Osian Village : राजस्थान में घूमने के लिए ओसियां गांव सबसे अच्छे स्थानों में से एक है. ओसियां एक ऐसी जगह मानी जाती है, जहां आराम से सैर की जा सकती है. ऊंट की सवारी जैसे ऊंट की सवारी, रातभर सफारी, और ओसियां विलेज में शिविर में भी रह सकते हैं. अगर आप घूमने का मन बना रहे हैं और आपकी योजना इस बार सुदूर रेगिस्तान की तरफ मारवाड़ में घूमने की है तो हो जाएं तैयार आज हम अपको ओसियां गांव के बारे में विस्तार से बताएंगे.
ओसियां को अगर पर्यटन कि दृष्टि से देखा जाए तो यह राजस्थान का एक अति सुंदर स्थल है. ओसियां को राजस्थान का भुवनेश्वर, 24 मंदिरो कि नगरी, मिनी सम आदि के नाम से जाना जाता हैं. ओसियां में एक तरफ पुरातत्व काल के मंदिर हैं तो दूसरी तरफ चांदी जैसे रेशमी धोरे हैं.
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यहां आने वाले पर्यटको कि संख्या में सालो साल बढ़ोतरी होती जा रही है क्योंकि यहां पर आने वाले पर्यटन यहां की मेहमान नवाजी के कायल हो जाते हैं.ओसियां में आकर अगर ओसियां के दही-वड़े नहीं खाए तो कुछ नहीं खाया.
ओसियां का प्राचीन इतिहास बताता है कि इस नगर को पूर्व में अंकेश, उरकेश, नवनेरी, मेलपुरपत्तन, आदि कई नामों से संबोधित किया गया है. कुछ विद्वानों का यह भी मानना है कि ओसवाल वैश्यों का उत्पत्ति स्थान होने के कारण यह स्थान ओसियां कहलाता है. एक किवदंती के अनुसार ओसियां पहले समय में एक समृद्ध लोगों का नगर था. जैन आचार्य श्री प्रभसूरि जी ने यहां के लोगों को सत्य अहिंसा आदि का उपदेश देकर जैन धर्म की शिक्षा दीक्षा दी थी.
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1. सच्चियाय माताजी का मंदिर
2. जैन मंदिर
3.बाबा बावड़ी
4.सुर्य मंदिर एंव अन्य छोटे मंदिर
5. रेगिस्तान में ऊंट सफारी
6. जीप में गांव सफारी
7. ग्रामीण रहन सहन का अवलोकन
8. रेगिस्तानी रात
अगर आप ओसियां घूमने निकले तो यह सभी स्थल जरूर देंखे. रेगिस्तान में ऊंट सफारी, जीप सफारी, गांवो में घुमना यह सब बहुत अद्भुत हैं. ओसियां घूमने के लिए आपको 2 दिन का समय चाहिए.
कहा जाता है कि ओसियां मे ही एक चमत्कारी देवी का मंदिर था. जहां पशुओं की बलि दी जाती थी. बहुत बडी संख्या मे देवी के भक्त जब अहिंसक हो गए, तो वहां पशुओं की बलि दी जानी कम हो गई. देवी ने प्रगट होकर अहिंसक लोगों को कष्ट देना प्रारम्भ किया. कहा जाता है कि आचार्य श्री ने देवी को यह कह कर संतुष्ट कर लिया कि उसे मांस मदिरा आदि वस्तुओं के स्थान पर मीठे व्यंजनों का भोग चढ़ाया जाएगा और देवी संतुष्ट हो गई. तभी से ओसियां के देवी उपासकों ने उसकी पूजा चावल, लापसी, पूआ, आदि से करनी शुरू कर दी.
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ओसियां से वैश्यों का जो कुल बाहर आया वह ओसवाल कहलाया. इस लिए ओसवालों की कुल देवी सच्चियाय माता का मंदिर भी यहां स्थित है. प्राचीन मारवाड़ राज्य और वर्तमान जोधपुर जिले के बहुचर्चित नगर ओसियां में प्राचीन मंदिरों के भग्नावशेष यहां की पुरातन गाथा के एकमात्र आकर्षण है. माना जाता हैं कि किसी समय यहां लगभग 108 मंदिर थे. वर्तमान में यहां आठवीं और बाहरवीं शताब्दी के बने कोई 16 हिन्दू और जैन मंदिर है. जिनमें शिव, विष्णु, सूर्य, ब्रह्मा, अर्धनारीश्वर, हरिहर, नवग्रह, दिकपाल, श्रीकृष्ण, महावीर, और देवी के अनेक रूपों की मूर्तियां दर्शन के महत्व की प्रमुख है.
