Travel Blog

Morena Tour Blog – मुरैना के लोगों से रास्ता पूछा था, वे मंज़िल तक छोड़कर आ गए!

मुरैना के लोगों से रास्ता पूछा था, वे मंज़िल तक छोड़कर आ गए! जी हां कुछ ऐसा ही होता रहा इस पूरे Morena Tour में मेरे साथ. वर्ना अकेला निकला शख्स कहां बीहड़ों में सफऱ कर पाता. इस ब्लॉग में आप Morena Tour के मेरे ब्लॉग के बारे में पढ़ेंगे, जिसमें मैंने पान सिंह तोमर के गांव तक पहुंचने की यात्रा का ज़िक्र किया है.

मुरैना यात्रा ( Morena Tour ) का दूसरा दिन. सुबह 8:15 बजे तक मैं एकदम तैयार हो चुका था. पावर बैंक चार्ज, जिस मोबाइल से शूट करना था, वह भी फुल चार्ज, जेब में कुछ छुट्टे रुपये, बैग में कुछ फ्रूट्स, बिस्किट रखकर. मुरैना में स्टेशन के नजदीक वाली धर्मशाला से ही मैंने परिचित अनिल जी को कॉल कर दिया था. अनिल जी, यानि अपने अनिल सिंह तोमर जी. मुरैना के कर्मठ पत्रकारों में शामिल हैं. फोन पर उन्होंने कहा कि 10 मिनट में वे मुझे वहीं आकर मिल लेंगे. मैं नीचे उतर आया. वे भी इतने ही वक्त में वहां पहुंच गए. उनके आने पर मैं इस बात को लेकर पुख्ता हो चुका था कि अब मुझसे मुरैना ( Morena Tour ) की कोई भी बेहतरीन जगह छूटने वाली नहीं है.

अनिल जी ने मुझे बताया कि सबसे पहले मैं ककनमठ ( Kakanmath Mandir Sihoniya Morena ) जाऊं. वैसे तो लोग कहते हैं कि इस मंदिर को एक रात में भूतों ने बनवाया था लेकिन असल में तोमर काल का है ये मंदिर. यह बिना किसी पक्के जोड़ के बनाया गया है. शिलाओं को एक के ऊपर एक ऐसे रखा गया है कि सदियां बीत जाने पर भी वे मज़बूती से टिकी हुई हैं. बहरहाल, आगे उन्होंने कहा कि मैं वहां से जैन मंदिर आ जाऊं. और फिर कुतवार. कुतवार पांडवों की ननिहाल है और यहीं कुंती को सूर्य देव के दर्शन हुए थे. तत्पश्चात कर्ण का जन्म हुआ. सामाजिक लोक निंदा के डर से कुंती ने कर्ण को यहीं बह रही आसन नदी में बहा दिया था.

अनिल जी ने आगे कहा कि कुतवार से ( Morena Tour के लिए ) मैं मितावली आ जाऊं, जहां चौंसठ योगिनी का मंदिर है और फिर बटेश्वरा, शनिचरा महादेव होते हुए करह आश्रम. हां, चलते चलते मैंने उनसे पान सिंह तोमर के गांव के बारे में भी पूछ लिया. वे बोले कि उसके लिए आपको सिंहोनिया से कुछ किलोमीटर आगे जाना होगा. पीपरी में उतरकर आप भिड़ौसा पहुंच जाएंगे. भिड़ौसा पान सिंह तोमर के गांव का नाम है. ये सुनकर मेरी इस अजूबी लिस्ट में एक और नायाब स्थल जुड़ गया. अब ये सब कब और कैसे कवर होने थे, ये सब नियति के हवाले ही था. खैर Morena Tour मुझे कई खजानों से भरा हुआ नज़र आने लगा था.

अनिल जी की जानकारी सुनकर मैं समझ चुका था कि यह सब स्थल Morena Tour पर एक दिन में तो कतई कवर नहीं हो पाएंगे, वह भी मध्य प्रदेश की परिवहन व्यवस्था के साथ. लेकिन मैंने हिम्मत टाइट कर ली थी. सोच लिया था कि अगर कुछ अटका भी तो अपने पास चार दिन का वक्त और शेष है. रुक जाएंगे. अनिल जी को विदा कहकर मैं मुरैना स्टेशन को पार करने के लिए आगे बढ़ा. पटरियां पार करते ही सब्ज़ी और फ़लों की मार्केट आ गई. यहां पता किया तो मालूम हुआ कि बस कुछ दूर आगे पीपल के पेड़ के नीचे से कुछ ही देर में निकलने वाली है. बस और पीपल का पेड़ दोनों ही दिखाई दे रहे थे. मैं भागा. बस खड़ी मिल गई.

