Umaid Bhawan – उम्मैद भवन पैलेस राजस्थान के जोधपुर जिले में स्थित एक महल है. यह दुनिया के सबसे बड़े निजी महलों में से एक है. यह ताज होटल का ही एक अंग है. एक सर्वे में उम्मैद भवन पैलेस को दुनिया का सबसे अच्छा होटल आंका गया है. उम्मैद भवन पैलेस का नाम इसके संस्थापक महाराजा उम्मैद सिंह के नाम पर रखा गया है, यह दुनिया में सबसे शानदार इमारतों में से एक है. यह महल 16 महीनो में बनकर तैयार हुआ था. संगमरमर और बालू पत्थर से बने इस महल का दृश्य पर्यटकों को खासतौर पर लुभाता है.
इस महल के म्यूजियम में पुरातन युग की घड़ियां और चित्रकारी आज भी संरक्षित हैं. इस महल (Umaid Bhawan) में 347 कमरे हैं और तत्कालीन जोधपुर शाही परिवार के लिए उपयोग किये जाते हैं. यही एक ऐसा बीसवीं सदी का महल है. बलुआ पत्थर से बना यह भवन अभी पूर्व शासकों का निवास स्थान है, जिसके एक हिस्से में होटल चलता है और बाकी के हिस्से में म्यूजियम. ट्रिप एडवाइसर द्वारा आयोजित “ट्रैवलर चॉइस अवार्ड” में उमैद भवन पैलेस को विश्व के सबसे अच्छे होटल के रूप में सम्मानित किया गया था.
Umaid Bhawan महल को तराशे गये बलुआ पत्थरों को जोड़ कर बनाया गया था. महल के निर्माण के दौरान पत्थरों को बांधने के लिये मसाले का उपयोग नहीं किया गया था. यह विशिष्टता बड़ी संख्या में पर्यटकों को इस महल की ओर आकर्षित करती है. इस सुंदर महल के वास्तुकार हेनरी वॉन, एक अंग्रेज थे.
पैलेस रोड जोधपुर में स्थित उम्मैद भवन पैलेस से मेहरानगढ़ दुर्ग से 6.5 किमी और जसवंत थढ़ की समाधि से 6 किमी दूर है. वर्तमान में उम्मैद भवन पैलेस का मालिक गज सिंह है. इस पैलेस के तीन भाग है, एक लग्जरी ताज होटल जो (1972) से है ,एक शाही परिवार के लिए और एक म्यूजियम है. म्यूजियम के खुलने का समय सुबह 9 बजे से शाम 5 तक. यहां एक गैलरी भी है जहां पर कई चीजें देखने को मिलती है.
उम्मेद भवन पैलेस के निर्माण का इतिहास एक संत द्वारा एक अभिशाप से जुड़ा है, जिन्होंने कहा था राठौड़ राजवंश के सुशासन के दौरान एक अकाल पड़ेगा. इस प्रकार, प्रताप सिंह के लगभग 50 साल के शासनकाल के अंत के बाद, जोधपुर को लगातार तीन वर्षों की अवधि के लिए 1920 के दशक में भीषण सूखे और अकाल का सामना करना पड़ा. इस कठिनाई का सामना कर रहे क्षेत्र के किसानों ने तत्कालीन महाराजा, उम्मैद सिंह की मदद ली, जो जोधपुर में मारवाड़ के 37 वें राठौड़ शासक थे. उन्हें कुछ रोजगार प्रदान करने के लिए ताकि वह जिंदा रह सकें. इस कठिन परिस्थिती में महाराजा ने किसानों की मदद करने के लिए एक भव्य महल बनाने का फैसला किया. उन्होंने महल के लिए योजना तैयार करने के लिए वास्तुकार के रूप में हेनरी वॉन लानचेस्टर को कमीशन दिया. लैंचेस्टर एड्विन लुटियंस का समकालीन था, जिसने नई दिल्ली सरकार के परिसर की इमारतों की योजना बनाई थी. लैंचेस्टर ने गुंबदों और स्तंभों के विषय को अपनाकर नई दिल्ली भवन परिसर की तर्ज पर उम्मेद पैलेस का निर्माण किया. महल को वेस्टर्न टेक्नोलॉजी और भारतीय वास्तुशिल्प सुविधाओं के मिश्रण के रूप में डिजाइन किया गया था.
महल को धीमी गति से बनाया गया था क्योंकि इसका प्रारंभिक उद्देश्य क्षेत्र में अकाल से पीड़ित किसानों को रोजगार प्रदान करना था. महल की आधारशिला 1929 में रखी गई थी. इसके निर्माण में लगभग 2,000 से 3,000 लोगों को लगाया गया था. एक महंगी परियोजना को शुरू करने के लिए कुछ आलोचना की गई थी लेकिन इसने जोधपुर के नागरिकों को अकाल की स्थिति का सामना करने में मदद करने का मुख्य उद्देश्य दिया था. महल के निर्माण की अनुमानित लागत 11 मिलियन रुपये थी. 1963 में जब इसे खोला गया तो इसे दुनिया के सबसे बड़े शाही आवासों में से एक माना गया.
