Rohtas Travel Blog : रोहतास जिला बिहार के अड़तीस जिलों में से एक है. इसका गठन 1972 में हुआ था जब शाहाबाद जिले को भोजपुर और रोहतास में विभाजित किया गया था. सासाराम जिले का प्रशासनिक केंद्र है. रोहतास का एक लंबा और दिलचस्प इतिहास है. चीयर्स और ओरांव जिले के पठारी क्षेत्र के प्राथमिक प्रतिनिधि हैं, जो प्रागैतिहासिक काल से आदिवासियों का घर रहा है. परंपरा के अनुसार, खेरवार, रोहतास के आसपास के ढलान वाले इलाकों में सबसे पहले बसने वाले थे. परंपरा के अनुसार, सम्राट सहस्रबाहु का संबंध रोहतास के जिला मुख्यालय सासाराम से भी है.
कहा जाता है कि सहस्रबाहु ने पौराणिक ब्राह्मण रक्षक संत परशुराम के साथ एक भयानक युद्ध लड़ा था, जिसमें सहस्रबाहु की हत्या कर दी गई थी. सहस्राम का निर्माण सहस्रबाहु और परशुराम शब्दों से माना जाता है. एक अन्य परंपरा रोहतास पहाड़ी को राजा हरिश्चंद्र के पुत्र रोहिताश्व से जोड़ती है, जो एक प्रसिद्ध राजा थे जो अपनी धर्मपरायणता और ईमानदारी के लिए प्रसिद्ध थे. आज के आर्टिकल में हम आपको बताएंगे रोहतास में घूमने की 10 जगहों के बारे में…
अगर आप रोहतास में शेर शाह का उ माजर देखना चाहते है तो डेहरी के पश्चिम में लगभग 17 किमी दूर जा सकते है . यह लोगों को बहुत ही आकर्षित करता है. यहां की मजार पत्थरों से बनी हुई है. यहां पर देखेंगे तो पता चलेगा अन्दर काफी हवादार बनाया गया है.
दीवारों पर ऐसा खूबसूरती बनायीं गयी है की आप देखते ही दीवाने हो जायेंगे. दीवारों के साईट में रौशनी आने के लिए खिड़कियां बनायीं गयी है. दीवारों पर लिखे गए मेहराबों और शिलालेखों को देखकर आप फुले नहीं समायेंगे. यह मजार बहुत बड़े तालाब के बीचो बिच स्थित है. इसलिए कहा जाता है की विश्व के तीसरे आश्चर्य में इसका चयन हुआ है.
1 किमी दूर तारा चंडी की पहाड़ियां, चंदन शहीद पहाड़ियों से लगभग दुरी पर स्थित हैं. ताराचंडी मंदिर को पूजने के लिए दूर-दूर से व्यक्ति यहां आतें है. अगर आप हिन्दू है तो ताराचंडी मंदिर के दरबार में आ सकते हैं. बहुत बड़े धार्मिक स्थल बनाने की वजह से यहां लोग पूजा पाठ करने के लिए आते है. यहां के चट्टान पर प्रताप धवल का एक शिलालेख भी है जो देखने में अति सुन्दर लगता है.
धरकलंधा, एक ऐसा स्थान है जो संत दरियादास को समर्पित है. इस जगह पर एक मठ भी है. यहां पर जो भी व्यक्ति आते है उनके योगदान के लिए भी पूजते हैं. कहा जाता है की वे पहले कवी होंगे जिनको धार्मिक किताबों को लिखे जाने के बदले याद करते हैं.
सोन नदी के ठीक किनारे, 99 मीटर की ऊँचाई पर डेहरी ऑन सोने स्थित है. उस समय सभी सैनिक कोल्कता से दिल्ली जाते समय इस सोन नदी को पर करते है. इसलिए इसे देखने के लिए अलग-अलग जिलों से व्यक्ति आते रहते है. डेहरी के कुछ ही दुरी पर इन्द्रपुरी बैराज है जिसको देखने के लिए दूर-दूर से व्यक्ति आते हैं अगर आप सबसे लम्बी डैम देखना चाहते है तो इन्द्रपुरी बांध देखने के लिए आ सकते हैं.
बहुत ही खूबसूरत गाँव का नाम देव मार्कण्डेय है जिसको देखने के लिए लोग नज़रंदाज़ नहीं करते है. क्योंकि यहां भगवान् विष्णु भगवान और सूर्यदेव भगवान के बहुत सुंदर बड़ा मंदिर हैं. यहाँ पर लोगो की भीड़ बहुत ज्यादा होती है क्यूंकि लोग यहां पर प्राथना करने के लिए आते है.
सासाराम शहर में यह गुरुद्वारा स्थित है। इस स्थानों को सिख समुदाय द्वारा पूजा जाता है.अगर आप प्यार देखना चाहते है तो यहां के भाईचारे को देख सकते हैं हमारा भी धर्म यही कहता है की हमे एक दुसरे से मिलकर रहना चाहिए .
