Tosh Village Journey – मलाणा पहुंचना जितना तकलीफ देह था उससे भी ज़्यादा परेशानी वहां से लौटते वक्त हुई. लौटते वक्त भी रास्ता कहीं ऊंचाई पर जाता तो कहीं ढलान पर. तीन नए दोस्तों के साथ हम इस सफर पर थे. बातें करते करते हम मलाणा के ट्रेक की शुरुआत वाली जगह भी आ गए. यहां हमने आपस में एक तस्वीर क्लिक कराई. यहां वे सभी दूसरे रास्ते की तरफ चल दिए और हम दूसरे. गजब का आनंद आता है ट्रिप पर जब आप ही की तरह के लोग आपको मिल जाते हैं.
अब पहला चैलेंज था कहां लंच किया जाए. वैसे चैलेंज तो कई सारे थे. जैसे टाइम पर कसौल पहुंचना और वहां से समय रहते तोष गांव ( Tosh Village Journey ) पहुंच जाना. इस चैलेंजेस में पहला पड़ाव लंच कर लेने का था. लक्ष्मण, जिनसे हम कसौल में मिले थे और जो हमें यहां तक लेकर आए थे, वे हमें सामने मौजूद एक रेस्टोरेंट में ले गए. उनकी हर किसी से बातचीत थी. लोकल लैंग्वेज में ही बतियाते जा रहे थे.
रेस्टोरेंट में हमने फ्राइड राइस खाया, कोल्डड्रिंक पी. जितना बिल आया था लक्ष्मण जी ने उसमें से कुछ कटौती भी करवा दी. यहां से हम चल दिए कसौल की तरफ. दोस्तों, एक बात और बता दूं कि रास्ते में जो लम्हें या जो जगहें आप देखकर कैमरे में उतार लेना चाहते हैं उसे जाते वक्त ही उतार लें. मैंने कई जगहों के बारे में सोचा था कि वापसी में यहां ज़रूर रुकूंगा. इसमें से एक सुरंग जैसी जगह भी थी लेकिन वापसी में थकावट और लेटलतीफ़ी की वजह से ऐसा नहीं हो पाता है.
मलाणा से कसौल का सफर | Malana to Kasaul Journey
मलाणा से कसौल की वापसी का सफर झटपट पूरा हो गया. हमने मलाणा गांव में ये सुना था कि वापसी में चेकिंग होती है. पुलिस के लोग ये तलाशी लेते हैं कि कहीं कोई मलाणा क्रीम तो लेकर नहीं जा रहा है. हालांकि हमें ये भी पता था कि ये पूरा एक नेक्सस है. इसके बारे में मैंने अपने वीडियो के ज़रिए पूरी जानकारी दी है.
हालांकि, हमारे पास कुछ था ही नहीं तो कॉन्फिडेंस भी कायम था. नीचे मलाणा बैराज के पास एक पुलिसवाले ने हमें संदिग्ध नज़रों से देखा. मैंने भी उसे देखा. उसने किसी तरह का इशारा नहीं किया. मलाणा से कसौल के रासेते में हम कहीं नहीं रुके. एक घंटे से भी कम वक्त में हम कसौल में लक्ष्मण जी के उसी इजरायली रेस्टोरेंट पर पहुंच चुके थे जहां हम सुबह आए थे.
कसौल में ब्रंच में खाया इजरायली फूड | Israeli Food in Kasaul
इस इजरायली रेस्टोरेंट में हमने इजरायली डिश को ऑर्डर किया. इस इजरायली डिश का नाम किंग फलाफल था. संजय को भूख लगी थी और उनका मन था कि हम किसी नई डिश या इजरायली डिश को ट्राय करें. लक्ष्मण जी के सुझाव पर हमने किंग फलाफल को ऑर्डर किया. इस डिश की जानकारी आप हमारे कसौल यात्रा के ब्लॉग वाले वीडियो में ले सकते हैं.
इसमें अलग अलग व्यंजनों के मिश्रण से एक इजरायली डिश तैयार की जाती है. मुझे तो ये डिश खासी पसंद आई. जब हम लक्ष्मण जी के रेस्टोरेंट में ब्रंच कर रहे थे तब कई तरह के लोग ऐसे भी वहां आए जो क्रीम के दीवाने थे. ये वहीं जमघट बनाकर बैठ गए. मैं पहली बार भारत के किसी कस्बे में ऐसा खुलापन देखकर हैरान हो रहा था.
