Travel Blog

Great wall of India : चीन की दीवार के बाद विश्व की दूसरी सबसे बड़ी दीवार है कुंभलगढ़ दुर्ग की

Great wall of India :कुंभलगढ़ दुर्ग ( Kumbhalgarh fort ) राजस्थान ही नहीं बल्कि देश के सभी दुर्गों में अपनी एक अलग स्थान रखता है। कुंभलगढ़ दुर्ग उदयपुर से 70 किमी की दूरी पर राजसमंद जिले की केलवाड़ा तहसील में स्थित है। समुद्र तल से 1087 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह विशाल और भव्य दुर्ग 30 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला हुआ है।

कुम्भलगढ़ किले को कहते हैं मेवाड़ की आंख (Kumbhalgarh Fort is called the eye of Mewar)

कुंभलगढ दुर्ग Kumbhalgarh Fort मेवाड़ की आन, बान और शान का प्रतीक है। इसके चारों ओर एक बड़ी दीवार बनी हुई है जो चीन की दीवार के बाद विश्व कि दूसरी सबसे बड़ी दीवार है। इस किले की दीवारें लगभग 36किमी लम्बी है और यह किला किला यूनेस्को की सूची में सम्मिलित है। कुम्भलगढ़ किले को मेवाड़ की आंख कहते हैं यह दुर्ग कई घाटियों व पहाड़ियों को मिला कर बनाया गया है। यह किला दुनिया के सबसे बड़े किले परिसरों में से एक है, और चित्तौड़ किले के बाद भारत का दूसरा सबसे बड़ा किला है।

Kumbhalgarh fort is the second largest wall in the world after China wall

केलवाड़ा तहसील के पश्चिम में 700 फीट की नाल चढने के बाद कुंभलगढ़ का विशाल दरवाजा आरेठपोल बना हुआ है। यहां से राज्य की ओर पहरा किया जाता था। इस द्वार से लगभग डेढ़ किमी की दूरी पर हल्लापोल है। यहां से थोड़ा और आगे हनुमानपोल है, महाराणा कुंभा ने इस स्थान पर भगवान हनुमान की मूर्ति स्थापित कराई थी, इसी कारण इस द्वार को हनुमानपोल के नाम से जाना जाता है। हनुमानपोल के बाद विजयपोल आता है और यहीं से पहाड़ी क्षेत्र उठता चला जाता है और एक बहुत ऊंची शिखा के रूप में बदल जाता है, इस ऊंची पर्वत चोटी को कहारगढ़ कहा जाता है। विजयपोल से आगे बढ़ने पर भैरवपोल, नीबूपोल, चौगानपोल, पागड़ापोल और गणेशपोल भी आते हैं।

दुर्ग का इतिहास (History of the fort)

बता दें कि यह दुर्ग महाराणा कुंभा के पराक्रम और वीरता का स्मारक है। कहा जाता है यहां इस दुर्ग से पूर्व सम्राट अशोक के पुत्र संप्रति द्वारा एक भव्य महल बनवाया गया था। उसी के अवशेषों पर इस दुर्ग का निर्माण कराया गया। कुंभलगढ दुर्ग का निर्माण महाराणा कुंभ ने कराया, यह दुर्ग 1443 में आरंभ होकर 1458 तक पूर्ण हुआ। दुर्ग पूरा होने की खुशी में महाराणा कुंभा ने सिक्के भी जारी किए थे। जिनपर एक ओर दुर्ग का चित्र और दूसरी ओर उनका नाम अंकित था। इस भव्य दुर्ग का निर्माण वास्तुशास्त्र के आधार पर हुआ था, वास्तुकार मंडन की देखरेख में पूरा किला बनवाया गया था। मजबूत निर्माण प्रक्रिया के कारण इसके प्रवेश द्वार, प्राचीरें, जलाशय, संकटकालीन द्वार, महल, मंदिर, इमारतें, भवन, यज्ञ स्थल, वेदियां, स्तंभ और छतरियां आदि आज भी सही सलामत मौजूद हैं।

दुर्ग में हिन्दू और जैन मंदिर भी हैं स्थित ( Hindu and Jain temple )

विजयपोल के पास कुछ भूमि समतल है, यहां कई हिन्दू और जैन मंदिर बने हुए हैं। यहां बना नीलकंठ महादेव मंदिर खूबसूरत नक्काशीदार स्तंभों के लिए जाना जाता है। अतीत के स्थापत्य में अलग और अहम स्थान रखने वाले इस मंदिर के स्तंभ युक्त बरामदों की तुलना यूनानी शैली के स्थापत्य से की जाती।

 

दुर्ग में भव्य वेदियों और यज्ञशालाएं भी है मौजूद ( Vediyon and Yagyashaalaen )

