Kurukshetra Tour Blog Hindi
Kurukshetra Tour Blog Hindi : कुरुक्षेत्र, हरियाणा प्रदेश में स्थित है. इसे धर्मक्षेत्र और भगवद गीता की भूमि के रूप में भी जाना जाता है. Kurukshetra के उत्तर-पश्चिम में Patiala, Ludhiana, Jalandhar, Amritsar, Ambala in the North, Chandigarh, Shimla, Yamuna Nagar in the North-East, Dehradun, Pehowa, Cheeka, Mansa in the West, Saharanpur, Roorkee in the East, Kaithal, Jind, Hisar in the South-West, Karnal, Panipat, Sonipat, New Delhi in the South and Shamli, Muzaffarnagar, Meerut in the South-East जैसे शहर स्थित हैं.
Kurukshetra दिल्ली अंबाला रेलवे लाइन पर है, ये दिल्ली से लगभग 160 किलोमीटर उत्तर, करनाल से 34 किलोमीटर उत्तर और अंबाला से 40 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है। करनाल और कैथल जिलों के साथ कुरुक्षेत्र को ‘राइस बाउल ऑफ इंडिया’ के रूप में जाना जाता है और बासमती चावल के लिए फेमस है.
कुरुक्षेत्र का हिस्सा बनने वाला क्षेत्र हरियाणा राज्य के गठन के समय करनाल जिले का हिस्सा था. 23 जनवरी, 1973 को करनाल जिले का विभाजन किया गया था, और दूसरे जिले कुरुक्षेत्र को बनाया गया था.
इस आर्टिकल में हम आपको कुरुक्षेत्र की यात्रा से जुड़ी पूरी जानकारी देंगे. अगर आप कुरुक्षेत्र घूमने जा रहे हैं, तो यहां आप किन जगहों को विजिट कर सकते हैं और कहां ठहर सकते हैं, ये सब हम आपको बताएंगे.
हरियाणा के कुरुक्षेत्र का नाम आते ही लोगों के जेहन में महाभारत की याद आती है. मान्यता है कि महाभारत के दौरान जब अर्जुन ने अपने सामने युद्ध में अपने सगे संबंधियों को देखकर अपना गांडीव रख दिया था, उस दौरान श्री कृष्ण ने यहीं पर अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था. महाभारत के युद्ध के दौरान जहां-जहां पर महाभारत का युद्ध हुआ, उस भूमि को कुरुक्षेत्र की अड़तालिस कोस भूमि कहा जाता है.
48 कोस भूमि पांच जिलों तक फैली हुई है. जो भी श्रद्धालु यहां पर दर्शन करने के लिए आते हैं उनके कुरुक्षेत्र भ्रमण के दर्शन तभी संपन्न माने जाते हैं जब वह 48 कोस भूमि के सभी तीर्थों की परिक्रमा कर लेते हैं. 48 कोस भूमि कुरुक्षेत्र के पीपली से शुरू होकर कैथल से होती हुई जींद, उसके बाद पानीपत और करनाल तक फैली हुई है. कहते हैं कि जहां-जहां पर उस दौरान योद्धा लड़ाई लड़ते गए, वो भूमि 48 कोस की भूमि में शामिल हो गई.
कुरुक्षेत्र का वर्णन श्रीमद्भगवद्गीता के पहले श्लोक में धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र के रूप में है. कुरुक्षेत्र एक महान ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व का स्थान है जिसे वेदों और वैदिक संस्कृति के साथ जुड़े होने के कारण सभी देशों में श्रद्धा के साथ देखा जाता है। यही वो भूमि है जिस पर महाभारत की लड़ाई लड़ी गई थी और भगवान कृष्ण ने अर्जुन को ज्योतिसर में कर्म के दर्शन का उचित ज्ञान दिया था। कुरुक्षेत्र का आर्य सभ्यता और पवित्र सरस्वती के उदय के साथ इसके विकास से गहरा संबंध है. यही वो भूमि है जहाँ मनुस्मृति ऋषि मनु द्वारा लिखी गई थी.