कसौल से तोष का सफर | Kasaul to Tosh Journey
कसौल में इस ब्रंच के बाद हमारा अगल पड़ाव था तोष ( Tosh Village Journey ) . हम बाहर निकले ही थे कि हमें मणिकर्ण के लिए एक बस मिल गए. बस के जरिए कुछ पैसों में ही हम मणिकर्ण पहुंच गए थे. मणिकर्ण में बस ने हमें जहां उतारा वहां बगल में ही टैक्सी स्टैंड भी था. ये जगह मुख्य मार्ग ने नीचे की तरफ थी. हमने जब टैक्सी का रेट पता किया तो 800 रुपये सुनकर ही कान खड़े हो गए.
ज़रा सी दूरी पर तोष ( Tosh Village Journey ) और किराया 800 रुपये. हद्द थी ये भी. खैर, किसी टैक्सी वाले ने रेट कम नहीं किया. सब अड़े रहे और कहते रहे कि यही फिक्स रेट है. आपको इससे कम में कुछ नहीं मिलेगा. अब वे अड़े थे तो मैं भी अड़ा था. मैंने संजय से कहा कि चलो ऊपर मुख्य मार्ग पर चलते हैं, कुछ न कुछ मिल जाएगा. हां, ढलती शाम हमारी चिंता ज़रूर बढ़ा रही थी.
मणिकर्ण से ऊपर आकर मुख्य मार्ग पर हमें एक टैक्सी वाले मिल ही गए. वे निवेदन करने पर 400 रुपये में तैयार हो गए. इतने में एक शख्स मेरे पास आया. मुझे वो भारतीय नहीं लगा. उसने अंग्रेजी में कैब शेयर करने की रिक्वेस्ट की. मैंने गाड़ी वाले भैया से कहा. तो 500 रुपये में बात बन गई.
अब हम बढ़ चले थे तोष ( Tosh Village Journey ) की तरफ. अंदर उस विदेशी शख्स से मैंने बात की. पता चला कि वह इजरायली था. ये जानकर हमारी एक्साइटमेंट और भी बढ़ गई. हमने उनसे उनके वहां होने के बारे में पूछना चाहा. उन्होंने कहा कि वह कई सालों से वहां पर है. तोष में एक होटल ही उसका ठिकाना है. हमने कहा कि हम उनका इंटरव्यू करना चाहेंगे.
वे तैयार हो गए. लेकिन ये क्या जिस तोष ( Tosh Village Journey ) की हम हल्की फुल्की कल्पना कर रहे थे उसका रास्तो तो काफी मुश्किल रास्तों से होकर जा रहा था. हल्की फुल्की का मतलब झटपट वहां पहुंचने से है. रास्ता भयंकर खराब और चढ़ाई भी. ऐसा लगा कि सरकार यहां करती क्या है. बहुत, बहुत ज़्यादा ही अफसोस हुआ दोस्तों. एक गांव जो अब शहर बन चुका है वहां के जीवन और लोगों के लिए सरकार को एक बेहतर सड़क तो बनवानी ही चाहिए. बहुत तकलीफ हो रही थी.
हम बेहद मुश्किल से वहां पहुंच रहे थे और ड्राइवर रात के अंधेरे में चुनौतीपूर्ण तरीके से ड्राईव कर रहे थे. वहां मुझे लगा कि 800 रुपये का किराया सही था. मैं नाहक ही ड्राइवरों से उलझा पड़ा था. आधे घंटे के करीब ऐसे ही जूझते रहने के बाद हमें सामने तोष ( Tosh Village Journey ) दिखाई देने लगा. रात की रोशनी में नहाया तोष ( Tosh Village Journey ) परिकथाओं की दुनिया जैसा लग रहा था.
तोष ( Tosh Village Journey ) के मुहाने पर आकर राइडर भैया ने गाड़ी रोकी. मैंने इजरायली शख्स से कहा कि क्यों न हम उन्हें अतिरिक्त 200 रुपये दे दें. शेयर करने पर ये 70 रुपये के आसपास आएगा. वह तैयार हो गए. मैंनें जेब से निकालकर ड्राइवर को कुल 700 रुपये की पेमेंट की. फिर हमने यही राशि आपस में शेयर भी कर ली.
अब मैंने पीछे मुड़कर देखा तोष का जो नजारा मेरे सामने था वो मंत्रमुग्ध कर देने वाला था. हमारे कदम बढ़ चले तोष ( Tosh Village Journey ) की तरफ.
Tosh Village Journey के इस यात्रा के ब्लॉग को यहीं विराम देते हैं. अगले ब्लॉग में पढ़िए तोष में बिताई हमारी पहली रात की कहानी…
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