देवी दुर्गा का बहुत पवन धाम यानि की एक प्रसिद्ध मंदिर है जिसको यक्षिणी भगवती के नाम से जाना जाता है. इसी जगह के पास “शिराक भंखंडी महादेवन” भगवान् का बहुत पुराना मंदिर भी है. अगर आप जाना चाहते है तो दिनारा से 7 किलोमीटर दूर जा सकते है. यहां पर बहुत दूर- दूर से बड़ी संख्या में लोग दर्शन के लिए आते है. अगर आप नई नई जगह देखने के शौकीन है तो . भालुनी धाम के लिए यात्रा जरुर करें.
कैमूर श्रेणी पर, लगभग 40 किलोमीटर दूर डेहरी के दक्षिण में रोहतासगढ़ किला स्थित है और इसकी ऊंचाई समुन्द्र ताल से 1500 मीटर ऊंचा है.रोहितेश्वर द्वारा रोहतासगढ़ शहर की स्थापना की गयी थी.
इसके साथ यहां पर गणेश मंदिर, दीवान-ए-आम, आईना महल, जामी मस्जिद, दीवान-ए-खास, हैंगिंग हाउस हाथिया पोल, रोह्तासन मंदिर और देवी मंदिर. रोहतासगढ़ जलप्रपातों, हाथी दरवाज़ा मौजूद है.
यहां से जो झरना बहती है वह डायरेक्ट सोन नदी में मिल जाती है. इसलिए यहां की दर्शनीय चीजे टूरिस्ट को अपनी ओर आकर्षित करती है. अगर आप प्राचीन व्यू देखना चाहते है तो इस जगह पर जरुर जाएं .
सासाराम से 10 किमी दूर चेनारी क्षेत्र में शेरगढ़ किला स्थित है. इसलिए ऐसा कहा जाता है कि रोहतास पर जीत हासिल करने के बाद शेर शाह सूरी ने यह किला बनवाया था यहां पर मकबरा, इमामबाड़ा और कई मंदिर भी स्थापित है.
जो हिन्दू उन्हें चाहते थे उन्हें यह समर्पित किया गया था. इसके बारे में यह भी कहा जाता है की यह किला सबसे पहले नवाबगढ़ के नाम से जाना जाता था और यह सासाराम के मकबरे के पास स्थित है.
बिहार के रोहतास जिले में अखोरीगोला स्थित है. कहा जाता है की यहाँ बुनाई उद्योग स्थापित है अगर आप कम्बल खरीदना चाहते है तो इस जगह पर जरुर जाएं . यह भी कहा जाता है की यहां जाने के बाद आप कम्बल जरुर खरीदेंगे.
सासाराम जाने का सबसे अच्छा समय सर्दियों के महीनों में या मानसून के बाद के मौसम में होता है, जब मौसम सुहावना रहता है.
यह आज कोई बड़ी चिंता का विषय नहीं है, क्योंकि यह स्थान हवाईजहाज , रेलवे और सड़क मार्ग के माध्यम से देश के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है. सासाराम का नजदीकी हवाई अड्डा गया में स्थित है, जो यहां से 97.4 किलोमीटर की दूरी पर है, रोहतास का नजदीकी रेलवे स्टेशन साीसाराम रेलवे स्टेशन है, जो वाराणसी से 100 किमी की दूरी पर स्थित है. सार्वजनिक और निजी बसों की नियमित सेवाएँ शहर को राज्य के अन्य शहरों से जोड़ती हैं.
हवाईजहाज से रोहतास कैसे पहुंचें || how to reach Rohtas by Air
सासाराम की जगह आप पटना एयरपोर्ट से सामान्य फ्लाइट ले सकते हैं.
सासाराम – 98 किमी दूर गया हवाई अड्डा (GAY), गया, बिहार
सासाराम – 157 किमी दूर पटना हवाई अड्डा (पीएटी), पटना, बिहार
सासाराम – 120 किमी दूर वाराणसी हवाई अड्डा (वीएनएस), वाराणसी, उत्तर प्रदेश
ट्रेन से रोहतास कैसे पहुंचें || how to reach rohtas by train
सासाराम भारतीय रेलवे के ग्रैंड कॉर्ड सेक्शन (हावड़ा-गया-दिल्ली मार्ग) पर है. देश के सभी प्रमुख शहरों से नियमित ट्रेनें सासाराम जाती हैं.
प्रमुख रेलवे स्टेशन: सासाराम जंक्शन (एसएसएम), डेहरी-ऑन-सोन (डीओएस), बिक्रमगंज (एक्सबीकेजे)
बस से रोहतास कैसे पहुंचें || how to reach rohtas by bus
सासाराम से ग्रैंड ट्रंक रोड (NH-2) चलती है। नियमित बसें सासाराम को देश भर के प्रमुख शहरों से जोड़ती हैं, जिनमें पटना, आरा, बिलासपुर, वाराणसी, नई दिल्ली, कोलकाता, बोकारो, जमशेदपुर और अन्य शामिल हैं.
बस स्टेशन: मुख्य शहर में स्थित है
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