कुरुक्षेत्र का नाम राजा कुरु के नाम पर रखा गया था. कुरुक्षेत्र भारत के इतिहास जितना पुराना है। जिस क्षेत्र में कुरुक्षेत्र जिला है, उस क्षेत्र का इतिहास प्राचीन आर्यन अतीत के समय कभी-कभी मंद होता है। डॉ. आर.सी. मजूमदार ने लिखा है, ये भारत में आर्यों के आने से पहले भी एक धार्मिक केंद्र था.
आइए जानते हैं कुरुक्षेत्र में घूमने लायक जगहों के बारे में विस्तार से
ब्रह्म सरोवर, जैसा कि इसके नाम से पता चलता है, कुरुक्षेत्र के थानेसर में स्थित है. कुरुक्षेत्र में ये ऐसा पवित्र स्थान भी है जहां भारतीय संस्कार में श्राद्ध करना काफी पवित्र माना जाता है. ये बेहद शांत और खूबसूरत स्थल है. ब्रह्म सरोवर एशिया के सबसे बड़े मानव निर्मित तालाबों में से एक है। यह 3600 फीट लंबा, 1500 फीट चौड़ा और 45 फीट गहरा है। ब्रह्मा सरोवर के बारे में पौराणिक कथाओं में मान्यता है कि, कुरुक्षेत्र को भगवान ब्रह्मा द्वारा विशाल यज्ञ से निर्मित किया गया था. अल बरूनी के लेखन में इस पवित्र जलाशय का उल्लेख मिलता है. सरोवर का उल्लेख महाभारत में भी है कि युद्ध के समापन के दिन दुर्योधन ने खुद को पानी के नीचे छिपाने के लिए इसका इस्तेमाल किया था।
महाभारत युद्ध में उनकी जीत के प्रतीक के रूप में सरवर के बीच में स्थित द्वीप में युधिष्ठिर द्वारा एक मीनार बनवाई थी. उसी द्वीप परिसर में एक प्राचीन द्रौपदी कूप है, जहां द्रौपदी अपने केश धोती थीं. सरोवर के उत्तरी तट पर स्थित भगवान शिव के मंदिर को सर्वेश्वर महादेव कहा जाता है। परंपरा के अनुसार, यहां भगवान ब्रह्मा द्वारा शिव लिंग स्थापित किया गया था.
ब्रह्म सरोवर पर कात्यायनी मां का मंदिर भी है. यह मंदिर ब्रह्मसरोवर के किनारे है, जो महाभारत कालीन बताया जाता है. सरोवर के मध्य में श्रीकृष्ण और अर्जुन की रथ पर बैठी हुई विशाल प्रतिमा बनाई गई है. सूर्य ग्रहण के दौरान सरोवर के पवित्र पानी में डुबकी लगाना हजारों अश्वमेध यज्ञों के बराबर माना जाता है. ब्रह्म सरोवर की शांति आपको एक अलग ही दुनिया का अनुभव कराती है.
ब्रह्म सरोवर के उत्तरी तट पर कई धर्मशाला बनी हुई है जिनमें गुर्जर धर्मशाला तथा जाट धर्मशाला मुख्य हैं. इन दोनों धर्मशाला में सैलानियों को तीन समय का भोजन मुफ्त दिया जाता है.
हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले के थानेसर शहर में बने शेखचिल्ली के मकबरे को हरियाणा का ताजमहल भी कहा जाता है. इस मकबरे में लगा पत्थर भी वही पत्थर है जो आगरा में स्थित ताजमहल में लगा है और बनावट भी मिलती जुलती है.
भारत की राजधानी दिल्ली से अमृतसर के बीच इसके अलावा कोई भी ऐसा स्मारक नहीं है, जिसमें शाहजहां के समकालीन संगमरमर का प्रयोग किया गया हो. प्रसिद्ध सूफी संत शेख चेहली की याद में दाराशिकोह ने लगभग 1650 ई. में इसे बनवाया था. ये मकबरा दाराशिकोह के पठन-पाठन और आध्यात्मिक ज्ञान का भौतिक प्रतीक था. मकबरे की स्थापत्य कला बेजोड़ है. ये हर्ष के टीले के नाम से विख्यात प्राचीन टीले के पूर्वी किनारे पर स्थित है.
इतिहासकारों का मानना है कि जब शेख चिल्ली ईरान से भारत घूमने आया तब उसे पता चला कि कुरुक्षेत्र में जाने माने विद्वान जलालुद्दीन साहब साबरी भी रहते हैं, तो वो उनसे मिलने आया, उसे कुरुक्षेत्र की धरती ऐसी भाई, कि वो यहीं का होकर रह गया. शेख चिल्ली को अब्दुर-रहीम के नाम से भी जाना जाता था.
