Shillong Tour – इस व्लॉग में, मैंने शिलॉन्ग ( Shillong Tour ) के आधे दिन की यात्रा को दिखाया है. आधा दिन इसलिए क्योंकि इस दिन ही मैं गुवाहाटी से शिलॉन्ग ( Guwahati to Shillong ) पहुंचा था. गुवाहाटी से शिलॉन्ग ( Guwahati to Shillong ) पहुंचते पहुंचते आधा दिन बीत चुका था और फिर होटल बुक ( Hotel Booking in Shillong ) करना और खुद को सेटल करने में कुछ और वक्त लगा. इस आधे दिन के सफर में, मैं एक कैथेड्रल चर्च ( shillong cathedral church ) गया और पुलिस बाजार के आसपास घूमा. मैंने वहां की स्ट्रीट्स पर फूड मार्केट को भी कवर किया. तो आइए इस तीसरे दिन के सफर पर चलते हैं…
– दो दिन ट्रेन में और आधा दिन शिलॉन्ग पहुंचने में गुजर चुका था. मैंने यहां सेवन सिस्टर्स होटल ( hotel seven sisters shillong ) बुक किया था. वह इसलिए क्योंकि नजदीक ही एक वेजिटेरियन होटल था ( hotel hariom shillong ) और मुझे उसके लिए ज्यादा चलना नहीं पड़ता. सेवन सिस्टर्स होटल में सामान रखकर मैं बाहर जाने लगा. रिसेप्शन पर होटल की ओनर महिला दिखीं. वह 60 साल से ऊपर की रही होंगी. मैंने उनसे कहा कि आने में मुझे देरी हो सकती है. 8, साढ़े 8 बज सकते हैं. यह सुनकर वह मुझे समझाते हुए बोलीं- यहां किसी गांव में मत जाना, अभी क्रिसमस ( christmas in shillong ) आने वाला है और माहौल बहुत टेंशन भरा रहता है इस दौरान. मुझ अकेले बंदे को डराने के लिए उनके ये शब्द काफी थे. हालांकि मुझे ये नहीं पता था कि शिलॉन्ग ( Shillong Tour ) में रात 5 बजे ही हो जाती है. शिलॉन्ग ही नहीं, लगभग पूरे मेघालय में यही रहता है. लेकिन जब उन्होंने ये हिदायत दी, मैं सोचने पर मजबूर हो गया.
मेघालय आने से पहले मेरे मन में सबसे पहले यही ख्याल आया था कि किसी गांव में जाकर वहां की संस्कृति को कवर करूंगा लेकिन ये तो एकदम अलग ही बात थी. मैंने ओनर से कुछ कहा तो नहीं लेकिन सोच में डूबा डूबा ही क्विंटन रोड से पुलिस बाजार ( quinton road to police bazar ) आ गया. क्विंटर रोड से पुलिस बाजार चौक ( quinton road to police bazar distance ) की ये दूरी कुछ ही कदमों की है.
आप जब शिलॉन्ग ( Shillong Tour ) उतरते हैं तो पुलिस बाजार चौक ही आपको मुख्य जगह मिलती है. यहीं पास में बस अड्डा भी है. यहीं टैक्सियां भी मिलती हैं जो आपको अलग-अलग जगहों पर ले जाकर घुमाती हैं. जैसे, शिलॉन्ग ( Shillong Tour ) से माउशिनग्राम, डाउकी, मॉउलिनॉन्ग, आदि ( shillong to mawsynram dawki and mawlynnong ) जगहों पर… इनका किराया 2500 से शुरू होता है और आगे तक जाता है.
होटल्स भी आपको यहीं आसपास मिल जाते हैं. सस्ते, महंगे हर तरह के. मेरा सुझाव है कि होटल की बुकिंग पहले से करवा लें, तो बेहतर रहेगा. यहीं पर आपको स्ट्रीट फूड के ढेरों ऑप्शन भी मिलते हैं. इसमें पोर्क से लेकर अलग अलग व्यंजन शामिल रहते हैं. शिलॉन्ग ( Shillong Tour ) का पुलिस बाजार ( police bazar shillong ) एक तरह से छठराहा है. यहां से 6 रास्ते निकलते हैं. एक तो केटिंग रोड जहां से होकर मैं आया था. केटिंग रोड ऑटो मार्केट है. ये वन वे रोड है.
पुलिस बाजार चौक पर अगर आप अपने वाहन से हैं, तो ये ध्यान रखें कि किस रास्ते पर आपको जाना है, क्योंकि यहां एक-दो रास्ते ही टू वे ट्रैफिक पर हैं, बाकि सभी वन वे पर… खैर, अब लौटते हैं मेरी यात्रा पर. मैं पहुंच चुका था, पुलिस बाजार चौक पर… यहां मुझे समझ ही नहीं आया कि जाऊं तो जाऊं कहां… मैंने कई लोगों से बात करने की कोशिश की लेकिन यहां के लोग मुझे खुद में ही खोए जैसे दिखाई दिए. एक तो भाषाई बाध्यता, ऊपर से यहां के लोगों का रवैया. मैं थोड़ा क्या, बहुत ज्यादा नर्वस हो गया था.
कहां तो तय करके आया था कि 8-10 दिन मेघालय में रहूंगा और कहां पहले ही दिन, सिर मुंडाते ही ओले पड़ने वाली कहावत का सामना कर रहा था. मुझे जब किसी ने उत्तर नहीं दिया या जब कहीं से मुझे संतुष्टि नहीं मिली, तब मैं एक टैक्सी वाले के पास गया और उससे एक नजदीकी चर्च के बारे में पूछा. इस चर्च के बारे में मैंने इंटरनेट पर पढ़ा था. मुझे होटेल में बताया भी गया था कि मैं यहां पैदल जा सकता हूं. मैंने यह जानकारी होटेल सेवन सिस्टर्स में न लेकर, पड़ोस में जो वेजिटेरियन होटल है वहां से ली थी.
