National War Memorial: भारत की राजधानी दिल्ली अपने आप में एक अनूठा शहर है। दिल्ली में घूमने फिरने के लिए अपनी ओर लोगों को खींचने वाले कई स्थान हैं। यहां के खूबसूरत टूरिस्ट स्पॉट, रौनक भरे बाज़ार, बड़े बड़े मॉल, चटोरी गालियां और भी बहुत कुछ लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने में हमेशा सफल रहे हैं। अब वो चाहे दिल्ली के ही रहने वाले लोग हो, दूसरे राज्यों से आने वाले पर्यटक हो या फिर विदेशी सैलानी। इस शहर का जादू हर किसी को अपनी ओर बखूबी खींचता है। अगर दिल्ली के घूमने लायक स्थानों की सूची बनाई जाए तो निश्चित ही सूची लंबी होती चली जायेगी और आप थक जाएंगे लेकिन जगहों की गिनती खत्म नहीं होगी। यह शहर है ही ऐसा। लाल किला, क़ुतुब मीनार, पुराना किला जैसी कई ऐतिहासिक इमारतें जहां इस शहर के इतिहास को बयां करती हैं वहीं यहाँ के बाज़ार, पकवान यहाँ की संस्कृति को दिखाते हैं। दिल्ली देश की राजधानी होने के साथ साथ देश की विभिन्न संस्कृतियों का एक मिश्रित रूप भी है।
जहां इस शहर में इसके इतिहास की कहानी बयां करती कईं ऐतिहासिक इमारतें हैं वहीं इस शहर में देश के वीरों को समर्पित स्मारक इंडिया गेट भी है जो विश्व भर में चर्चित है। प्रथम विश्व युद्ध और तीसरे एंग्लो-अफ़ग़ान युद्ध में भारत के लगभग 80,000 वीरों ने अपना बलिदान दिया था। उन्ही वीरों को श्रद्धांजलि देने के लिये इस स्मारक को बनवाया गया था। यहीं पर स्थित अमर जवान ज्योति को उन 3,843 शहीदों को समर्पित किया गया है जो 1971 के भारत-पाक युद्ध में बांग्लादेश की आज़ादी में शहीद हुए थे। भारत की आज़ादी के बाद ऐसे कई युद्ध और अभियान हुए हैं जिनमें अनेकों वीर सैनिकों ने त्याग और बलिदान दिया है। उन वीरों की कुर्बानी को याद करते हुए और उनको श्रद्धांजलि देने के लिए इंडिया गेट के ही पास नेशनल वॉर म्यूज़ियम का निर्माण किया गत है जिसका उद्घाटन 25 फ़रवरी 2019 को भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने किया। इस स्मारक/संग्रहालय की परिकल्पना 1961 में की गई थी और 2015 में कैबिनेट ने इसके निर्माण की मंजूरी दी थी। आपको यह जान कर हैरानी होगी कि दुनियां के बाकी देशों में वॉर मेमोरियल का चलन काफ़ी पहले से था लेकिन भारत मे यह चलन काफ़ी बाद में आया और पहला ऐसा स्मारक दिल्ली में अंग्रेजों ने 1931 में बनवाया था जो इंडिया गेट के नाम से विश्व भर में जाना जाता है। देश में शहीदों की याद में अभी तक कुल 12 वॉर मेमोरियल बनाये जा चुके हैं। दिल्ली का नेशनल वॉर मेमोरियल देश का 13वां वॉर मेमोरियल है और यह अभी तक का देश का सबसे बड़ा वॉर मेमोरियल है।
लगभग 40 एकड़ में फैला यह स्मारक करीब 176 करोड़ की लागत से बना है। यह पूरा स्मारक बनाने में एक साल का समय लगा। इस संग्रहालय में एक साथ करीब करीब 250 लोग आ सकते हैं। यहाँ पर 16 ऑनर वॉल बनायी गयी हैं जिन पर 25,942 वीर योद्धाओं का ज़िक्र किया गया है। इस स्मारक में थल, जल और वायु सेना के सभी शहीदों के नाम एक साथ अंकित किये गए हैं। यह स्मारक 4 चक्र (भाग) में विभाजित किया गया है।
