Shillong Tour Blog – शिलॉन्ग की यात्रा ( Shillong Tour Blog ) का दूसरा दिन. इस दिन मैंने वार्ड्स लेक ( Ward’s Lake ), बड़ा बाजार ( Bara Bazar Shillong ), पोलो ग्राउंड ( polo Ground ), गोल्फ लिंक ( Golf Link ), सिटी टूर ( Shillong City Tour ) किया. इसी दिन मैं अपनी ही तरह सोलो ट्रैवलिंग कर रहे गौरव से भी मिला. मैं और गौरव अगले 4 दिन तक साथ साथ घूमें. इस चौथे दिन, गौरव के साथ मैं शिलॉन्ग पीक ( Shillong Peak ) के लिए भी निकला. हालांकि, Laitkor Airforce Station का गेट बंद होने की वजह से हम वहां जा नहीं सके. शाम को हम Umiam Lake भी गए. आइए इस चौथे दिन की यात्रा का ब्लॉग शुरू करते हैं…
मैं सुबह 6 बजे उठ गया था. नहा धोकर सर्दी से भरे दिन सबसे पहले मैं पार्किंग में पहुंचा. जो पार्किंग पिछली रात एकदम जैम पैक्ड दिख रही थी, सुबह वहां से गाड़ियां गायब हो चुकी थीं. मैं ये समझ नहीं पाया कि ये गाड़ियां देर रात लोगों ने निकाली या तड़के. खैर, स्कूटी निकालकर सबसे पहले मैं पुलिस बाजार के पास शिलॉन्ग बस स्टैंड के पास पहुंचा. यहां एक पेट्रोल पंप था. पहले पेट्रोल लिया.
यहां पेट्रोल भर रहे शख्स बिहार से थे. उनसे थोड़ी गपशप हुई. मैंने कुछ पूछा भी. फिर यहां से चल दिया वार्ड्स लेक ( Ward’s Lake Shillong). वार्ड्स लेक, यहां का एक बेहतरीन गार्डन है. इसमें एक लेक भी है. हालांकि, इसमें एक बार की एंट्री के लिए भी आपको टिकट/पास चाहिए होता है. मैं जिस वक्त पहुंचा था, उस वक्त टिकट काउंटर नहीं खुला था.
Shillong Tour Blog के दूसरे दिन, वार्ड्स लेक में मैं इस वजह से मैं अंदर नहीं जा सका. लेकिन शिलॉन्ग के इस वार्ड्स लेकर को मैं जितना कवर कर सका, आपको उतना वीडियो में दिखाया है. आप इसे वीडियो पर क्लिक करके देख सकते हैं. वार्ड्स लेक के बाद मैं शिलॉन्ग के पोलो ग्राउंड और गोल्फ लिंक पहुंचा.
शिलॉन्ग ( Shillong Tour Blog ) में एक बात जो मैंने महसूस की, वह ये कि लोगों का खेलने पर काफी ध्यान है. खेल यहां की जीवनशैली का अहम हिस्सा है. गांव-गांव में टूर्नामेंट और स्पोर्ट्स ग्राउंड को मैंने देखा. बहुत अच्छा लगा ये सब देखकर.
शिलॉन्ग के गोल्फ लिंक और पोलो ग्राउंड ( Shillong’s Golf Link and Polo Ground ) को देखने के बाद, मैं पहुंचा यहां के फेमस बौद्ध मंदिर पर. बौद्ध मंदिर ( Buddha Temple, Shillong ) में बहुत शांति थी. अंदर मुझे कोई नहीं मिला. केयरटेकर ने बताया कि गुरूजी अभी कहीं कार्यक्रम में गए हुए हैं, 10 बजे मिलेंगे. अभी सुबह के 9 भी नहीं बजे थे.
मैंने मंदिर को जितना कवर कर सकता था, कवर किया. अब मैं चल दिया वापस पुलिस बाजार की ओर. शिलॉन्ग में रास्ते ऐसे हैं कि गूगल मैप भी कन्फ्यूज हो जाए. मैं घूम घूमकर एक जगह से कई बार निकला. समझ ही नहीं आ रहा था.
इसी बीच मुझे सुपारी बेच रही दो महिलाएं मिली. मैं उनके पास गया और सुपारी के बारे में जानकारी ली. फिर इन्हीं से पूछकर रुक-रुककर पुलिस बाजार पहुंचा. यहां होटल हरिओम को मैंने भोजन के लिए चुना था.
होटल हरिओम में मैं नाश्ते के लिए पहुंचा. यहां मेरे बाईं ओर सामने वाली कुर्सी पर एक शख्स बैठकर नाश्ता कर रहे थे. मैं जब भी किसी ऐसे को देखता, जो मुझे टूरिस्ट लगता, तो फटाफट उससे बात करने लगता. यहां भी ऐसा ही किया.
मैंने उनसे पूछा कि आप कहां से आए हैं. पता चला कि वह भी मेरी तरह टूरिस्ट हैं और एक दिन पहले ही यहां पहुंचे हैं. बातचीत का दौर 10 मिनट तक चला. जब तक कि मैं उठा नहीं… हाथ मुंह धोकर, पेमेंट किया. अब इन शख्स, जिनका नाम गौरव था… उनसे बाय करने आया.
उन्होंने मुझसे पूछा कि आप किस साधन से हैं, मैंने बताया कि मेरे पास स्कूटी है. वह बोले- मुझे बाइक लेनी थी. मैंने कहा, क्या फर्क पड़ता है, बाइक हो या स्कूटी, साथ चलिए… मेरे प्रस्ताव पर वह थोड़ी देर सोच में डूबे रहे और फिर तैयार हो गए.
हम दोनों चल दिए शिलॉन्ग पीक की ओर… दोस्ती का ये सिलसिला शिलॉन्ग पीक से आगे भी बढ़ा. अगले ब्लॉग में आप इस सफर का किस्सा पढ़ेंगे…
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