हरिहर मंदिर के पास ही त्रिविक्रम मंदिर के पार्श्व भाग में एक ओर चक्र पुरूष और दूसरी ओर शंख पुरुष खडे है. जो पूरी तरह योग नारायण भाव को अभिव्यक्त करते है. ओसियां के इन मंदिरों के बाहरी भाग में श्रीकृष्ण लीला के भी कतिपय संदर्भ उत्कीर्ण है. जिनसे इस युग में कृष्ण भक्ति के महात्मय पर प्रकाश पड़ता है. अभी तक यह तय नहीं हो पाया है कि ओसियां में इस विचार धारा को कैसे बढावा मिला। यहां रामायण कालीन एक भी झलक नहीं है. जबकि गूजर और प्रतिहार तो भगवान राम के छोटे भाई के वंशज कहलाते है.
ओसियां में एक प्राचीन सूर्य मंदिर भी है. जो यहा के मंदिर समूह में सबसे अधिक आकर्षक है. इसका मुख्य प्रवेशद्वार दो ऊंचे स्तंभों से युक्त है. जो पूरी तरह पारंपरिक संरचना का आभास देता है. यह मंदिर भी पंचायतन शैली का है. जिसके चार सहायक मंदिर सालनुमा परकोटे से जुडे है. यह परकोटे नुमा घेरा यात्रियों के विश्राम हेतु उपयोगी रहता है. सूर्य मंदिर के स्तंभों की फूल पत्ती वाली बनावट देखते ही बनती है. गर्भगृह के द्वार पर दोनों ओर चतुर्वाह आकृतियां बनी है. जिनमें श्रीकृष्ण और बलराम के चित्र महत्वपूर्ण है.
इसके बाद सीधे धोंरो में आ जाए यहां पर ऊंट सफारी, धोरे पर बाइक सफारी कर सकते हैं. शाम का ठहरने के लिए होटलों में या गांव में कर सकते हैं. ये आप पर डिपेंड करता हैं. दूसरे दिन में गांव का भ्रमण रहता हैं जो आप जीप या ऊंट के साथ कर सकते हैंय जिसमें गांव के झोपड़े, खेते में काम करते किसान, बर्तन बनाता कुम्हार, दरी उधोग आदि दिखाई जाते हैं. इसके बाद आप अपने आगे के भ्रमण के लिए निकल सकते हैं. आप का यह भ्रमण 5000 से लेकर 25000 भारतीय रुपये तक में पूरा होगा.
यहां घूमने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से लेकर फरवरी का होता हैं. यहां घूमने के लिए आप जोधपुर से बीकानेर के रास्ते जोधपुर से 60 किलोमिटर पर स्थित हैं. यही से रेगिस्तान कि शुरुआत होती हैं यदि आप यहां पर सुबह के समय पहुंच जाए तो बहुत अच्छा रहेगा सुबह सुबह सबसे पहले सच्चियाय माताजी की आरती के दर्शन करके जैन मंदिर और अन्य मंदिर के साथ बाबा बावड़ी के दर्शन शाम 4:00 बजे तक आराम से हो जाएंगे. इस दौरान नाश्ता और दिन का भोजन पास स्थित भोजनालयों में आराम से कर सकते हैं.
ओसियां राजस्थान राज्य में स्थित है और जोधपुर से सड़क द्वारा पहुंचा जा सकता है. ओसियां पूरे भारत के साथ शानदार सड़क, रेल और हवाई संपर्क से जुड़ा हुआ है.
By Air
जोधपुर ओसियां का नजदीकी हवाई अड्डा है. दिल्ली, मुंबई और उदयपुर जैसे शहर हवाई मार्ग से जोधपुर से जुड़े हैं. दिल्ली (560 किमी) निकटतम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है. दुनिया भर के लगभग सभी प्रमुख शहर हवाई मार्ग से दिल्ली से जुड़े हैं.
By Train
ओसियां से 70 किमी की दूरी पर, जोधपुर नजदीकी रेलवे स्टेशन है. मुंबई, दिल्ली, जैसलमेर, गुवाहाटी, बीकानेर, जयपुर, कोटा, आदि से ट्रेनें नियमित रूप से जोधपुर के लिए चलती हैं.
By Road
नियमित बस सेवाएं ओसियां को निकटतम शहरों और कस्बों से जोड़ती हैं. निजी और सार्वजनिक बसें राजस्थान में बीकानेर, जोधपुर और जयपुर से ओसियां को जोड़ती हैं. नियमित बस सेवाएं दिल्ली से भी संचालित होती हैं.
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