5 साल बिना किसी रुकावट के यात्रा करना, अडवेंचर वाली बस यात्रा, ट्रेन के सफर का आनंद लेना, गुमनाम गांव में घूमना और कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक सैंकड़ों लोगों के घरों में रहने के बाद हर किसी का मन हो जाएगा कि वो किसी पहाड़ पर अपना छोटा सा कॉटेज बनाकर रहे।
Old Manali Blog : 5 साल बिना किसी रुकावट के यात्रा करना, अडवेंचर वाली बस यात्रा, ट्रेन के सफर का आनंद लेना, गुमनाम गांव में घूमना और कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक सैंकड़ों लोगों के घरों में रहने के बाद हर किसी का मन हो जाएगा कि वो किसी पहाड़ पर अपना छोटा सा कॉटेज बनाकर रहे। इससे आपके मन में 2 राय होने लगती है कि या तो अपने घर पर रहे या फिर इस खूबसूरत सी दुनिया को घूमने के लिए निकल पड़े।
ये सब कुछ 5 साल पहले शुरु हुआ था जब एक कॉर्पोरेट सेक्टर में काम करने वाली लड़की ने अपनी मजेदार जॉब वाली दुनिया को छोड़ कर पहाड़ों में जिंदगी बिताने की सोच ली थी। एक ट्रैवलर के रूप में ऐसा कम ही देखने को मिलता है। पहली बार वो मनाली की वादियों में घूमने के लिए गई थी और ओल्ड मनाली की हिप्पी वाइब, रंगीन और शांत गलियों से बहता हुआ संगीत, नेचर पार्क में शांत सैर और बेतरतीब प्रेमिकाओं से उन्हें घर जैसा महसूस होता था। उन्होंने बेशक मनाली को तो छोड़ दिया था, लेकिन मनाली उन्हें कभी नहीं छोड़ पाया।
वहीं वो इस बात से भी वाकिफ थी कि कोई भी ट्रेवलर वहां से वापिस नहीं आना चाहेगा। कॉर्पोरेट लाइफ की भगदड़ के 5 सालों में हमेशा यही ख्याल उनके दिमाग में चलता रहता था कि क्या किया जाए, कैसे पहाड़ों पर पर्मानेंट शिफ्ट हुआ जाए। कैसे हर तरह की चीजों का बंदोबस्त किया जाए जैसे कि रेंट, काम और पैसों का एक फ्लो बना रहे, अपनी पूरी जिंदगी को पहाड़ों की जिंदगी के हिसाब से ढालना और भी बहुत कुछ था जो सवाल उनके मन में उठते रहे।
ये सुनने में एक बहुत ही अच्छा आइडिया लगता है कि पहाड़ों की चोटी पर एक छोटा सा वुडन घर बनाएंगे। वहां पर सारी जिंदगी गुजारेंगे और शांत सुकून से रहेंगे। लेकिन क्या ये सिर्फ एक सपनों की कहानी है या फिर इसकी हकीकत मुमकिन है। आज हम अपने इस आर्टिकल में आपको यही बताने वाले हैं कि कैसे ये फैक्ट्स के रूप में मुमकिन है और एक घुमक्कड़ लड़की ने ये कर के दिखाया।
घर खोजना
शहर में रहने वाले लोगों के लिए घर खोजना काफी ज्यादा आसान होता है, इंटरनेट है, पॉर्टल है, एप्पस है और जब इनमें से कुछ भी काम ना करें तो ब्रोकर तो है ही फिर। लेकिन गांव के अंदर ऐसा कुछ भी काम नहीं करता है। आपके सपनों का मकान अब किस्मत पर निर्भर करने लगता है। तो इसलिए शिफ्ट होने से पहले अपने कुछ लोकल दोस्तों को इस काम पर लगा दें कि वो वहां पर कुछ महीनों पहले से ही एक घर देखना शुरु कर दें। इससे ना तो सिर्फ आपको एक अच्छी जगह मिलने में आसानी होगी बल्कि रेंट की तुलना करने का भी वक्त मिल जाएगा।
सामान लाना
सब कुछ बहुत अच्छा लग रहा होता है आप घर की बाल्कनी में खड़े हो कर नजारों की तारीफ कर रहे हैं, लेकिन तभी आपको अचानक से ध्यान आता है कि आपके घर की ग्रोसरी खत्म हो गई है। लेकिन आप जिस जगह पर अब है वहां पर सीधा किसी ऐप्प के जरिये ऑर्डर कर के आपके घर पर सामान नहीं आएगा। आपको सब कुछ लेने के लिए खुद ही दुकान पर जाना होगा। कभी भारी बर्फ के बीच में गैस का सिलेंडर उठा कर लाना पड़ सकता है जैसा कि इस लड़की को करना पड़ा था। दरअसल इनकी गैस खत्म हो गई थी, सड़कों पर बर्फ जमी हुई थी और गाड़ियां चल नहीं पा रही थी, तो ऐसे में इन्हें खुद बाहर जाकर गैस भरवानी पड़ी और इतना ही नहीं कई किलोमीटर तक पैदल सिलेंडर को कंधे पर रख कर लाना पड़ा था। शहरों की जिंदगी की तरह ये इतनी आसान नहीं होती है। बर्फबारी के दिनों में होने वाली मुश्किलें आपको सता सकती है।
कई बार तो ऐसा वक्त भी आता है कि आप सुबह-सुबह उठते हैं, बाहर देखते हैं तो सूरज की रौशनी नहीं है। वॉशरूम गए तो पानी नहीं है। लाइट चालू की और बिजली नहीं है। ऐसे ही कई दिन बीतते गए और एक वक्त ऐसा भी आता है कि जब नल से बात करना शुरु कर देंगे और पानी की गुहार लगाने लगेंगे। लेकिन अगर आप इसमें भी मजा लेना चाहें तो वो भी मुमकिन है। दरअसल ऐसे वक्त में पूरा गांव इकट्ठा हो जाता है। गांव की गपशप के साथ कुएं से पानी खींचने लगते हैं। कोई अपने पति की शिकायत करता है तो कोई तेंदुए के किस्से सुनाता है।
पूरे गांव की इस तरह की बॉन्डिंग और हर दिन के नए किस्से सुनने को कम ही मिलते हैं। खासकर के आज के वक्त में जब हर कोई अपने फोन में पूरी तरह से व्यस्त है। कई बार वहां पर आपको नेटवर्क की परेशानी उठआनी पड़ सकती है। वहां के लोग आपस में एक दूसरे से इतने मिलनसार थे कि घंटों घंटों एक दूसरे से बातें बनाते रहते थे। लोगों के घरों में डेरा सा लग जाता था। कोई गाने गाता है, कोई किस्से सुनाता है। हर दिन एक उत्सव की तरह होता है। आपको इन जगहों पर जिंदगी गुजार के असली दोस्ती के मायने समझ आने लगते हैं।
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