1.अमर चक्र: संग्रहालय में सबसे अंदर की ओर अमर चक्र बनाया गया है। इसी चक्र में स्मारक चक्र है जहाँ अमर जवान ज्योति स्थापित की गई है। यह ज्योति जवानों की याद में हमेशा जलती रहेगी।
2.वीरता चक्र: दूसरा चक्र है वीरता चक्र। इसमें भारत के चार युद्धों का उल्लेख किया गया है।
3.त्याग चक्र: इस चक्र में करीब 26 हज़ार शहीद सैनिकों के नाम अंकित किये गए हैं।
4. सुरक्षा चक्र: सबसे आखरी चक्र है सुरक्षा चक्र। इस चक्र में 700 पेड़ लगाए गए हैं जो भारत की सुरक्षा में तैनात सैनिकों को दर्शातें है।
संग्रहालय में शहीदों के नाम के साथ उनके जन्म से लेकर शहादत तक का ज़िक्र किया गया है। सबके नाम ईंटों पर उभरे गए हैं। यहां एक ऐसी गैलरी भी है जहाँ सैनिकों के पराक्रम और बहादुरी को दीवारों पर दर्शाया गया है। यहां वीर जवानों के नाम, पद और रेजिमेंट ग्रेनाइट पर भी उकेरे गए हैं। इन वीर जवानों ने 1947, 1965, 1971 और 1999 में भारत-पाकिस्तान युद्ध, 1962 के भारत-चीन युद्ध और श्रीलंका में शान्ति स्थापित करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था। जिन सैनिकों को विजय चक्र और परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया है उनकी मूर्तियां भी यहा लगाई गई हैं।
इस स्मारक/संग्रहालय में हर तरफ़ आपको देश के जवानों के पराक्रम, बलिदान और देश प्रेम की गाथाएं जानने को मिलेगी। भारत के गौरवशाली इतिहास में स्वतंत्रता आंदोलन में अपना योगदान देने वाले अनेकों स्वतंत्रता सेनानियों की गाथायें तो हमने बहुत सुनी हैं। बहुत जगह उनकी मूर्तियां भी देखी हैं। लेकिन वो जो वीर भारत की सरहद पर हमेशा पहरेदारी करते हैं, जो अपने प्राण नियोछावर कर देश की सुरक्षा में योगदान देते हैं, उन वीरों के बारे में भी देशवासियों को पता होना चाहिए। उन्हीं वीरों को यह संग्रहालय और स्मारक समर्पित है। यह संग्रहालय हमेशा भारतवासियों को यह याद दिलाता रहेगा कि इस मिट्टी ने कितने पराक्रमी सैनिकों को जन्मा है। इस स्मारक को ऐसा बनाया गया है कि इसकी संरचना के साथ कोई छेड़ छाड़ न की जा सके।
यह स्मारक आम लोगों के लिए सातों दिन खुला रहेगा। यहाँ आने के लिए कोई एंट्री फी नहीं है। आप निःशुल्क यहाँ संग्रहालय को देख सकते हैं। यहाँ पर कुछ और ख़ास भी है। शाम के वक़्त आप यह रिट्रीट सेरेमनी भी देख सकते हैं। रविवार के दिन खास तौर से आपको चेंज ऑफ़ गॉर्ड सेरेमनी भी देखने को मिलेगी। यह स्मारक नवंबर से लेकर मार्च के महीने तक सुबह 9 बजे से लेकर शाम के 6.30 बजे तक खुला रहेगा और अप्रैल से अक्टूबर के महीने तक यह स्मारक सुबह 9 बजे से शाम 7.30 बजे तक खुला रहेगा। इस तरह के वॉर मेमोरियल देश के लोगों को हमेशा वीर शहीद सैनिकों के बलिदान को याद दिलाते रहेंगे और इतिहास के पन्नों में उन वीरों का नाम हमेशा दर्ज रहेगा।
तो जब दिल्ली की बाक़ी जगहों को आप अपनी लिस्ट में शामिल करें तो इस मेमोरियल को बिल्कुल न भूले। इस मेमोरियल को सभी दिल्ली वासी और दिल्ली आने वाले हर एक पर्यटक को देखना चाहिए। निश्चित ही इस जगह आकर भारत की सुरक्षा में दिन रात हर तरह के मौसम में तैनात वीर सैनिकों की शक्ति का एहसास होगा।
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