उसकी मौत के बाद उसके शिष्य ने इस मकबरे को बनवाया। समय के साथ साथ इस टीले की बनावट अपनी पहचान खोने लगी। लेकिन जब इसे पुरातात्विक विभाग के अंतर्गत लिया गया तो इसे फिर से पूर्ण जीवित किया गया।
परिसर में शेख चिल्ली और उनकी पत्नी का मकबरा भी है। इस मकबरे के पश्चिमी भाग में जलालुद्दीन साबरी की दरगाह भी मौजूद है जहां उन्हें उनके मरणोपरांत दफनाया गया था।
कुरुक्षेत्र पैनोरमा एंड साइंस सेंटर की स्थापना भारत में धार्मिक मान्यताओं पर विज्ञान के प्रभाव को प्रदर्शित करने के लिए की गई थी. सेंटर के ग्राउंड फ्लोर का इस्तेमाल इंटरैक्टिव Science Demonstrations के लिए किया जाता है. महाभारत के महाकाव्य युद्ध का चित्रण भी आप इस सेंटर की पहली मंजिल में देख सकते हैं. यहां आप लाइट-एंड-साउंड तकनीक, गीता के श्लोकों के जप, युद्ध की आवाजें आदि जैसी कई चीजें देख और सुन सकते हैं। हफ्ते के किसी भी दिन आप सुबह 10 बजे से शाम 5:30 बजे तक यहां आ सकते हैं।
श्रीकृष्ण म्युजियम की स्थापना वर्ष 1987 में हुई थी और इसका उद्घाटन भारत के पूर्व राष्ट्रपति श्री आर वेंकटरमण ने किया था। फरवरी 2012 में, तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने दो नए ब्लॉक खोले जिनमें गीता गैलरी और मल्टीमीडिया महाभारत हैं. संग्रहालय हिंदू देवता भगवान विष्णु के कृष्ण अवतार को समर्पित है, जहां महाभारत और भागवत पुराण में वर्णित उनके कई अवतारों को चित्रों, मूर्तियों, पांडुलिपियों, प्राचीन अवशेषों और अन्य वस्तुओं के माध्यम से दर्शाया गया है. संग्रहालय में नक्काशी, प्राचीन मूर्तिकला, लघु चित्र आदि के प्रदर्शनी मौजूद है। श्रीकृष्ण संग्रहालय सुबह 10 बजे से शाम के 5 बजे तक खुला रहता है.
आइए अब आपको लेकर चलते हैं कल्पना चावला मेमोरियल तारामंडल. कल्पना चावला स्मारक तारामंडल की स्थापना कल्पना चावला की स्मृति में की गई थी। ये prehistoric time से इंडियन सिविलाइज़ेशन में Astronomy और इसके अध्ययन पर आधारित है. तारामंडल में दिलचस्प प्रदर्शनी और लघु फिल्में हैं. यकीन मानिए यहां आकर आपको बहुत कुछ जानने को मिलेगा.
कुरुक्षेत्र की पर्यटन स्थलों की सूची में अगला नाम है ज्योतिसर का. ज्योतिसर वो जगह है जहां गीता का जन्म हुआ. ऐसा माना जाता है कि महाभारत युद्ध ज्योतिसर से शुरू हुआ, जहां युद्ध की पूर्व संध्या पर अर्जुन को गीता के शासक भगवान कृष्ण से अनन्त संदेश मिला। ऐसा कहा जाता है कि आदि शंकरचार्य ने ईसा युग की 9वीं शताब्दी में हिमालय के रहने के दौरान इस स्थान की पहचान की.
1850 में कश्मीर के राजा ने तीर्थ में एक शिव मंदिर का निर्माण किया. फिर 1924 में, दरभंगा के राजा ने पवित्र बरगद के पेड़ के चारों ओर एक पत्थर मंच उठाया. हरियाणा, पर्यटन यहां शाम को हिंदी और अंग्रेजी में एक साउंड शो चलाता है. ज्योतिसर में भगवान कृष्ण की 40 फीट ऊंची विराट स्वरूप प्रतिमा है. करीब 35 टन वजनी मूर्ति 85 फीसदी तांबे समेत चार तरह की धातुओं के मिश्रण से बनी है। इसके विशाल रूप में भगवान कृष्ण के नौ रूपों को दर्शाया गया है. विराट स्वरूप को देश के प्रसिद्ध मूर्तिकार राम सुतार ने तैयार किया है.