नीचे कुछ स्थानीय लोग खड़े थे जिन्हें अपने अपने गंतव्य की ओर जाना था. मैंने उन सभी से पूछा कि क्या बस सिंहोनिया जाएगी? सिंहोनिया ही वह जगह है जहां आपको ककनमठ और जैन मंदिर के लिए पहले पहुंचना होता है. सबने बताया कि हां जाएगी. फिर मैंने उनके सामने अपनी लिस्ट खोल दी. वह चौंक गए. बोले एक दिन में तो कवर हो नहीं पाएगा ये सब, आप गाड़ी कर लो. गाड़ी वाले भी बगल में ही थे, वे बोले 2500 किराया लगेगा. अब मैंने सोचा कि जल्दबाज़ी से कुछ फ़ायदा नहीं, पहले देख तो लें, हकीकत क्या है. ज़रूरत महसूस हुई तो अगले दिन गाड़ी करके घूम लेंगे.

चर्चा के लंबे दौर के बाद, मैं बस में बैठ गया. कुछ ही देर में बस चल पड़ी. मुरैना के दौरे ( Morena Tour ) से पहले मैंने भिंड-मुरैना के चंबल वाले इस इलाके को लेकर काफी कुछ पढ़ा सुना था. हालांकि हकीकत इससे एकदम उलट दिखाई दी. मुझे बसों में महिलाएं स्वच्छंद यात्रा करती दिखाई दीं. और तो और, मैं जो कुछ लोगों से पूछता, वे मुझे पूरी सटीक जानकारी दे रहे थे. सिंहोनिया में मैंने लोगों से पूछा कि पीपरी कितनी दूर है, एक लड़के ने मुझे बताया कि यहां से कुछ ही किलोमीटर है. शायद उसने 15 कहा था. जब पीपरी आया तो न सिर्फ उन्होंने ड्राइवर से कहकर बस रुकवाई बल्कि गांव की ओर जाते रास्ते पर भी कुछ दूर मेरे साथ गए. यह होती है आत्मीयता और अपनापन और इसी ने मुझमें इस जगह के लोगों के प्रति सम्मान का भाव जगा दिया.

हां, एक बात रह गई. बस में मैंने जब भी किसी से पूछा कि मुझे पान सिंह तोमर के गांव जाना है, कैसे जाऊं, सब मुझे हैरानी भरी नज़र से देखते. कोई कहता- रिश्तेदारी होगी, कोई कहता- बड़े दिनों बाद जा रहे हो क्या वहां? मुझे यहीं अहसास हो गया था कि कोई वहां जाता नहीं है. अनिल जी से मैंने पूछा भी था कि वहां कोई डर जैसा माहौल तो नहीं है? उन्होंने कहा था कि नहीं नहीं, बेधड़क जाइए. अगर आपको लगे तो थाने जाकर अपना परिचय बता देना. कोई कॉन्स्टेबल आपको लेकर वहां तक चला जाएगा. अब ये थाना और पुलिस तो मेरे बस की थी नहीं इसलिए अकेले ही जाने का फैसला कर लिया था.

पान सिंह तोमर के गांव भिड़ौसा के लिए मेरा पैदल सफर शुरू हो चुका था. ये लगभग 3 किलोमीटर से ज़्यादा का रास्ता था. एक खेतिहर शख्स आते दिखे. मिट्टी लगी थी कपड़ों पर और यह बता रही थी कि वह खेत में कहीं काम कर रहे हैं. मैंने उनसे पूछा तो साथ साथ चलने लगे मेरे. बोले- यहां कैसे आ गए. रुको मैं कोई गाड़ी रुकवाता हूं. इतने में एक दूध की गाड़ी आती दिखी. उन्होंने उसे रुकवाकर कहा- कि ये बाहर से आए हैं, भिड़ौसा के कच्चे रास्ते तक छोड़ दो. गाड़ी वाले ने भी तुरंत ही दरवाज़ा खोल दिया.

अब तक स्थानीय भाषा से मेरा सामना हो रहा था. वही जिसे फिल्म पान सिंह तोमर में दिखाया गया है. लेकिन अब इस गाड़ी में पहली बार मुरैना में मैं हिन्दी का मूल स्वरूप सुन रहा था, बॉलीवुड गानों के रूप में. कमाल है दोस्तों. भारत में कहीं जाओ ये संगीत आपको हर जगह सुनाई देता है और यही देश को जोड़कर भी रखता है. वहां मुझे 90 के दशक वाले गाने सुनाई दिए. बॉलीवुड को सलाम है इसके लिए.

