पटरियों पर सफेद-नीले या सफेद-लाल रंग के ट्रेनों को भी देखा होगा. इनके संबंध में आपको बता दें कि कुछ रेलवे जोन ने अपने स्वयं के रंगों को नामित किया है, जैसे कि केंद्रीय रेलवे की कुछ ट्रेनें सफेद-लाल-नीली रंग योजना का पालन करती हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि दूरंतो कोच का रंग पीला और हरा है जो कि ममता बनर्जी की एक पेंटिंग से प्रेरित है.
रेल के डिब्बे पर X के निशान का मतलब || Meaning of the X mark on the train compartment
आपने ट्रेन की बोगियो की लाईनों के बारे में तो जान लिया, क्या आपने कभी ट्रेन के आखिरी डिब्बे पर बने एक बड़ा सा X के निशान को देखा है इसका क्या मतलब होता होगा, दरअसल, ये X जैसा क्रॉस सिर्फ ट्रेन के आखिरी डिब्बे पर ही बना होता है जिसका मतलब यह होता है कि यह ट्रेन का आखिरी डिब्बा है और पूरी ट्रेन जा चुकी है. स्टेशन पर तैनात रेलवे कर्मचारियों के लिए ये निशान बनाया जाता है जिसे पूरी ट्रेन के गुजर जाने के बाद वह हरी झंडी दिखाता है.