Karvachauth vrat : करवा चौथ के दिन इस मंत्र का करें जाप, मिलेगा लाभ
karvachauth vrat: कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन पड़ने वाला सुहागिनों का विशेष व्रत करवा चौथ इस बार 4 नवंबर यानी कि बुधवार को है. यह व्रत विवाहितें पति की दीर्घायु के लिए रखती हैं. तो आइए जानते हैं इस व्रत की पूजन सामग्री, पूजा मंत्र और शुभ मुहूर्त के बारे में.
Auspicious time and worship ceremony of Karva
Chauth
करवा चौथ की पूजा का शुभ मुहूर्त 4 नवंबर की शाम 05 बजकर 29 मिनट से शुरू हो जाएगा. यह शाम 06 बजकर 48 मिनट तक रहेगा. चंद्रोदय शाम 7 बजकर 57 मिनट पर होगा. करवा चौथ की पूजन सामग्री में मिट्टी का टोंटीदार करवा व ढक्कन, पानी का लोटा, गंगाजल, दीपक, रूई, अगरबत्ती, चंदन, कुमकुम, रोली, अक्षत, फूल, कच्चा दूध, दही, देसी घी, शहद, चीनी, हल्दी, चावल, मिठाई, चीनी का बूरा, मेहंदी, महावर, सिंदूर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी, बिछुआ, गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी, लकड़ी का आसन, छलनी, आठ पूरियों की अठावरी, हलुआ और दक्षिणा के पैसे शामिल हैं.
Get up before sunrise in the morning
करवा चौथ के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठ जाएं. इसके बाद सरगी के रूप में मिला हुआ भोजन करें, पानी पिएं और भगवान की पूजा करके निर्जला व्रत का संकल्प लें. करवा चौथ में महिलाएं पूरे दिन जल-अन्न कुछ ग्रहण नहीं करतीं. शाम के समय चांद को देखने के बाद दर्शन कर व्रत खोलती हैं. शाम को पूजा के शुभ मुहूर्त पर मिट्टी की वेदी पर सभी देवताओं की स्थापना करने के बाद उसके ऊपर करवे रख दें। इसके बाद एक थाली में धूप, दीप, चंदन, रोली और सिंदूर रखें और घी का दीपक जलाएं. ध्यान रखें कि पूजा चांद निकलने के एक घंटे पहले ही शुरु कर देनी चाहिए.
करवा चौथ के दिन रात के समय चंद्रमा को अर्घ्य देते समय ‘सौम्यरूप महाभाग मंत्रराज द्विजोत्तम, मम पूर्वकृतं पापं औषधीश क्षमस्व में.’ मंत्र का जप करें. इस मंत्र का अर्थ होता है मन को शीतलता पहुंचाने वाले, सौम्य स्वभाव वाले ब्राह्मणों में श्रेष्ठ, सभी मंत्रों एवं औषधियों के स्वामी चंद्रमा मेरे द्वारा पूर्व के जन्मों में किए गए पापों को क्षमा करें. मेरे परिवार में सुख शांति का वास हो. इस मंत्र का पूरे मन और श्रद्धा से 3 बार जप करें. पूजा समापन में चंद्रदेव से पूजा-पाठ के दौरान जाने-अंजाने हुई त्रुटियों की भी क्षमा प्रार्थना करें.
Karva Chauth Vrat Pooja Vidhi
करवा चौथ के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठ जाएं इसके बाद सरगी के रूप में मिला हुआ भोजन करें, पानी पिएं और भगवान की पूजा करके निर्जला व्रत का संकल्प लें. करवा चौथ में महिलाएं पूरे दिन जल-अन्न कुछ ग्रहण नहीं करतीं। शाम के समय चांद को देखने के बाद दर्शन कर व्रत खोलती हैं। शाम को पूजा के शुभ मुहूर्त पर मिट्टी की वेदी पर सभी देवताओं देवताओं की स्थापना करने के बाद उसके ऊपर करवे रख दें.इसके बाद एक थाली में धूप, दीप, चंदन, रोली और सिंदूर रखें और ..सिंदूर रखें और घी का दीपक जलाएं. ध्यान रखें कि पूजा चांद निकलने के एक घंटे पहले ही शुरु कर देनी चाहिए.
Karva Chauth Puja Mantra
करवा चौथ के दिन रात के समय चंद्रमा को अर्घ्य देते समय ‘सौम्यरूप महाभाग मंत्रराज द्विजोत्तम, मम पूर्वकृतं पापं औषधीश क्षमस्व मे मंत्र का जप करें. इस मंत्र का अर्थ होता है मन को शीतलता पहुंचाने वाले सौम्य स्वभाव वाले ब्राह्मणों में श्रेष्ठ सभी मंत्रों एवं औषधियों के स्वामी चंद्रमा मेरे द्वारा पूर्व के जन्मों में किए गए पापों को क्षमा करें. मेरे परिवार में सुख शांति का वास हो इस मंत्र का पूरे मन और श्रद्धा से 3 बार जप करें. इस मंत्र का पूरे मन और श्रद्धा से 3 बार जप करें.