what is Kavach technology : 2 जून, 2023 को, भारतीय रेलवे की तीन ट्रेनें, जिनमें दो एक्सप्रेस ट्रेनें और एक मालगाड़ी शामिल थीं, एक दर्दनाक दुर्घटना में शामिल थीं, जिसके परिणामस्वरूप 200 से अधिक लोगों की मौत हो गई और 500 से अधिक घायल हो गए. हादसे में ट्रेन सं. 12841 शालीमार-चेन्नई कोरोमंडल एक्सप्रेस और ट्रेन सं. 12864 SMVB – HWH सुपरफास्ट एक्सप्रेस, दोनों 2 जून को लगभग 18.55 बजे ओडिशा के बालासोर जिले में बहानगा बाजार रेलवे स्टेशन के पास पटरी से उतर गईं. ट्विटर पर बहुत सारे लोग रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से पूछ रहे हैं कि स्वदेशी टक्कर रोधी टेक्नोलॉजी ‘कवच‘ ने दुर्घटना को होने से क्यों नहीं रोका?
अधिकारियों ने शनिवार को कहा कि रेलवे ने ओडिशा में ट्रेन दुर्घटना की हाई लेवल जांच शुरू कर दी है. जिसकी अध्यक्षता रेलवे सुरक्षा आयुक्त, दक्षिण पूर्वी सर्कल करेंगे. रेलवे सुरक्षा आयुक्त नागरिक उड्डयन मंत्रालय के तहत काम करते हैं और ऐसे सभी हादसों की जांच करते हैं. भारतीय रेलवे के एक प्रवक्ता ने कहा, “ए एम चौधरी, सीआरएस, एसई सर्कल, दुर्घटना की जांच करेंगे.”
नेशनल ट्रांसपोर्टर ने यह भी कहा है कि मार्ग पर एंटी-ट्रेन टक्कर प्रणाली “कवच” उपलब्ध नहीं थी. हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि दुर्घटना का कारण क्या था, सूत्रों ने संभावित सिग्नलिंग विफलता का संकेत दिया. भारतीय रेलवे के प्रवक्ता अमिताभ शर्मा ने कहा, “बचाव अभियान पूरा हो गया है. अब, हम बहाली का काम शुरू कर रहे हैं. कवच इस मार्ग पर उपलब्ध नहीं था.” रेलवे अपने नेटवर्क में “कवच”, एक एंटी-ट्रेन टक्कर प्रणाली स्थापित करने की प्रक्रिया में है. आज के आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि कवच टेक्नोलॉजी क्या होती है…
कहां तक पहुंचा कवच को लागू करने का काम || How far has the work of implementing the Kavach reached
कवच टेक्नोलॉजी फिलहाल देश के कुछ रेलवे रूट पर ही उपलब्ध है. फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, 31 दिसंबर 2022 तक, कवच के तहत भारतीय रेलवे नेटवर्क के 1,455 किलोमीटर रूट को कवर किया गया. फिलहाल दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा कॉरिडोर (3,000 रूट किलोमीटर) पर ‘कवच’ को लेकर काम चल रहा है. हर साल 4,000 से 5,000 किलोमीटर में इस तकनीक को लागू किया जाएगा. ऐसे में आने वाले कुछ वर्षों में देशभर के कई बड़े रेलवे रूट के ‘कवच’ सिस्टम से लैस होने की संभावना है.
कवच टेक्नोलॉजी क्या है || what is Kavach technology
‘कवच’ स्वदेशी रूप से विकसित ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन (Automatic Train Protection) सिस्टम है. रेलवे के अनुसार, कवच टेक्नोलॉजी ट्रेनों की आपस में भिड़ंत को रोकने का काम करती है. इस तकनीक में सिग्नल जंप करने पर ट्रेन खुद ही रुक जाती है. पिछले साल मार्च में कवच टेक्नोलॉजी का सफल परीक्षण किया गया था. खुद रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव इस दौरान एक ही ट्रैक पर दौड़ रही दो ट्रेनों में से एक गाड़ी में सवार थे.
दूसरी ट्रेन के इंजन में रेलवे बोर्ड के चेयरमैन मौजूद थे. एक ही पटरी पर आमने सामने आ रहे ट्रेन और इंजन ‘कवच’ टेक्नोलॉजी की वजह से आपस में टकराए नहीं. क्योंकि कवच ने दूसरी गाड़ी को 380 मीटर दूर ही रोक दिया.
कवच कैसे काम करता है || How does Kavach work
‘कवच’ प्रणाली में हाई फ्रीक्वेंसी के रेडियो कम्युनिकेशन का इस्तेमाल किया जाता है. ये सिस्टम तीन स्थितियों में काम करता है.जैसे कि हेड-ऑन टकराव, रियर-एंड टकराव, और सिग्नल खतरा. ब्रेक विफल होने की स्थिति में ‘कवच’ ब्रेक के स्वचालित अनुप्रयोग द्वारा ट्रेन की गति को नियंत्रित करता है. ‘ऑन बोर्ड डिस्प्ले ऑफ सिग्नल एस्पेक्ट’ (OBDSA) लोको पायलटों को कम दिखने पर भी यह संकेत देता है. एक बार सिस्टम सक्रिय हो जाने के बाद, 5 किलोमीटर की सीमा के अंदर ट्रेनें रुक जाती हैं.
इस रूट पर पहले होगा इस्तेमाल || Will be used first on this route
कवच (Kavach) को साल 2020 में नेशनल ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम के तौर पर अपनाया गया था. कवच एक SIL-4 प्रमाणित टेक्नोलॉजी है, यह सेफ्टी का हाइएस्ट लेवल है. कवच को दिल्ली-मुंबई, दिल्ली-हावड़ा, स्वर्णिम चतुर्भुज और स्वर्ण विकर्ण रूट पर इस्तेमाल पहले किया जाएगा.
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