इस शक्तिपीठ देविकूप भद्रकाली मंदिर को “सावित्री पीठ”, “देवी पीठ”, “कालिका पीठ” या “आदी पीठ” भी कहा जाता है. ऐसा माना जाता है कि कुरुक्षेत्र में शक्तिपीठ श्री देविकूप भद्रकाली मंदिर में माता सती के दाहिने घुटने गिर गए. पौराणिक कथाओं में उल्लेख है कि महाभारत की लड़ाई के लिए आगे बढ़ने से पहले, भगवान कृष्ण के साथ पांडवों ने यहां पूजा की थी. मंदिर में सोना-चंदी और मिट्टी के घोड़े चढ़ाए जाते हैं.कुछ सालों पहले एक श्रद्धालु ने मंदिर में असली घोड़े भी चढ़ाए थे. यहां आम तौर पर मिट्टी के घोड़े ही चढ़ाए जाते हैं. प्राचीन मान्यताओं के अनुसार, महाभारत युद्ध में जीत के बाद पांडवों ने इस शक्तिपीठ पर अपने घोड़े अर्पित किए थे. तभी से यहां घोड़े अर्पित करने की परंपरा चली आ रही है.
दोस्तों, हमने आपको कुरुक्षेत्र के कुछ महत्वपूर्ण स्थलों के बारे में ही जानकारी दी है. इस नगर में भ्रमण करने के लिए कई और भी स्थल हैं. कुरुक्षेत्र गुरुकुल और धर्मशालाओं की भी नगरी है. इस नगर में Shree Geeta Dham, Bairagi Dharamshala, Agrawal Dharamshala, Shri Vyas Gaudiya Math, Shri Gita Birla Mandir Dhrmashala, Bharat Sevashram Sangha, Ror Dhrmashala, पंजाब धर्मशाला, सैनी धर्मशाला, Haryana Pal Gadariya Samaj Dharamshala, यादव धर्मशाला, Bishnoi Dharamshala, जाट धर्मशाला, गुर्जर धर्मशाला है. यहां ठहरने का खर्च 200 रुपये से लेकर 1500 रुपये तक जाता है. कई धर्मशालाओं में भोजन की सुविधा भी मिलती है और वो भी बिल्कुल निशुल्क.
दिल्ली से कुरुक्षेत्र की दूरी लगभग 160 किलोमीटर है, जिसका सफर तय करने में करीब 3 घंटे का समय लगता है। ट्रेन के अलावा सड़क मार्ग के जरिए भी आसानी से कुरुक्षेत्र पहुंच सकते हैं। जीटी रोड़ से होते हुए रवाना हों, रास्ते में मुरथल आएगा, जहां आप लजीज परांठों का स्वाद ले सकते हैं। यहां से कुछ घंटे की दूरी पर कुरुक्षेत्र है। स्टेट ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन की बसें शहर को दिल्ली, चंडीगढ़, अमृतसर, पानीपत, गाजियाबाद, फरीदाबाद, पटियाला, मेरठ, जयपुर और अंबाला से जोड़ती हैं।
बात करें कुरुक्षेत्र के नजदीकी हवाई अड्डों की, तो इस मामले में चंडीगढ़ का नाम सबसे पहले है. चंडीगढ़ हवाई अड्डे की शहर से दूरी लगभग 91 किलोमीटर की है. देहरादून हवाई अड्डे की यहां से दूरी 181 किलोमीटर की है, उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में स्थित हिंडन एयरपोर्ट शहर से 167 किलोमीटर दूर है, वहीं भारत की राजधानी दिल्ली का एयरपोर्ट 173 किलोमीटर दूर है.
दोस्तों, गीता की जन्मस्थली कुरुक्षेत्र पर दी गई हमारी ये जानकारी आपको कैसी लगी, हमें जरूर बताएं. ऐसे ही दिलचस्प आर्टिकल के लिए फॉलो करें TravelJunoon को
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