शिलॉन्ग में इस वेजिटेरियन होटल का किस्सा भी जान लीजिए. यह होटल हरिओम था क्विंटन रोड ( hotel hariom at quinton road shillong ) पर. यह कंप्लीटली वेजिटेरियन है. यहां राहत तो मिली लेकिन स्वाद नहीं मिला. सिर्फ एक आलू का पराठा ही मिला, जिसमें स्वाद था, बाकी सब ऐसे कि पूछिए मत. मैंने मेहंदीपुर बालाजी में भी भोजन किया है, जहां लहसुन और प्याज का भी इस्तेमाल नहीं होता है लेकिन यहां का बेस्वाद खाना खाकर तो हालत और पतली हो गई थी.
फिर भी, खाकर ही चला.. अब पुलिस बाजार पर मुझे चर्च के बारे में पता चल चुका था. बस स्टैंड से एक बस ली और 10 रुपये के किराए में बस ने मुझे कैथेड्रल चर्च पहुंचा दिया. यह चर्च खासी समुदाय का है. इसे मैंने वीडियो में भी दिखाया है. आप वीडियो में इसे देख सकते हैं. यहां मैंने बिहार से आकर पढ़ाई कर रहे एक बच्चे से बात की. उसने बताया कि अंदर फादर मौजूद हैं, मैं उनसे भी मिल सकता हूं. उसके बताए मुताबिक, मैं फादर से मिलने गया.
फादर अपने ऑफिस में बैठे मिले. परिचय देकर मैंने उनसे बातचीत शुरू की. उन्हें हिंदी नहीं आती थी और न ही मुझे इसमें उनकी दिलचस्पी दिखी. हां, अंग्रेजी में संवाद उन्होंने खूब किया. मैंने उनसे निवेदन किया कि अगर वह मुझे मेघालय में ईसाई धर्म को लेकर कुछ बता सकें कि राज्य में यह धर्म कैसे आया तो मुझे खुशी होगी. उन्होंने बताया भी. उन्होंने कहा कि पहले ये कबीले थे जो अपने अपने तरीके से जीते थे लेकिन ईसाई धर्म आने के बाद यहां बदलाव हुआ और सिविलाइजेशन की शुरुआत हुई. मैंने ऐसी तमाम बातें उनसे ऑन कैमरा बताने को कहा, तो वह राजी नहीं हुए.
खैर, जानकारी लेकर मैं बाहर आ गया. चर्च के परिसर में ही क्रिसमस की तैयारी चल रही थी. यहां से निकलकर मैं बाहर रोड पर आया और अब पैदल ही चलते-चलते पुलिस बाजार पहुंच गया. इतने में ही शाम गहराने लगी थी. मैं पुलिस बाजार पर केटिंग रोड पहुंचा. यहां मोल-भाव करके एक स्कूटी ( Rent a Scooty in Shillong ) ली. वह 750 रुपये कह रहे थे लेकिन मैं 650 रुपये पर अड़ गया. फिर 650 में मुझे यह स्कूटी मिली. अब यहां एक बात और जान लीजिए. मुझे पार्किंग की कोई जानकारी थी नहीं. स्कूटी लेकर जब होटल पहुंचा तो पता चला कि पार्किंग मुझे सामने बनाए गए कॉन्प्लैक्स में ही करनी होगी, जिसका किराया 10 रुपये प्रति घंटा है. ऐसे करके मुझे शाम 7 बजे से सुबह 7 बजे तक स्कूटी को पार्क करना था और इस तरह से मेरा स्कूटी का किराया 770 पहुंच गया.
आप भी अगर होटल बुक करें, तो कोशिश यही करें कि उसमें पार्किंग हो. पार्किंग में स्कूटी लगाकर मैं मार्केट घूमने निकला. यहां नॉन वेज के कई ठिकाने दिखे. मार्केट एकदम शबाब पर था. क्रिसमस की तैयारियों में बिजी ये शहर ऐसा था, जैसे किसी को किसी की फिक्र ही न हो. यहां जब मैं सामान से लदकर पूरी केटिंग रोड से होकर गुजर रहा था, एक शख्स मेरे पास नहीं आया यह कहने, कि आइए आपको होटल दिला दूं. इस शहर को किसी से फर्क नहीं. अपने रंग में डूबा हुआ है. मुझे इस शाम को ही पता चल गया कि ये मेघालय और शिलॉन्ग मेरी अब तक की यात्रा से अलग होने वाला था.
यहां मुझे याद आई, पान सिंह तोमर के गांव की यात्रा की. जहां एक सहयात्री ने न सिर्फ बस रुकवाई थी बल्कि वह मुझे रास्ते तक भी छोड़कर आए थे. कमाल है, भारत में किसी विविधता है. शहर का ये मिजाज मुझे कचोट भी रहा था लेकिन अगले 8 दिन मुझे इसी मिजाज के साथ यात्रा को पूरा करना था. रात बढ़ी, तो सर्दी भी बढ़ी… मैं पहुंच गया होटल हरिओम में. भोजन करके चुपचाप अपने कमरे में. वीडियो को ट्रांसफर किया और सुबह का अलार्म सेट किया. अगली सुबह 6 बजे उठकर 7 बजे से एक नई यात्रा की शुरुआत मुझे कर देने थी…
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