Mawjymbuin Caves in Meghalaya : मेघालय में मॉसिनराम (Mawsynram in Meghalaya) वह जगह है जहां दुनिया में सबसे ज्यादा बारिश होती है. मॉसिनराम में मावजुंबिन केव्स (Mawjymbuin Caves) है. इस सेव में शिवलिंग के आकार की एक संरचना है जो आपको जम्मू-कश्मीर के अमरनाथ शिवलिंग (Jammu-Kashmir Amarnath Shivlinga) की याद दिलाती है. आइए जानते हैं इस शिवलिंग के बारे में और चलते हैं मॉसिनराम की यात्रा (Mawsynram Tour) पर…
मेघालय की यात्रा (Meghalaya Tour) में अगर चेरापूंजी (Cherrapunji) और मॉसिनराम (Mawsynram) का जिक्र न हो, सफर अधूरा रह जाएगा. मेघालय में अपनी यात्रा के दौरान मैंने भी इन दोनों जगहों का दौरा किया. चेरापूंजी कभी सबसे ज्यादा बारिश वाला क्षेत्र (Most Rainiest Place in World- Cherrapunji) था. हालांकि यहां आकर मुझे पता चला कि मॉसिनराम (Most Rainiest Place in World- Mawsynram) ने अब चेरापूंजी को पीछे छोड़ दिया है.
ये बात मुझे गुवाहाटी से शिलॉन्ग के रास्ते (Guwahati to Shillong Journey) में मिले गोरखा रेजिमेंट के पूर्व सैनिकों ने बताई थी. इन सैनिकों ने ये भी बताया था कि मॉसिनराम में ही एक शिवलिंग (Shivling in Mawsynram) है जिसका अपने आप जलाभिषेक होता रहता है.
इन सैनिकों ने ही मुझसे कहा था कि मॉसिनराम जरूर जाऊं. अब मैं भला इस अवसर को कैसे टालता? मेघालय पहुंचने के बाद यात्रा के तीसरे दिन मैं चेरापूंजी गया था और सेकेंड लास्ट डे मौसिनराम…
मौसिनराम की यात्रा मैंने अकेले की थी जबकि पूरे सफर में ज्यादातर मैं गौरव के साथ ही हर जगह गया था. इसमें चेरापूंजी, नॉन्गरिअट गांव (Nongriat Village), मावलिनान्ग गांव (Mawlynnong Village), क्रांगसूरी वाटरफॉल (Krang Shuri Falls) आदि थे.
खैर, अब बात करते हैं मॉसिनराम की… मॉसिनराम जाने के पहले मैं अंजली पेट्रोल पंप (Anjali Pump Shillong) के पास बने टैक्सी स्डैंड गया. मुझे बताया गया था वहां से शेयर्ड टैक्सी मिलती है. वहां से मुझे न टैक्सी मिली और न ही कोई जानकारी.
अंजली टैक्सी स्टैंड पर अजीब सा रश था. समझ ही नहीं आया कि लोग क्या कर रहे हैं. भीड़ भाड़ से भागा और सीधा आ गया पुलिस बाजार. पुलिस बाजार (Police Bazaar Shillong) के पास क्विंटन रोड (Quinton Road Shillong) पर ही मेरा होटल था.
बारिश शुरू हो गई थी. शेयर्ड टैक्सी ने मुझे पुलिस बाजार छोड़ा. मैं बारिश में भीगने लगा था. अब मुझे जल्द ही फैसला लेना था ताकि मैं जल्दी मॉसिनराम पहुंच सकता.
सर्दी भी थी और बारिश भी. पहली बार मैं मेघालय की बारिश (Meghhalaya Rain) का आनंद ले रहा था. पुलिस बाजार पर ही फटाफट मैंने एक टैक्सी बुक की. कुल 2 हजार रुपये में मैंने ये टैक्सी बुक की. टैक्सी मुझे मॉसिनराम छोड़ती और वहां से लेकर भी आती. अहम ये था कि दिन के 1 बज चुके थे. मुझे शाम होने से पहले वापस भी लौटना था.