अब गाड़ी ने मुझे कच्चे रास्ते पर छोड़ दिया. यहीं मेरे साथ वह शख्स भी उतरे जो इस रास्ते की शुरुआत में मुझे मिले थे. उन्होंने मुझे कच्चे रास्ते की जानकारी दी. मैं उसी पर बढ़ने लगा. खेत में काम कर रही महिलाएं, लड़कियां, पुरुष सब मुझे हैरानी से देख रहे थे. ये कुछ कुछ वैसी फीलिंग थी जैसी बॉलीवुड या हॉलीवुड की किसी फिल्म के सीन की याद दिला रही थी. जब किसी सुनसान इलाके में पहली बार कोई अनजान शख्स आता है तो नज़रें कैसे उसे देखती हैं. हा हा हा. खैर, मैं आगे बढ़ता रहा. अब कुछ ही दूरी पर एक और शख्स मिल गए. ये कोई 45 साल के रहे होंगे. इन्हें आप वीडियो में भी देख सकते हैं. मैं इनके साथ आगे बढ़ने लगा. परिचय देने पर वे मुझे उस खेत पर ले गए जिसे लेकर पान सिंह तोमर की पहली बार लड़ाई हुई थी. इस खेत को भी आप वीडियो में देख सकेंगे.

वे रास्ते पर एक ट्रैक्टर का इंतज़ार कर रहे थे जो पशुओं का चारा लेकर आ रहा था. हम खेत में खड़े ही थे कि पीछे से ट्रैक्टर की आवाज़ आने लगी. वे दौड़े दौड़े गए और ट्रॉली के ऊपर रखे चारे पर बैठ गए. मुझे भी बैठने को कहा. कमाल का सफर एक और दौर दिखाने लगा. ट्रैक्टर पर लोगों से बातचीत की. अब वे जगह जगह ट्रैक्टर रोकते और चारों के गट्ठर दो दो के टुकड़ों में उस घर पर उतार देते. 3-4 जगह रुकने के बाद ट्रैक्टर गांव में अपनी मंज़िल पर आ चुका था.

वैसे तो कहावत है कि चंबल का पानी नहीं पीना चाहिए, यह आपको उग्र कर देता है. लेकिन मैं ये सब मानता नहीं हूं. सूखे गले को देखकर एक ग्रामीण ने कहा कि पहले पानी पी ल्यो फिर तुम्हें ये (एक शख्स की ओर इशारा करके) शख्स पान सिंह तोमर के घर ले जाएंगे. इनका घर बगल ही है. जिनके घर के आगे ट्रैक्टर रुका था, वे बोले- फ्रिज का पानी लेंगे न? मैंने कहा कि नही नहीं- नॉर्मल एकदम. वे गए और नॉर्मल पानी ले आए. पानी पीकर थोड़ा सुस्ताने के बाद मैं चल पड़ा पान सिंह तोमर के घर की ओर. साथ में वे शख्स भी थे जिनका घर वहीं बगल में ही था. उनके सिर पर भी पशुओं के चारे का दो भारी गट्ठर था.

आगे के ब्लॉग में पढ़िए पान सिंह तोमर के गांव की यात्रा का अध्याय. गांव में कैसा माहौल था, लोगों की सोच कैसी थी, पान सिंह तोमर का घर आज कैसा है, ये सब बातें मैं आपको अगले ब्लॉग में बताउंगा. अपना ध्यान रखिएगा, शुक्रिया.

Recent Posts

क्या शाम होते ही आपको बेचैनी होने लगती है? यह सनसेट एंग्जायटी का लक्षण हो सकता है

क्या आप भी शाम ढलते ही नर्वस, बेचैन और बेचैन महसूस करते हैं? एक अनजाना… Read More

1 day ago

Amrit Udyan Open : अमृत उद्यान आम जनता के लिए खुला, जानें समय और ऑनलाइन कैसे करें

Amrit Udyan Open : राष्ट्रपति भवन में स्थित प्रसिद्ध अमृत उद्यान (जिसे पहले मुगल गार्डन… Read More

2 days ago

Pushkar Full Travel Guide : पुष्कर आएं तो जरूर करें यह 18 चीजें, झूम उठेंगे

Pushkar Full Travel Guide - राजस्थान के अजमेर में एक सांस्कृतिक रूप से समृद्ध शहर-पुष्कर… Read More

5 days ago

Artificial Jewellery Vastu Tips : आर्टिफिशियल ज्वैलरी रखते समय रखें इन बातों का ध्यान

Artificial Jewellery Vastu Tips : आजकल आर्टिफिशियल ज्वैलरी का चलन काफी बढ़ गया है.  यह… Read More

6 days ago

Prayagraj Travel Blog : प्रयागराज में घूमने की ये जगहे हैं बहुत फेमस

Prayagraj Travel Blog :  क्या आप प्रयागराज में दुनिया के सबसे बड़े तीर्थयात्रियों के जमावड़े,… Read More

1 week ago

10 Best Hill Stations In India : भारत के 10 बेस्ट हिल स्टेशन जिन्हें आपको अपनी लाइफ में एक बार जरूर देखना चाहिए

10 Best Hill Stations In India : भारत, विविध लैंडस्कैप का देश, ढेर सारे शानदार… Read More

2 weeks ago