महल के लिए चुना गया स्थल जोधपुर की बाहरी सीमा में चित्तर पहाड़ी के नाम से जानी जाने वाली एक पहाड़ी पर था. जिसके बाद महल को भी जाना जाता है. जहां आसपास कोई जलापूर्ति उपलब्ध नहीं थी और पहाड़ी ढलानों के रूप में शायद ही कोई वनस्पति उगती हो. रास्ते पथरीले थे.
महल दो पंखों के साथ “डन-कलर्ड” (सुनहरा – पीला) बलुआ पत्थर से बनाया गया था. मकराना संगमरमर का भी उपयोग किया गया है, और आंतरिक लकड़ी के काम के लिए बर्मी टीक की लकड़ी का उपयोग किया गया है. जब महल में 37, कमरे थे, कई आंगन और एक बड़ा बैंक्वेट हॉल था जिसमें 300 लोग बैठ सकते थे. आर्किटेक्चरल स्टाइल को तत्कालीन प्रचलित ब्यूक्स आर्ट्स शैली का प्रतिनिधित्व माना जाता है, जिसे इंडो-डेको शैली के रूप में भी जाना जाता है. हालांकि, कई सालों तक शाही परिवार में दुखद घटनाओं के बाद महल पूरी तरह से काम नहीं कर पाया. उम्मैद सिंह, जो केवल चार साल तक इस स्थान पर रहे, 1947 में उनकी मृत्यु हो गई. हनवंत सिंह जिन्होंने उन्हें सफल बनाया, उनकी भी कम उम्र में मृत्यु हो गई. वह सिर्फ 1952 के आम चुनावों में जीते थे और इस जीत के बाद घर लौट रहे थे जब उनका विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया और उनकी मृत्यु हो गई. गजसिंह द्वितीय जिन्होंने अपने पिता का उत्तराधिकार लिया था, ने 1971 में महल के एक हिस्से को एक झोपड़ी में बदलने का फैसला किया.
जब महल को बनाने का काम पूरा किया गया तो इसमें 347 कमरें कई आंगन और एक बड़े डाइनिंग हाल शामिल थे जिसमे 300 लोग एक साथ बैठ सकते थे. Umaid Bhawan Palace को तीन कलात्मक भागों में बनाया गया है शाही परिवार का निवास, एक लक्जरी Taj Palace Hotel (हेरिटेज होटल) और एक संग्रहालय जो 20वी सदी के जोधपुर के इतिहास पर केंद्रित है.
जहां शाही परिवार निवास करता है वहां एक सिंघासन कच्छ, एक खास मीटिंग हाल, जनता से मिलने के लिए एक दरबार हाल, एक दावत हाल, प्राइवेट डाइनिंग हाल, एक पुस्तकालय एक इंडोर स्विमिंग पूल, एक स्पा, एक बिलियर्ड रूम, चार टेनिस कोर्ट, दो अनूठे संगमरमर के इस्क्वेश बोर्ड और लंबे मार्ग बने हुए हैं.
1969 में महल के एक हिस्से को होटल में बदल दिया गया. महल का ये होटल ताज समूह द्वारा चलाया जाता है. जिसे Taj Umaid Bhawan Palace कहा जाता है. एक सर्वे में इस होटल को दुनिया का सबसे अच्छा होटल माना गया है. जिसमे शानदार Guest Room, Historical Suite, Royal Suite, Grand Royal Suite, Maharaja suite, Maharani Suit के साथ 64 मेहमान है जिसमें डेको कला शैली की सजावट है.
शाम के समय इस महल को अनगिनत रौशनी की लड़ियों से सजाया जाता है. इस महल में महाराजा के विंटेज कार कलेक्शन को भी देखा जा सकता है इस महल में नील आसमानी रंग की गुम्बद है जो पर्यटक को खूब लुभाती है.
उम्मेद भवन पैलेस संग्रहालय में शाही परिवार द्वारा इस्तेमाल की गयी प्राचीन वस्तुओं की एक विस्तृत श्रृंखला को प्रदर्शित किया गया है. इस म्यूजियम में हवाई जहाज के मॉडल, पुराने समय के हथियार, पुरानी घड़ियों, बर्तन, कटलरी, शिकार की ट्राफियां और ऐसी ही कई प्राचीन वस्तुओं का अनूठा संग्रह एक शाही वैभव का अहसास करता है. पर्यटकों के लिए ये संग्रहालय 9 बजे से 5 बजे तक खुला रहता है.
By Air – उम्मैद भवन पैलेस पहुंचने के लिए आप फ्लाइट से भी यात्रा कर सकते हैं. उम्मैद भवन का नजदीकी हवाई अड्डा है जोधपुर जोकि महल से करीब 3 किलोमीटर दूर है.
By Bus – राजस्थान राज्य सड़क परिवहन निगम (RSRTC) की बस सेवायें सभी पास के शहरों से जोधपुर के लिए उपलब्ध हैं. जोधपुर के लिये पर्यटक जयपुर, दिल्ली, जैसलमेर, बीकानेर, आगरा, अहमदाबाद, अजमेर, उदयपुर, और आगरा से निजी डीलक्स बसें भी ले सकते हैं.
By Train – ट्रैन के द्वारा जाना चाहते हैं तो जोधपुर स्टेशन 5 किलोमीटर की दूरी पर है और देश के सभी प्रमुख मार्गो से जुड़ा हुआ है.
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