हरिद्वार के पास पतंजलि हर्बल गार्डन। शाम के 6 बजे हैं। अंधेरा होने को है। गार्डन के औषधीय पौधों, झरने, गुफा, तालाब, बर्ड हाउस और ट्री हाउस का आनंद लेने के बाद हम वहाँ की नर्सरी में थे।
Patanjali Herbal Garden : हरिद्वार के पास पतंजलि हर्बल गार्डन। शाम के 6 बजे हैं। अंधेरा होने को है। गार्डन के औषधीय पौधों, झरने, गुफा, तालाब, बर्ड हाउस और ट्री हाउस का आनंद लेने के बाद हम वहाँ की नर्सरी में थे। यहां पौधे बेहद सस्ते हैं। ज़्यादातर पौधे 10-20 रुपये में मिल जाते हैं और जैविक खाद 10 रुपये में किलो। इसलिए हमने काफी पौधे और खाद के पैकिट खरीद लिए।
नर्सरी में कुल दो आदमी थे। एक अधेड़ उम्र का दिव्यांग था और एक बुजुर्ग सज्जन। पौधे और खाद खरीदने के बाद समस्या खड़ी हुई कि इन्हें ले कैसे जाएं। बुज़ुर्ग महोदय बरामदे में पड़ा गत्ते का एक पुराना बड़ा डिब्बा ले आए। फिर खुद ही उसमें तमाम पौधे और खाली गमले करीने से रखने लगे। इस दौरान उनका दिव्यांग साथी हमारे खरीदे सामान का हिसाब-किताब लगाता रहा। जब हम पैसे देने लगे तो बुजुर्ग बोले, ‘गत्ते के डिब्बे के भी आपको 10 रुपये देने होंगे।’ हम बिफर गए, ‘गत्ते के डिब्बे के कैसे पैसे और यह डिब्बा तो पुराना है, किसी सामान का खाली किया हुआ।’ कुछ देर तक हल्की-फुल्की बहस होती रही। बुजुर्ग 10 रुपये लेने के लिए अड़े रहे। आखिर में हमने हथियार डाल दिए और डिब्बे के भी 10 रुपये दे दिए। फिर हम बोले, ‘खाद के पैकिट हम लिए चलते हैं। पौधों का यह डिब्बा हमारी गाड़ी तक रखवा दीजिए।’ कहकर हम चल दिए।
हम बाहर गेट के पास पहुंचे ही थे कि दरबान पीछे की तरफ बड़ी तेज़ी से लपका, यह कहते हुए, ‘अरे आप क्यों ले आए?’ हमने पीछे मुड़कर देखा कि बुजुर्ग वह भारी डिब्बा अपने कंधे पर उठाकर ला रहे थे। हमें शर्मिंदगी हुई कि हमारा भारी सामान बुजुर्ग उठाकर लाए हैं। जब दरबान ने हमारी गाड़ी की डिग्गी में वह भारी डिब्बा रख दिया तो हमने कहा, ‘वाह भाई, आप तो बड़े-बुज़ुर्गों का बड़ा ध्यान रखते हैं।’ दरबान बोला, ‘आपको मालूम है, यह स्वामी रामदेव जी के पिताजी हैं?’
हमें विश्वास नहीं हुआ। गाड़ी से उतरकर उन बुजुर्ग से पूछा, ‘बाबाजी, आपका नाम जान सकता हूं?’ उन्होंने कहा, ‘रामनिवास यादव।’ पूछा, ‘आप कहां से हैं?’ ‘महेंद्रगढ़, हरियाणा से।’ ‘आप स्वामी रामदेव के क्या हैं?’ ‘उनके गांव का हूं।’ बुजुर्ग से विदा लेकर गाड़ी में बैठ गया। अपने साथी से कहा, एक ही गांव से होने के कारण वह दरबान बुजुर्ग को स्वामी रामदेव का पिता बताता है।’ हमारे ड्राइवर ने कहा, ‘मैंने उन बुजुर्ग से गांव की भाषा में बात की थी। वह स्वामी रामदेव के पिता ही हैं।’ हमने गाड़ी से उतरकर दुबारा उनसे बातचीत की। कुछ देर की गपशप के बाद उन्होंने मान लिया। इस मुलाकात की यादगार के तौर पर उनके साथ सेल्फी ली और गाड़ी में बैठकर दिल्ली की तरफ चल पड़ा।
मन अब भी मानने को तैयार न था। करीब 8000 करोड़ रुपये का सालाना कारोबार करनेवाली पतंजलि आयुर्वेद कंपनी के सर्वेसर्वा का पिता इतना सरल-सहज हो सकता है, इस पर यकीं ही नहीं हो रहा था। मन में बार-बार दो सीन कौंध रहे थेः एक, पुराने-से गत्ते के डिब्बे के 10 रुपये के लिए उनका अड़ जाना, दूसरा, पौधों से भरे भारी डिब्बे को कंधे पर उठाकर हमारी गाड़ी तक छोड़ने जाना। गाड़ी में बैठा-बैठा मोबाइल में इंटरनेट पर स्वामी रामदेव के पिता को फोटो तलाशता रहा। कुछ देर की मशक्कत के बाद फोटो मिल गए। शक्ल मेल खा रही थी। पर इंटरनेट पर मिली यह जानकारी गलत भी तो हो सकती है। फिर स्वामी रामदेव के फेसबुक अकाउंट में दोनों का साथ खड़े हुए का फोटो मिल गया जिसमें उन्होंने अपने पिता को भगवान बताया था। बाद में पतंजलि के सूत्रों ने इसकी पुष्टि भी कर दी।
(5 जनवरी 2019 को वरिष्ठ पत्रकार राजेश मित्तल ने अपने फेसबुक पेज पर इस लेख को साझा किया था)
For Travel Bookings and Queries contact- GoTravelJunoon@gmail.com
Char Dham Yatra 2025 : उत्तराखंड की चार धाम यात्रा 30 अप्रैल, 2025 को गंगोत्री… Read More
आज की भागदौड़ भरी दुनिया में एकाग्रता बनाए रखना एक बड़ी चुनौती बन गई है.… Read More
Spring Season 2025 : वसंत ऋतु सबसे सुखद मौसमों में से एक है, जिसमें फूल… Read More
Dharamshala travel Blog Day 1 धर्मशाला उत्तर भारत का एक शहर है. यह हिमाचल प्रदेश… Read More
Vietnam Travel Blog : वियतनाम एक खूबसूरत देश है जो अपनी समृद्ध संस्कृति, शानदार लैंडस्केप… Read More
Trek With Friends : फरवरी दोस्तों के साथ रोमांचक सर्दियों की यात्रा पर निकलने का… Read More