महाराणा कुंभा यज्ञ हवन, पूजा पाठ और वास्तु में विशेष विश्वास रखते थे। इसलिए उन्होंने इस दुर्ग में भव्य वेदियों और यज्ञशालाओं को निर्माण कराया। प्राचीनकाल के यज्ञ-स्मारकों में एक यही दुर्ग शेष रह गया है। यहां की यज्ञशालाएं एक से दो मंजिला तक हैं। यज्ञशालाओं के ऊपर गोल गुंबद बना हुआ है। गुंबद के चारों तरफ का हिस्सा खुला हुआ है। इसी यज्ञस्थली में कुंभलगढ़ दुर्ग की प्रतिष्ठा भी हुई थी। किले के ऊंचे भाग पर भव्य महल बने हुए हैं।

मामादेव का कुंड ( Mamadev Kund )

महल के नीचे वाली भूमि पर भालीवान बावड़ी और मामादेव का कुंड स्थित है। महाराणा कुंभा इसी कुंड पर अपने बड़े बेटे ऊदा के हाथों मारे गए थे। इसी स्थान पर मामावट नामक स्थान पर भगवान विष्णु का कुंभास्वामी मंदिर बना हुआ जो वर्तमान में जीर्ण शीर्ण अवस्था में है। मंदिर के बाहरी परिसर में भगवान विष्णु के अवतार, देवियां, पृथ्वी, पृथ्वीराज आदि की मूर्तियां आज भी इतिहास के स्थापत्य से रूबरू कराती हैं। यहीं पांच शिलाआों पर राणा कुंभा द्वारा खुदवाई गई प्रशस्तियां भी दिखाई देती हैं। इनपर मेवाड़ के राजाओं की वंशावलियां, राजाओं का परिचय और कुछ विजयों का वर्णन किया गया है। राणा रायमल के पुत्र वीर पृथ्वीराज का दाहस्थल भी यहीं बना हुआ है। गणेश पोल के पास गुंबद महल और देवी का स्थान है। महाराणा उदयसिंह की रानी झाली का महल भी यहां से कुछ सीढियां चढकर है।

जून 2013 के दौरान नोम पेन्ह में विश्व धरोहर समिति की 37 वीं बैठक के दौरान राजस्थान के छह किले, अर्थात्, अंबर किला, चित्तौड़ किला, गागरोन किला, जैसलमेर किला, कुंभलगढ़ और रणथंभौर किला को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल सूची में शामिल किया गया। धारावाहिक सांस्कृतिक संपत्ति और राजपूत सैन्य पहाड़ी वास्तुकला के उदाहरणों के रूप में पहचाना जाता है। राजस्थान ने सदैव दुर्गकला की परंपरा निबाही है। दुर्गों का निर्माण देश, काल, परिस्थितियों के अनुसार किया जाता था। पुराणों और आख्यानों में प्रजा की रक्षा करना राजा का परम धर्म बताया गया था। इसलिए दुर्ग का निर्माण करारा हर शासक का दायित्व हुआ करता था।

तीन दिवसीय वार्षिक उत्सव का आयोजन ( Three day annual festival )

राजस्थान पर्यटन विभाग कला और वास्तुकला के प्रति महाराणा कुंभा के जुनून की याद में किले में तीन दिवसीय वार्षिक उत्सव का आयोजन करता है। किले के साथ पृष्ठभूमि के रूप में ध्वनि और प्रकाश शो आयोजित किए जाते हैं। समारोह के उपलक्ष्य में विभिन्न संगीत और नृत्य कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। त्योहार के दौरान अन्य कार्यक्रम हेरिटेज फोर्ट वॉक, पगड़ी बांधना, रस्साकशी और दूसरों के बीच मेहंदी मंडाना हैं।

Recent Posts

Vietnam Travel Blog : क्या आप जल्द ही वियतनाम जाने की योजना बना रहे हैं? तो जानिए कैसे कम खर्च में यात्रा करें

Vietnam Travel Blog : वियतनाम एक खूबसूरत देश है जो अपनी समृद्ध संस्कृति, शानदार लैंडस्केप… Read More

6 days ago

Who is Ranveer Allahbadia : कौन हैं रणवीर इलाहाबादिया, जिन्होंने अपने विवादित बयान से लोगों का खींचा ध्यान

Who is Ranveer Allahbadia : जाने-माने डिजिटल कंटेंट क्रिएटर और पॉडकास्ट होस्ट अनवीर अल्लाहबादिया कॉमेडियन… Read More

2 weeks ago

Rashtrapati Bhavan first wedding : राष्ट्रपति भवन में पहली बार हो रही है शादी, जानिए इसके बारे में सबकुछ

Rashtrapati Bhavan first wedding :  भारत के राष्ट्रपति का निवास, राष्ट्रपति भवन, देश की ताकत,… Read More

2 weeks ago

Valentine’s Day 2025 : वैलेंटाइन डे वीक में रोमांटिक छुट्टी मनाने के लिए ये हैं 5 बेहतरीन जगहें

Valentine's Day 2025 : फरवरी की शुरुआत और वैलेंटाइन डे के करीब आते ही, क्या… Read More

2 weeks ago

Valentine Week 2025 : रोज़ डे से लेकर प्रॉमिस डे तक, प्यार के 7 दिन मनाने का कैलेंडर यहां है

Valentine Week 2025 :  फरवरी को प्यार का महीना भी कहा जाता है क्योंकि लोग… Read More

2 weeks ago