ऋषिकेश में पहली बार कैंपिंग का अनुभव लेने के बाद हम बढ़ चले थे अपने अगले पड़ाव, Gadool Gram Panchayat की तरफ. ऋषिकेश में कैंपिंग से जुड़े ब्लॉग को आप इस लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं. कैंपिंग वाली जगह से निकलने से पहले ख्याल आया कि जब नीलकंठ मंदिर ( Neelkanth Mandir ) के बेहद पास में कैंपिंग कर रहे हैं तो भोले बाबा के दर्शन क्यों न करें! राइडर भाई साहब को सीधा नीलकंठ ( Neelkanth Mandir ) निकलने के लिए कहा. नीलकंठ ( Neelkanth Mandir ) जाने से जुड़ा एक संयोग हमारे साथ हमेशा से जुड़ा है. मैं और प्रीति जब भी नीलकंठ ( Neelkanth Mandir ) जाते हैं बारिश ज़रूर हो जाती है. इस बार भी ऐसा ही हुआ. पिछली बार हम आए थे तब भी बारिश हुई थी. तब बिटिया पीहू को लेकर आए थे. इस बार बेटा जय भी साथ में था.
हमारी गाड़ी को नीलकंठ मंदिर ( Neelkanth Mandir ) से तकरीबन 2 किलोमीटर पहले ही रोक दिया गया. एक अस्थायी पार्किंग थी जिसका किराया 50 रुपये था. ये भी गजब था. गाड़ी रोको और पार्किंग का किराया वसूलो. गाड़ी बेमन से हमें भी वहां लगानी पड़ी. हालांकि बाद में वापस लौटकर मैंने इस पार्किंग को लेकर पूछताछ ज़रूर की. गाड़ी लगाकर मैं और प्रीति बच्चों को लेकर नीलकंठ मंदिर की तरफ बढ़ चले थे. चलते चलते बारिश भी शुरू हो गई. दो किलोमीटर तक बिटिया पैदल ही चलती रही. बेटा छोटा था तो गोद में था. हम जगह जगह हैंडपंपों पर रुककर पानी भी पीते रहे. बारिश ने उमस बढ़ा दी थी और इसी वजह से बार बार प्यास भी लग रही थी.
नीलकंठ मंदिर ( Neelkanth Mandir ) के दर्शन का कार्यक्रम हमने डेढ़ घंटे में पूरा कर लिया. दर्शन करके हम वापस लौटे. गाड़ी में बैठकर रवाना हो गए Gadool Gram Panchayat की तरफ. हमारी गाड़ी ने गंगा नदी पर बने नीलकंठ ( Neelkanth Mandir ) रास्ते वाले पुल को पार किया. इस दिन रविवार था तो हम रास्ते के ट्रैफिक से वाकिफ भी थे और बाकी Google Map ने कसर पूरी कर दी. गूगल पर दूर से ही भारी जाम देखकर हमने समझ लिया था कि लेट तो होंगे ही.
लक्ष्मण झूले से पहले एक वाटरफॉल के लिए रास्ता है. यहां पर जाम लगा हुआ था और कोई ट्रैफिक पुलिस कॉन्सटेबल भी नहीं था. धीरे धीरे गाड़ी सरकती रही. लगभग पौने घंटे में जाकर इस जाम से निकल पाए. अब हम निकल चले थे Gadool Gram Panchayat की तरफ. रास्ता तो गजब का बन चुका है दोस्तों. कमाल है, यहां सरकार के काम देखकर बेहद खुशी हुई. Gadool Gram Panchayat के लिए जाने से पहले आखिरी मैदानी गांव रानीपोखरी पड़ता है. यहां पर एक से बढ़कर एक बेमिसाल घर दिखते हैं. जब हमें ये घर नजर आए तो राइडर भैया ने कहा कि ये तो फिल्मों के ठाकुरों वाली हवेली है. कमाल के घर हैं यहां दोस्तों.
मुझे पता था कि इस जगह के बाद कोई शॉप नहीं मिलेगी और हमें अभी भी लगभग 13 किलोमीटर आगे पहाड़ी रास्ते पर जाना है. यही सोचकर मैंने इस शॉप से एक स्नैक्स आदि खरीदकर रख लिए. अब हम एक सुनहरे रास्ते पर बढ़ चले थे. इस रास्ते पर न तो कोई घर दिखा और न लोग. ऊंचाई पर कई जगहों से हमें Dehradun का जॉली ग्रांट एयरपोर्ट ज़रूर दिखा. अद्भुत व्यू था वो भी दोस्तों. आप भी Gadool Gram Panchayat ज़रूर घूमने आएं.
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