टैक्सी बुक करके जैसे ही मैं उसमें बैठा, बारिश और भी तेज हो गई. जैसे ही शिलॉन्ग से आगे बढ़ा तो कमाल का दृश्य आंखों के सामने आने लगा. रास्ते पर ओले की बारिश हो रही थी. पूरा रास्ता सफेद हो चुका था.
मेरे आनंद की कोई सीमा नहीं थी. रास्ते में एक जगह रुककर मैंने चाय पी. टैक्सी वाले भैया भी कमाल के थे. हालांकि उन्हें मुझे वापस लेकर आने की जल्दी ज्यादा थी. मैं समझ सकता था लेकिन मेरे लिए यह लाइफटाइम वाली बात थी. अब न जाने कब मेघालय आना होता.
उन्होंने मुझसे प्रमोशन के लिए आग्रह किया, सो मैंने वीडियो में उन्हें शामिल कर लिया. मॉसिनराम पहुंचने से पहले ही बादलों की घटा दिखाई देने लगी. दूर तक फैली घाटियां और उमड़ते घुमड़ते बादल… हर पल को मैं कैमरे में रिकॉर्ड कर लेना चाहता था.
मॉसिनराम एक गांव का नाम है लेकिन जो टूरिस्ट यहां आते हैं, वे शिवलिंग को देखने ही आते हैं. शिवलिंग वाली जगह को मावजुंबिन केव्स (Mawjymbuin Caves) कहते हैं. गाड़ी जहां आपको छोड़ती है, वहां से आपको सीढ़ियां उतरकर थोड़ा नीचे आना होता है. यहां की टिकट 20 रुपये प्रति व्यक्ति है और वाहन बाहर खड़ा होने का शुल्क भी 20 रुपये है. गाड़ी खड़ी होने के लिए दूर तक जगह ही जगह थी लेकिन टैक्सी ड्राइवर नजदीक ही खड़ी करते हैं.
जब मैं नीचे आया तो देखा कि खासी लोग शिवलिंग पर चढ़कर धमाल मचा रहे थे. हर कोई नशे में था. ये छात्रों का ग्रुप था जिसमें एक टीचर भी थे. सबने जूते भी पहने हुए थे और शिवलिंग पर चढ़ चढ़कर उस धारा को पीने की कोशिश कर रहे थे जो प्राकृतिक रूप से शिवलिंग के ऊपर गिर रही थी.
ये देखकर मैंने उनसे कहा कि आप लोग जूते न उतार सकें तो ठीक है लेकिन शिवलिंग के ऊपर मत चढ़िए. सबने हद्द शराब पी हुई थी. कुछ बच्चे मुझसे उलझने को आए… तभी उनके शिक्षक ने उन्हें रोका. अगले ही पल सब कुछ ज्यादा ही भावुकता दिखाने लगे और मुझसे गले लग लगकर फोटो खिंचवाने लगे.
मैं समझ चुका था कि ये सब शराब का असर है. हालांकि, एक बात ये भी थी कि मुझे उनसे सख्ती से शायद नहीं कहना चाहिए था. ऐसा इसलिए क्योंकि मैं अकेला था. अनहोनी भी हो सकती थी.
थोड़ी ही देर में इन लोगों की संख्या कम होने लगी. वे इक्का दुक्का ही बचे. मैं कुछ देर वहां रुका… रिकॉर्डिंग की. इसके बाद मैं वापस लौट आया. रास्ते में वापसी के दौरान एक सूखा झरना दिखाई दिया. यहां कुछ देर रुके. दूर तक मॉसिनराम का मैदानी इलाका देखते रहा… फिर चल पड़ा वापस पुलिस बाजार की ओर…
रास्ते में एक खास फल भी खाया. वह सफेद रंग का था और साथ में एक मसाले की पुड़िया भी मिली थी. इस मसाले को उसमें लगाकर खाना होता है. ये खाकर चले तो पुलिस बाजार पहुंचते पहुंचते रात हो गई. गौरव सुबह जा चुके थे और अब शिलॉन्ग में मैं अकेला था.
अगले दिन मुझे गुवाहाटी के लिए निकलना था…
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